BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: जामिया फीस में भारी बढ़ोत्तरी महंगाई का असर या सोची-समझी साजिश?
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > Exclusive > जामिया फीस में भारी बढ़ोत्तरी महंगाई का असर या सोची-समझी साजिश?
ExclusiveLatest NewsLeadबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

जामिया फीस में भारी बढ़ोत्तरी महंगाई का असर या सोची-समझी साजिश?

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published August 5, 2012 3 Views
Share
12 Min Read
SHARE

अफ़रोज़ आलम साहिल

हमारी केंद्र सरकार यह मानने को तैयार ही नहीं है कि महंगाई काबू से बाहर हो रही है? सरकार अपने आंकड़ों में महंगाई की दर को हमेशा दस प्रतिशत से कम ही बताती है.  लेकिन इसी मंहगाई की दुहाई देकर दिल्ली की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने अपने पाठ्यक्रमों की फीस को 15 से 99 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है.

यहां यह स्पष्ट रहे कि जामिया एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है और पिछले ही वर्ष 22 फरवरी 2011 को इसे अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिला था. अल्पसंख्यक संस्थान होने के कारण यहां आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों की संख्या ज़्यादा है।  ऐसे में अचानक फीस में हुई भारी बढ़ोत्तरी ने कई छात्रों के करियर पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है.

जामिया में पिछले 3 सालों में फीस में लगातार भारी बढ़ोतरी हो रही है. छात्र विरोध के मूड में आते हैं, पर उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है. विश्वविद्यालय प्रशासन और टीचर्स एसोशियसन ने छात्रों को महंगाई का बोझ उठाने के लिए छोड़ दिया है. यहां छात्र संघ भी नहीं है जो छात्रों की जायज मांगों को उठा सके और उनके हक़ के लिए लड़ सके.

जामिया में सबसे ज्यादा फीस यहां के मीडिया कोर्सेज में बढ़ी है. साल 2010-11 में एमसीआरसी के एम.ए. मास कम्यूनिकेशम कोर्स की फीस 89,920 रूपये थी जिसे अब बढ़ा कर 1,29,720 रूपये कर दिया गया है. यानी पूरे 39,800 रूपये की बढ़ोतरी. यानि एक ही साल में इस कोर्स की फीस में 44 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोत्तरी कर दी गई है. इसी तरह एम.ए. कनवर्जेन्ट जर्नलिज़्म की फीस  वर्ष 2010-11 में 1,25,270 रूपये थी और इस वर्ष यह 8.6 प्रतिशत बढ़कर 1,36,070 रूपये हो गई है.

पीजी डिप्लोमा इन डेवलपमेंट कम्यूनिकेशन की फीस भी 53,960 से 20.6 प्रतिशत बढ़कर 65,110 रूपये,  पीजी डिप्लोमा इन ग्राफिक्स एंड एनिमेशन की फीस 74,960 से 11.27 प्रतिशत बढ़कर 83,410 रूपये,  पीजी डिप्लोमा इन ब्रॉडकास्ट टेक्नोलॉजी की फीस 53,960 रुपये से 41 प्रतिशत बढ़कर 76,110 रूपये, पीजी डिप्लोमा इन टीवी जर्नलिज्म की फीस भी 27,920 से 28.1 प्रतिशत बढ़कर 35,770 रूपये हो गई है.

इसी तरह बी.ई. की फीस वर्ष 2010-11 में 17,020 रूपये थी, लेकिन इस वर्ष यह 87.54 प्रतिशत बढ़कर 31,920 रूपये है. एमबीए (इवनिंग) की फीस 25,020 से 99.5 प्रतिशत बढ़कर 49,920 रूपये हो गई है.

फीस बढ़ाने के बारे में यूनिवर्सिटी प्रशासन का तर्क है कि महंगाई बढ़ी है, इस कारण फीस बढ़ रही है. लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन का यह तर्क समझ से परे है. क्योंकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में किसी भी सेक्टर में महंगाई दस प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ी है. साथ ही देश की किसी भी यूनिवर्सिटी ने फीस में इतनी बढ़ोत्तरी नहीं की है. कई विश्वविद्यालयों में तो पिछले तीन साल में फीस नाम मात्र बढ़ोत्तरी भी नहीं हुई है. अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि महंगाई का असर सिर्फ जामिया मिल्लिया पर ही क्यों हो रहा है. और यह असर यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिलने का बाद कुछ ज्यादा ही क्यों हो रहा है.

अलग-अलग कोर्सों की फीस को अचानक 99 प्रतिशत तक बढ़ा देने के पीछे सिर्फ महंगाई ही एक कारण नहीं हो सकती. इसके पीछे गरीब अल्पसंख्यक छात्रों को उच्च शिक्षा से दूर रखने की  एक सोची समझी रणनीति भी हो सकती है.

