BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: अंधविश्वास के खिलाफ़ एक रपट
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > Latest News > अंधविश्वास के खिलाफ़ एक रपट
Latest NewsLeadबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

अंधविश्वास के खिलाफ़ एक रपट

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published March 29, 2013 1 View
Share
18 Min Read
SHARE

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

प्रश्न: कौन-सा रत्न पहनना चाहिए जिससे कारोबार और घर में बरकत रहे?

उत्तर: पंचमेश यानी शुभ शुक्र की महादशा है. उत्तरोत्तर वृद्धि होगी, सन 2014 के बाद पूर्ण सफलता का योग है. 6 कैरेट का पन्ना चांदी की अंगूठी में बनवा कर कनिष्ठा उंगली में बुधवार को पहनें. पारिवारिक स्थिति सुधरेगी.

प्रश्न: यदि किसी बच्चे का जन्म चन्द्रमा या अन्य ग्रह पर हो जाए तो उसकी कुंडली कैसे बनाई जा सकती है?

उत्तर: चन्द्रमा या अन्य ग्रह पर जन्म लेने वाले बच्चे की कुंडली बनाने के लिए उस ग्रह को केन्द्र मानकर वहां के अक्षांश, रेखांश एवं पंचांग की गणना करनी पड़ेगी. और उस बच्चे की कुंडली में उस ग्रह के बजाए पृथ्वी ग्रह लिखा जाएगा. इस प्रकार ग्रह गणित के नियमानुसार चन्द्रमा या अन्य ग्रह पर जन्मे व्यक्ति की कुंडली बनाई जा सकती है.

प्रश्न: मैं आई.ए.एस. की तैयारी कर रहा हूं. सफलता कब तक मिलेगी, उपाय बताएं.

उत्तर: अष्टमेश बुध जो मीन राशि में स्थित है की महादशा है. आई.ए.एस. के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रयास करें तथा 5 कैरेट का नीलम चांदी की अंगूठी में शनिवार के दिन मध्यमा उंगली में धारण करें.

प्रेमफल (वशीकरण का आसान नुस्ख़ा)

कुंभ: शुभ रंग-नारंगी, आसमानी.

शुभ राशियां मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक.

शुभ दिन-11 की सुबह से 13 की सुबह.

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों में आप इतना खो जाते हैं कि उनकी जन्मदिन की पार्टी भी भूल जाते हैं. मोबाइल पर आए उनके एस.एम.एस. भी आपने नहीं देखे. अब आपकी सज़ा यही है कि उन्हें फिल्म दिखाएं और लंच खिलाएं वरना…

हस्त रेखा:

आपकी हथेली में लिखी हैं बीमारियां:

   मंगल पर अधिक रेखा-गैस, कब्ज़

   जीवन रेखा सीधी-शुगर का रोग

   मस्तिष्क रेखा चन्द्रमा की ओर-रक्तचाप नीचा

   जीवन रेखा के मध्य में द्वीप-पेट ख़राब

superstition

अरे…अरे! आप तो परेशान होने लगे. सोच रहें होंगे कि मैं आपको यह क्या बता रहा हूं. तो मैं बता दूं कि ये है मीडिया द्वारा अंधविश्वास बढ़ाने के चंद नमूने…

आधुनिक युग में विज्ञान व प्रौद्योगिकी के चरमोत्कर्ष के साथ ही अंधविश्वासों का भी बोलबाला हो रहा है, बल्कि अंधविश्वासों की फसल विज्ञान व प्रौद्योगिकी के सहारे ही लहलहा रही है. देश भर में ज्योतिष और तंत्रमंत्र सिखाने वाले सेंटरों की बाढ़-सी आई हुई है. लोगों को बेवकुफ बनाकर पैसा कमाने के इस शार्टकट पेशे में नौजवानों की दिलचस्पी तेज़ी से बढ़ती जा रही है. सस्ती व बाज़ारू किताबों को पढ़कर या बाक़ायदा कुछ सेंटरों से शिक्षा प्राप्त करके इस क्षेत्र में महारत हासिल कर ली जाती है. और फिर लोगों से पैसे ऐंठने का धंधा शुरू होता है. यहां तक कि तंत्र-मंत्र के नाम पर घिनौनी करतूतें करने से भी वे नहीं कतराते, इसकी सूचना भी हमें लगातार कहीं न कहीं से मिलती ही रहती है.

