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सांप्रदायिक एकता का संदेश छोड़ गया विश्व का सबसे ऊंचा रावण

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published October 25, 2012
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10 Min Read
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Nirmal Rani for BeyondHeadlines

विजयदशमी के दिन न केवल हमारे देश में बल्कि और भी कई देशों में रावण के पुतलों को जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीकरूपी जश्र मनाया जाता है. इस अवसर पर सभी जगह रावण, मेघनाद कुंभकरण के नाना प्रकार के पुतले जलाए जाते हैं. कहीं इन पुतलों का निर्माण करने वाले लोग पुतलों में तरह-तरह की आकर्षक व सुंदर कलाकारी कर उन्हें खूबसूरत व दिलकश बनाने के तरीके अपनाते हैं तो कहीं उसकी लंबाई बढ़ाकर पुतलों की ओर लोगों को आकर्षित किया जाता है. इसी प्रकार हरियाणा प्रांत के अंबाला जि़ले के बराड़ा कस्बे में भी रावण के विश्व के सबसे ऊंचे पुतले का निर्माण किया जाता है जो आज न सिर्फ पूरी दुनिया के सबसे ऊंचे पुतले के रूप में स्थापित हो चुका है बल्कि तमाम सामाजिक बुराईयों का प्रतीक होने के साथ-साथ सर्वधर्म संभाव व सांप्रदायिक एकता की भी अनूठी पहचान छोड़ गया है.

गौरतलब है कि इस वर्ष 195 फुट के रावण के पुतले का निर्माण करने वाले श्री रामलीला क्लब बराड़ा की स्थापना 1987 में राणा तेजिंद्र सिंह चौहान द्वारा की गई थी. उस समय चौहान ने अपने हाथों से मात्र 20 फुट के रावण का पुतला निर्मित कर विश्व के सबसे ऊंचे रावण के पुतले के निर्माण की ओर अपना पहला क़दम उठाया था. धीर-धीरे बुराईयों के प्रतीक समझे जाने वाले रावण के इस पुतले की समय के साथ-साथ न केवल लंबाई बढ़ती गई बल्कि श्री रामलीला क्लब बराड़ा व इसके अंतर्गत होने वाले सभी आयोजन सांप्रदायिक एकता व सर्वधर्म संभाव की भी पहचान भी बनते गए.

उदाहरण के तौर पर श्री रामलीला क्लब बराड़ा के संस्थापक अध्यक्ष तेजिंद्र सिंह चौहान व वर्तमान अध्यक्ष नितिन बंसल हैं तो इस क्लब के संयोजक की जि़म्मेदारी प्रसिद्ध स्तंभकार तनवीर जाफरी द्वारा निभाई जा रही है.

तनवीर जाफरी क्लब के संयोजक के नाते न केवल अपने कर्तव्यों को निभाते हैं बल्कि विश्व के सबसे ऊंचे रावण दहन के समय मंच के संचालन की जि़म्मेदारी भी बखूबी निभाते हैं. इतना ही नहीं क्लब के द्वारा लिए जाने वाले कई महत्वपूर्ण फैसलों में भी जाफरी की अहम भूमिका होती है. तनवीर जाफरी का इस संबंध में कहना है कि वे विश्व के इस अनूठे आयोजन में अपनी सेवाएं देकर तथा इस क्लब के साथ जुडक़र स्वयं को सौभाग्यशाली समझते हैं. उनका कहना है कि देश के सभी मुसलमान भाईयों को दूसरे धर्मों के सभी आयोजनों में सक्रिय भागीदारी निभा कर एक सच्चे भारतीय मुसलमान होने का परिचय देना चाहिए.