BeyondHeadlines की पड़ताल में पता चला कि महंगाई का असर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय या बनारस  हिन्दू विश्वविद्यालय  पर बिल्कुल भी नहीं पड़ा है. महंगाई अपना असर सिर्फ जामिया मिल्लिया इस्लामिया पर ही दिखा रही है.

उदाहरण के तौर पर अगर कोई छात्र बीए ऑनर्स कोर्स करना चाहता है तो जेएनयू में उस छात्र को फीस के तौर पर एक वर्ष में मात्र 370 रूपये खर्च करने पड़ते हैं, बीएचयू में 1846 रूपये,  एएमयू में 3670 रूपये, डीयू में 3से 4 हज़ार रुपये खर्च करना पड़ता है, जबकि जामिया में 5,220 रूपये की फीस देना पड़ता है. यानि देश की किसी भी अन्य यूनिवर्सिटी के मुकाबले जामिया में उसे कम से कम दोगुना पैसे खर्च करने पड़ते है.

महंगाई जामिया के हर कोर्स में बढ़ी है. साल 2010-11 में  बीए आनर्स की फीस 4370 रूपये थी लेकिन इसे भी इस वर्ष बढ़ाकर 5220 रुपये कर दिया गया है.  (जामिया के बाकी अन्य महत्वपूर्ण कोर्सेज की फीस की जानकारी के लिए आप नीचे दिए गए बॉक्स को देख सकते हैं.)

BeyondHeadlines ने जामिया की फीस में हुई भारी बढ़ोत्तरी के बारे में यहां के प्रशासन से जवाब चाहा तो किसी के भी पास कोई ठोस जवाब नहीं था. यूनिवर्सिटी की मीडिया को-ओर्डिनेटर सिमी मल्होत्रा और मास कम्यूनिकेशन एंड रिसर्च सेन्टर के डायरेक्टर ओबेद सिद्दिकी सवालों को टालते नज़र आए. यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार एस.एम साजिद भी फीस में बढ़ोत्तरी का कोई ठोस कारण नहीं बता पाए. सबका यही तर्क था कि यह बढ़ोत्तरी मंहगाई के कारण है. उनके जवाबों से ऐसा लग रहा था कि वो मजबूरी में किसी तानाशाही फ़रमान का बचाव कर रहे हैं.

जामिया के रजिस्ट्रार एस.एम. साजिद ने बताया कि यह फैसला अकादमिक कौंसिल का है और जामिया को यह अख्तियार हासिल है कि वो जब चाहे फीस बढ़ा सकती है.

वहीं जामिया से जुड़े कई छात्र बगैर किसी सूचना के फीस में भारी बढ़ोत्तरी को अपने ऊपर जुल्म मान रहे हैं. अचानक फीस बढ़ने से सबसे ज्यादा परेशानी उन छात्रों को हो रही है जिन्होंने पहले से दाखिला लिया हुआ है, क्योंकि बढ़ी हुई फीस उनसे भी ली जा रही है.

फीस में अचानक हुई इस बढ़ोत्तरी ने कई छात्रों के करियर पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. एक छात्र बताता है कि उसने बड़ी मुश्किल से पिछले साल एम.ए. मास कम्यूनिकेशन में 55,060 रूपये जमा करके दाखिला लिया था, और वो मुतमईन था कि इस वर्ष उसे सिर्फ 36,060 रूपये भरने पड़ेंगे, लेकिन उसे जब फीस स्लिप मिली तो पैरों तले से ज़मीन खिसक गई क्योंकि फीस स्लिप में 54,110 रूपये मांगे गए हैं. क्लास के तमाम छात्र तुरंत इस मामले को लेकर सेन्टर के डायरेक्टर ओबैद सिद्दीकी के पास गए, लेकिन सेन्टर के डायरेक्टर ने बढ़ती हुई महंगाई का रोना छात्रों से सामने रोना शुरू कर दिया. अब छात्र परेशान हैं कि ऐसे में वो करें तो क्या करें.

माना जा रहा है कि जब से जामिया को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिला है, तब से यहां के प्रशासन की धांधली लगातार बढ़ती ही जा रही है. आरटीआई से मिली जानकारी यह साबित करती है कि यूनिवर्सिटी के पास फंड की भी कोई कमी नहीं है.

आरटीआई से मिली जानकारी बताती है कि जामिया को नॉन प्लान  फंड के तहत यूजीसी से वर्ष 2007-08 में 116.099 करोड़ रूपये, 2008-09 में 95.87 करोड़ रूपये, 2009-10 में 145.51 करोड़ रूपये, 2010-11 में 137.35 करोड़ रूपये और 2011-12 में 165.62 करोड़ रूपये मिले हैं. वहीं प्लान फंड के तहत यूजीसी से वर्ष 2007-08 में 36.82 करोड़ रूपये, 2008-09 में 48.56 करोड़ रूपये, 2009-10 में 80.56 करोड़ रूपये, 2010-11 में 77.85 करोड़ रूपये और 2011-12 में 63.94 करोड़ रूपये मिले हैं.

