BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: ‘सबको स्वास्थ्य’ का नारा कब होगा हमारा!
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > Latest News > ‘सबको स्वास्थ्य’ का नारा कब होगा हमारा!
Latest NewsLeadबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

‘सबको स्वास्थ्य’ का नारा कब होगा हमारा!

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published August 27, 2012 1 View
Share
4 Min Read
SHARE

किशोर कुमार

सरकार ने स्वीटजरलैंड की एक कंपनी को कैंसर की दवा को भारत में पेटेंट करने से मना कर दिया. यह प्रशंसनीय कदम है. लेकिन वह पूरे देश में जब तक जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं करेगी, तब तक “सबको स्वास्थ्य” संबंधी भारत सरकार की संकल्पना महज नारा बनकर ही रह जाएगी और मात्र 20 रूपए प्रतिदिन अर्जित करने वाली देश की अस्सी फीसदी जनता दवा के अभाव में काल-कलवित होती रहेगी. यह एक कड़वा सच है कि टीबी से प्रति-वर्ष देश में तीन लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है और ज्यादातर मौतें गरीबों की होती है, जो इस बीमारी का महंगा इलाज नहीं करा पाते हैं.

सरकारी उदासीनता कहें या सोची-समझी रणनीति का नतीजा… भारत में आम आदमी सस्ती जेनेरिक दवाओं की पहुंच से दूर ही रहता है. बावजूद इसके विदेशी दवा कंपनियां अपनी दवाओं के पेंटेट को लेकर बहुत ज्यादा संवेदनशील हैं. दरअसल, बहुराष्ट्रीय कंपनियों को यह चिंता हमेशा सताती रहती है कि भारत की जनता ने भविष्य में कभी भी जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के पक्ष में माहौल बनाया तो उनका मुनाफा कई गुणा कम हो सकता है.

इसलिए बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों की दवाओं को भारत में पेटेंट करने की अनुमति देने में बड़ी सावधानी बरतने की ज़रूरत है. साथ ही यह सुनिश्चित कराना भी ज़रूरी है कि जेनेरिक दवाओं और बहुराष्ट्रीय अथवा देश की दवा कंपनियों की दवाओं और समान साल्ट वाले जेनेरिक दवाओं की कीमतों में ज्यादा अंतर नहीं रहने पाए.

यह खुशी की बात है कि स्वीट्जरलैंड की कंपनी नोवार्टिस की कैंसर के उपचार के लिए बनाई गई नई दवा “ग्लिवेक” को भारत के पेटेंट विभाग ने देश में पेटेंट करने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया है. विभाग का कहना है कि यह नई दवा नहीं बल्कि पहले से बाजार में बिक रही एक दवा का नया संस्करण भर है.

अब भारत सरकार यदि जेनेरिक दवाओं को आम जन तक पहुंचाने ईमानदार पहल करदे तो देश की जनता का बड़ा भला होगा. भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के औषधि निर्माण विभाग ने नवंबर 2008 में सस्ती जेनेरिक दवाओं की बिक्री के लिए दो वर्षों के भीतर 250 जन औषधालय खोलने का फैसला किया था. लेकिन सरकार की इस घोषणा से “नौ दिन चले ढ़ाई कोस” वाली कहावत चरितार्थ हुई.

उपलब्ध सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सवा तीन साल में यानी इस साल फरवरी तक मात्र 117 जन औषधालय ही खोले जा सके हैं. लेकिन प्रचार-प्रसार की कमी के कारण इतने औषधालय भी अभी जनता से दूर ही हैं. यह समय का तकाजा है कि सरकार या तो खुद या फ्रेंचाइजी देकर बड़ी संख्या में जन औषधायल खोले और उसका व्यापक प्रचार-प्रसार हो. साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि चिकित्सक दवाओं के ब्रांड नेम की जगह साल्ट के नाम लिखें.

जन औषधालय भारत जैसे गरीब देश के लिए कितना ज़रूरी है, इसका अंदाजा कुछ जेनेरिक दवाएं और ब्रांडेड दवाओं की कीमतों में अंतर को देखकर भी समझा जा सकता है. मिसाल के तौर पर ब्रांडेड पैरासिटामॉल का दस टैबलेट वाला स्ट्रीप 5 से 9 रुपये में बिकता है तो उसी साल्ट की जेनरिक दवा 2.12 पैसे में उपलब्ध है. इसी तरह ब्रांडेड रॉक्सीथ्रोमाइसिन एंटीबायटिक 120-700 रुपये में बाजार में उपलब्ध है तो इसकी जेनरिक दवा मात्र 18.91 रूपए में…

अब यह देखना है कि सरकार अपने “सबको स्वास्थ्य” संबंधी नारे को किस तरह फलीभूत करती है. जनता और उसके प्रतिनिधियों को इस मामले में बेहद सतर्क रहने की ज़रूरत है.

(लेखक सोशल एक्टिविस्ट हैं.)

TAGGED:‘सबको स्वास्थ्य’ का नारा कब होगा हमारा!
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

Latest News

Urdu newspapers led Bihar’s separation campaign, while Hindi newspapers opposed it

May 9, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

OLX Seller Makes Communal Remarks on Buyer’s Religion, Shows Hatred Towards Muslims; Police Complaint Filed

May 13, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

Shiv Bhakts Make Mahashivratri Night of Horror for Muslims Across India!

March 4, 2025
Edit/Op-EdHistoryIndiaLeadYoung Indian

Maha Kumbh: From Nehru and Kripalani’s Views to Modi’s Ritual

February 7, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?