विश्व के इस सबसे ऊंचे रावण के पुतले के निर्माण में भी आगरा से आए हुए एक मुस्लिम परिवार की बहुत अहम भूमिका रहती है. मोहम्मद उस्मान नामक कारीगार का 6 सदस्यीय परिवार गत् तीन वर्षों से बराड़ा कस्बे में श्री रामलीला क्लब के अतिथि के रूप में रह रहा है तथा अन्य सभी कामों को छोडक़र केवल दुनिया के सबसे ऊंचे रावण के पुतले के निर्माण में ही लगा रहता है. इस कारीगर परिवार के सदस्य बराड़ा में रहते हुए जहां अपनी ज़रूरतों व रीति-रिवाजों को पूरा करते हैं या उन्हें मनाते हैं वहीं इस परिवार के लोग क्लब के एक मंदिर की देखरेख व सफाई आदि भी पूरी निष्ठा से करते हैं.

क्लब द्वारा इस वर्ष 195 फुट के रावण के पुतले का निर्माण करने व उसे जलाए जाने की एक विशेष वीडियो रिकार्डिंग कराई गई. यह रिकॉर्डिंग गिन्नीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में रावण के पुतले की दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई का दावा प्रमाणित करने हेतु गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड कार्यालय में भेजने हेतु की गई. मज़े की बात तो यह है कि इस काम के लिए मुंबई की जिस विशेषज्ञ टीम को आमंत्रित किया गया उसका निर्देशन फ़िल्मकार राजा जाफ़री कर रहे थे. जबकि मुख्य कैमरामैन रफीक अली नामक कैमरा विशेषज्ञ थे. रफीक अली को आई ऐम कलाम नामक फ़िल्म में शानदार कैमरा आप्रेशन के लिए अवार्ड भी हासिल हो चुका है तथा वे दर्जनों देशों की यात्रा कर सैकड़ों फिल्मों में प्रमुख कैमरामैन की भूमिका निभा चुके हैं. इसी प्रकार कैमरा आप्रेशन के समय रफीक अली का साथ शकील अहमद नामक बिहार का एक नवयुवक दे रहा था. इसलिए यह कहा जा सकता है कि श्री रामलीला क्लब बराड़ा द्वारा राणा तेजिंद्र सिंह चौहान के नेतृत्व में बनाया जाने वाला विश्व का सबसे ऊंचा रावण का पुतला यदि गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान प्राप्त करता है तो इसमें मुस्लिम समुदाय की अहम भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकेगा.

श्री रामलीला क्लब बराड़ा द्वारा आयोजित 13 दिवसीय श्री रामलीला मंचन में भी मुस्लिम समुदाय के लोगों की बहुत अहम भूमिका रहती है. क्लब के इस 13 दिवसीय रामलीला मंचन में सहारनपुर व आसपास के क्षेत्रों से लगभग 10 कलाकार जिनमें तबलावादक, हारमोनियम व ढोल बजाने वाले लोग तथा और कई कलाकार जोकि मुस्लिम समुदाय से संबंध रखते हैं बराड़ा में क्लब के मेहमान होते हैं. वे 13 दिनों तक यहीं रहकर क्लब के आयोजन में जी-जान से मेहनत करते हैं तथा अपनी जि़म्मेदारी बखूबी निभाते हैं. इन सभी मुस्लिम भाईयों से पूछने पर यही पता चलता है कि वे सभी स्वयं को इस बात के लिए गौरवान्वित महसूस करते हैं कि वे उस श्री रामलीला क्लब बराड़ा के अतिथि हैं जोकि विश्व के सबसे ऊंचे रावण के पुतले के निर्माण के लिए विश्व रिकॉर्ड स्थापित करने जा रहा है तथा दो बार लिम्का रिकॉर्ड प्राप्त कर चुका है.

इसी प्रकार सिख समुदाय के भी कई लोग श्री रामलीला क्लब बराड़ा के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं. उदाहरण के तौर पर भूपेंद्र सिंह, हरदेव सिंह, हरजीत सिंह तथा शमशेर सिंह जैसे सिख समुदाय के युवक क्लब के आयोजनों में पूरी मेहनत व लगन के साथ काम करते हैं. इनमें भूपेंद्र सिंह नामक सिख युवक तो रामलीला मंचन में एक अहम किरदार की भूमिका निभाता है.

