पटना में आरटीआई के लिए अनिश्चित-कालीन भूख हड़ताल

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BeyondHeadlines News Desk

सुशासन बाबू नीतीश कुमार भले ही बिहार को आरटीआई के लिए ‘मॉडल स्टेट’ के तौर पर पेश करके वाह-वाही लूट रहे हों, लेकिन नीतीश के इस बिहार में आरटीआई की दशा व दिशा बिल्कुल भी ठीक नहीं है. इसी दशा व दिशा को लोगों को बताने व सुधारने के उद्देश्य से बिहार मधुबनी ज़िला के आरटीआई एक्टिविस्ट मो. इलियास 12 अक्टूबर, 2012 से सूचना भवन, पटना के सामने अनिश्चत-कालीन भूख हड़ताल पर बैठ रहे हैं.

मो. इलियास का कहना है कि बिहार सरकार ने इतने सशक्त और अच्छे कानून को बिल्कुल नकारा कर दिया है. राज्य सूचना आयोग के कमिश्नर, जन सूचना अधिकारी के वकील के तौर पर काम कर रहे हैं. हमेशा उन्हें बचाने की कोशिश में लगे रहते हैं.

आगे वो बताते हैं कि मैंने 2008 से लेकर अब तक 200 से अधिक द्वितीय अपील व शिकायत बिहार राज्य सूचना आयोग को दी है, लेकिन किसी भी मामले में सूचना आयोग उन्हें कोई सूचना अब तक नहीं दिला सकी है और न ही किसी भी मामले में जुर्माना ही किया है. बिहार में सिर्फ मैं ही अकेला नहीं हूं, मेरे जैसे न जाने कितने हैं, जिन्हें सूचना आयोग सूचना दिलवाने के बजाए डराने का काम करती है. नीतीश व नीतीश के सरकारी बाबूओं की यह दादागिरी अब क़तई बर्दाश्त नहीं की जाएगी. बिहार की जनता के समक्ष इन्हीं सच्चाईयों को लाने के लिए मैं अनिश्चित-कालीन भूख हड़ताल पर बैठ रहा हूं. मेरा यह भूख हड़ताल तब तक जारी रहेगा, जब तक कि मुझे सूचना नहीं मिल जाती.

हालांकि ऑफ द रिकॉर्ड उन्होंने यह भी बताया कि कई कमिश्नर व बिहार के बड़े अधिकारी उन पर दबाव बना रहे हैं कि भूख हड़ताल पर न बैठूं. दबाव के साथ सूचना उपलब्ध कराने की बात भी कही जा रही है.

स्पष्ट रहे हैं कि बिहार में सब कुछ मैनेज करने की परंपरा कूट-कूट कर भरी हुई है और नीतीश कुमार के सरकारी बाबू इस काम में माहिर हैं. आशंका है कि 61 वर्षीय मो. इलियास को भी मैनेज कर लिया जाएगा. हालांकि मो. इलियास बताते हैं कि वो अवामी समस्याओं के संबंध में महामहिम राष्ट्रपति से लेकर प्रखण्ड विकास पदाधिकारी तक 10 हज़ार से अधिक आवेदन अब तक दे चुके हैं. अब तक छोटे-बड़े मिला कर कुल 150 दिनों तक का भूख हड़ताल कर चुके हैं. अवाम की समस्याओं को लेकर कई बार जेल भी जा चुके हैं.

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