BeyondHeadlines News Desk
नई दिल्ली. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई ने शुक्रवार को एक नया रंग देखा. केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार का लगातार खुलासा कर रहे अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के खिलाफ प्रदर्शन किया तो उन्हें समर्थकों सहित हिरासत में लेकर बवाना के राजीव गांधी स्टेडियम में डाल दिया गया.
केजरीवाल और उनके करीब 1500 समर्थकों को बवाना के राजीव गांधी स्टेडियम में रखा गया. अभी तक अरविंद केजरीवाल के हर क़दम को प्रमुखता से दिखा रहे मेनस्ट्रीम मीडिया से यह ख़बर लगभग नदारद दिखी.
सलमान खुर्शीद का स्टिंग ऑपरेशन करने वाले चैनल आजतक और इसी समूह के अंग्रेजी चैनल ‘हेडलाइंस टुडे’ के अलावा बाकी किसी मीडिया समूह ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को प्रमुखता से प्रसारित नहीं किया.
यही नहीं दिल्ली पुलिस ने इस बार केजरीवाल के समर्थकों को चिन्हित करके पीटा भी. उनकी पार्टी से जुड़े वालंटियर राहुल को जहां अकेले पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने ले जाकर पीटा गया वहीं मनीष गूलिया नाम के एक अन्य वालंटियर भी पुलिस के गुस्से का शिकार बना.
केजरीवाल को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ इंडिया अगेंस्ट करप्शन के वालंटियरों शनिवार को विरोध प्रदर्शन करेंगे. वहीं बवाना स्टेडियम के बाहर रात करीब एक बजे अचानक पुलिस की मौजूदगी में भारी इजाफा हुआ.
केंद्र सरकार ने पिछले साल अगस्त में जब अन्ना को गिरफ्तार किया था तब देश में इसका भारी विरोध हुआ था. अन्ना तिहाड़ से निकलनर सीधे रामलीला मैदान पहुंचे थे जहां उन्हें भारी जन समर्थन मिला था. अन्ना के आंदोलन के दौरान दिल्ली की सड़कों पर जन-सैलाब उमड़ आया था.
रामलीला मैदान में अन्ना के आंदोलन को ज़बरदस्त मीडिया कवरेज भी मिला था. लेकिन इस बार जब अरविंद केजरीवाल सबूतों के साथ केंद्रीय मंत्रियों और कांग्रेस से जुड़े लोगों पर चुन-चुन कर निशाना साध रहे हैं तब मीडिया कवरेज में कंजूसी कर रहा है.
फिलहाल केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, गोपाल राय और उनके साथ करीब 1500 स्वयंसेवक खुले आसमान के नीचे बवाना स्टेडियम में रात गुजार रहे हैं. कुछ स्टेंड के नीचे नींद लेने की कोशिश कर रहे हैं. स्टेडियम के बाहर पुलिस की मौजूदगी बढ़ती जा रही है. लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया खामोश है.
केजरीवाल ने विकलांगों के फंड में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाकर सलमान खुर्शीद का इस्तीफा मांगा है. दिल्ली पुलिस ने पहली बार उन पर सख्ती की है. शनिवार की सुबह दिल्ली और देश का समर्थन तय करेगा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ यह लड़ाई कहां तक जाएगी. बड़ा सवाल यह भी है कि क्या मीडिया अपने हाथ पीछे खींचकर भ्रष्ट लोगों को बचा सकती है?