सिख समुदाय के इन सभी लोगों की सक्रियता भी क्लब के सर्वधर्म संभाव व सांप्रदायिक एकता की पहचान की तसदीक़ करता है. यही नहीं बल्कि विश्व के इस सबसे ऊंचे रावण के पुतले को खड़ा करने का चुनौतीपूर्ण काम अंजाम देने हेतु भी जिस विशाल क्रेन का इस्तेमाल किया जाता है वह क्रेन भी सिख समुदाय से संबंध रखने वाले इंद्रजीत सिंह गोल्डी की है. गोल्डी की विशाल क्रेन सर्विस कई वर्षों से रावण के इन पुतलों को खड़ा किए जाने जैसा जोखिमपूर्ण काम सहर्ष करती आ रही हैं. इस विशाल रावण में तीस क्विंटल लोहे का प्रयोग किया जाता है. लोहे के फेब्रिकेशन के काम में जहां कई वैल्डर दिन-रात काम करते हैं वहीं इनमें कई मुस्लिम वेल्डर व तकनीशियन भी इस प्रोजेक्ट में अपनी पूरे परिश्रम का प्रदर्शन करते हैं. इस विशाल रावण के पुतले पर मोटे काग़ज़ की परत चढ़ाने का काम एक सिख समुदाय के ग्रुप द्वारा किया जाता है जोकि स्वयं अपने पैसे व परिश्रम से इस विशालकाय रावण के पुतले पर मोटे कागज़ चढ़ाता है. इसी प्रकार श्री रामलीला क्लब विभिन्न अवसरों पर गीत-संगीत व मनोरंजन के लिए जब कभी मेरठ, सहारनपुर, शामली, मुज़्ज़फरनगर, देहरादून आदि जगहों से बैंड पार्टियां आमंत्रित करता है तो उसमें भी आधे से अधिक लोग मुस्लिम समुदाय के होते हैं जो देवी-देवताओं की शान में गीत व भजन गाकर सांप्रदायिक सद्भाव का परिचय देते हैं.

क्लब संयोजक तनवीर जाफरी का दावा है कि उनका क्लब दुनिया में केवल रावण का सबसे ऊंचा पुतला बनाए जाते हेतु ही विश्वविख्यात नहीं है बल्कि सर्वधर्म संभाव, सांप्रदायिक सौहार्द व एकता के लिए भी यह अपनी अनूठी पहचान बना चुका है. जाफरी के अनुसार इस परियोजना में सभी धर्मों के ही नहीं बल्कि सभी जातियों के लोग भी समान रूप से परिश्रम करते हैं तथा इसके निर्माण में दिलचस्पी लेते हैं.

क्लब के संस्थापक, अध्यक्ष राणा तेजिंद्र सिंह चौहान का भी यही मानना है कि जिस प्रकार उनका क्लब सभी धर्मों व संप्रदायों के लोगों को साथ लेकर तथा उनकी सक्रिय भागीदारी से आज विश्व स्तर की ख्याति अर्जित कर चुका है. इसी प्रकार देश की सभी धार्मिक आयोजन समितियों में सभी धर्मों के लोगों की सक्रियता की बेहद ज़रूरत है. चौहान व जाफरी के अनुसार देश के सभी धार्मिक त्यौहारों को सामाजिक आयोजन का रूप दिया जाना चाहिए तथा होली-दीवाली, ईद-बकरीद आदि सभी धर्मों के सभी त्यौहार सभी समुदायों के लोगों को हर्षोल्लास के साथ मिल-जुल कर मनाना चाहिए. दुनिया को वसुधैव कुटंबकम व अनेकता में एकता का संदेश देने वाले भारत महान की यही सच्ची पहचान है.

TAGGED:Burning of worlds tallest Ravana 195 ft.
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