जामिया में हॉस्टल और मेस की फीस भी बाकी विश्वविद्यलयों से ज्यादा हैं. कुछ से तो कई गुणा ज़्यादा है. और दूसरी तरफ कई मामलों में अनसेफ भी है. दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के लोग कई बार हॉस्टल में आसानी से घुमते हुए पाए गए हैं. आपको जानकर और भी हैरानी होगी कि यहां भ्रष्टाचार का मामला यहां तक है कि एमसीआरसी के छात्रों के लिए हॉस्टल  की सुविधा के लिए 2006-07 में यूजीसी की तरफ से 10  लाख रूपये आएं, लेकिन 6 साल के बाद भी एमसीआरसी के हॉस्टल का कहीं नामों-निशान नहीं है.

देश के बाकी विश्वविद्यालयों के मुकाबले सिर्फ जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई भारी फीस बढ़ोत्तरी अब सवाल खड़ा करती है कि क्या यह सिर्फ महंगाई का असर है या फिर गरीब अल्पसंख्यक छात्रों के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश है, ताकि वो बेहतर शिक्षा से दूर रह सकें?

Course Fee Details in Jamia Millia Islamia

 

Course

2010-11

2011-12

2012-13

M.A. Mass Communication

89,920

91,120

1,29,720

M.A. Convergent Journalism

1,25,270

1,26,470

1,36,070

P.G. Diploma in Development Communication

53,960

54,560

65,110

P.G. Diploma in Still Photography & Visual Comm.

74,960

75,560

77,110

P.G. Diploma in Graphics Animation

74,960

75,560

83,410

P.G. Diploma in Broadcast Technology

53,960

54,560

76,110

BDS

24,820

25,520

28,520

M.Phil./M.A./B.A./Adv.Dip./Dip./Certificate (Faculty of Humanities & Languages

4,370

5,270

5,220

P.G. Diploma in T.V.Journalism

27,920

28,820

35,770

P.G. Diploma in Journalism

15,420

16,320

16,770

B.A.(H).Hotel Management, Travel & Tourism

20,370

21,270

21,220

Certificate in Hotel Management, Travel & Tourism

14,870

15,770

15,720

Diploma in Hotel Management, Travel & Tourism

18,370

19,270

19,220

Certificate in Translation Proficiency

5,620

6,520

6,470

Diploma in Translation Proficiency

7,870

8,770

8,720

B.A./B.Com./M.Com./B.A.(Eco)/M.A.(Eco)/B.A.C.A/B.A. (Pol.Sc.)/M.A.(Pol. Sc.)/M.A.(Pub. Adm.)/ M.A. in Human Rights & Duties Edn./ B.A. (Sociology)/ M.A. (Sociology)

(Faculty of Social Sciences)

4,370

5,270

5,220

B.B.S.

5,270

6,170

6,120

M.A. Applied Psychology

4,470

7,070

7,020

B.A. Social Work

4,970

5,870

6,520

M.A. Social Work

6,270

7,170

7,620

Advanced Dip. in Couns. Psy.

18,870

19,770

26,720

B. Lib & Info. Sc.

8,070

8,970

12,920

P.G. Diploma in Management of NGOs

12,320

13,220

14,070

M.I.B.

33,920

34,820

39,770

M. Sc. Tech.

19,320

20,220

21,170

M.A./M.Sc. Maths

13,920

17,820

18,790

M. Sc. Bio Chemistry.

28,820

29,720

39,220

M.Sc. Biotech

31,720

30,220

44,270

M. Sc. Bio Informatics

23,720

24,220

29,570

B.Tech./ M.Sc. Electronics

8,020

8,920

8,870

M. Tech. (EPSM)

10,220

11,120

11,070

M. Tech in Env. Sc. & Engg.

7,020

7,920

7,920

B.E.

17,020

17,920

31,920

M.B.A.

10,470

11,370

11,520

M.B.A. (Evening)

25,020

25,920

49,920

Diploma Engg. (Regular)

6,320

7,020

6,970

Diploma Engg. (Evening)

12,020

12,920

22,920

B.A. LLB (Hons.)

7,470

8,370

8,320

B. Arch. (SF)

50,470

49,320

55,370

Certificate in Calligraphy/ Commercial Arts/ Photography/ Painting/ Sculpture.

12,820

13,720

20,670

 

इस वर्ष छात्र यूनियन की 50 रूपये की फीस नहीं ली गई है…

TAGGED:Fees HikeFees Hike in JamiaJamia Millia IslamiaJMI
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

ExclusiveHaj FactsIndiaYoung Indian

The Truth About Haj and Government Funding: A Manufactured Controversy

June 7, 2025
Latest News

Urdu newspapers led Bihar’s separation campaign, while Hindi newspapers opposed it

May 9, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

OLX Seller Makes Communal Remarks on Buyer’s Religion, Shows Hatred Towards Muslims; Police Complaint Filed

May 13, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

Shiv Bhakts Make Mahashivratri Night of Horror for Muslims Across India!

March 4, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?