आज शायद ही कोई ऐसा मुहल्ला, गली और गांव हो जहां गुरु घंटाल आम जनता को बवकुफ बनाकर अपना उल्लू सीधा न कर रहें हों. भविष्यवाणी के नाम पर चलने वाले इनके पाखंड का असर पूरे समाज पर है.

शायद आपको यह जानकर हैरत होगी कि आज अंधविश्वास फैलाने में ‘‘मीडिया’’ ही सबसे आगे है, जबकि मीडिया को जनता को जागरूक करने का माध्यम माना जाता है. मीडिया की ही देन है कि प्रतिमाएं दूध पीती हैं. समुद्र का पानी मीठा हो जाता है. पिछले दिनों ही एक चैनल ‘नाग की मौत का बदला लेने को बेताब एक नागिन’ की कहानी दिखा रहा था. बार-बार ऐंकर दर्शकों को यह बता रहा था कि कैसे एक लड़के ने ग़लती से एक नाग को मार डाला और उसके बाद से किस तरह नागिन उस लड़के को डसने के लिए उसके घर के आस-पास घूम रही है. मोनू नाम के उस लड़के को बचाने के लिए कैसे सपेरों की पूरी फौज बीन बजा रही है और किस प्रकार गांव वाले मोनू के जान की हिफाज़त के लिए दुआएं कर रहे हैं.

आज शनिवार-रविवार को टेलीविज़न की दुनिया अचानक बदल-सी जाती है. किसी चैनल पर लोगों के भविष्य बताए जा रहे होते हैं, तो किसी चैनल पर नक्षत्रों व रत्नों की जानकारी दी जा रही होती है. कोई चैनल काल-महाकाल जैसे कार्यक्रम के द्वारा दर्शक बटोरता नज़र आता है. कार्यक्रम के दौरान तांत्रिक, भूत-प्रेत आदि को इस प्रकार दिखाया जाता है कि दर्शक वर्ग यह विश्वास कर ले कि वास्तव में भूत-प्रेत होते हैं. यानी इन दो दिनों में अचानक उलजुलूल स्टोरीज़ चलने लगती हैं. कोई भूत लीला करने लगता है, तो कोई ‘पुनर्जन्म की पहेली’ सुलझाने लगता है, तो कहीं ‘तितली मैया की कहानी’ चलने लगती है.

बहरहाल ये तो उस टेलीविज़न की कहानी है जिसके लिए मीडिया गुरु यह कहते नज़र आते हैं कि यह अपने प्रारंभिक दौर में है. प्रिंट मीडिया की बात करें तो यहां भी स्थिति वही है. आज आपको समाचार पत्रों में अनेक ऐसे कॉलम मिल जाएंगे जो अंधविश्वास को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं. अख़बार के पन्ने पलटने पर कहीं न कहीं किसी कोने पर कुछ ऐसे प्रश्न पढ़ने को मिल जाएंगे, जिसका उत्तर ज्योतिष परामर्शदाता बड़े ही निराले अंदाज़ में देते हैं. जैसे: ‘‘कोई उपाय बताएं ताकि मेरा पति मेरे वश में रहे’’, क्या मुझे या मेरे बेटे को सरकारी नौकरी मिल पाएगी?’’ ‘‘क्या मैं अभिनय में कैरियर बना सकता हूं’’. आदि…अनादि

इनके अलावा वास्तुशास्त्र, हस्तरेखा, टैरोकार्ड, भविष्य फल, व्यवसाय फल, प्रेम फल और न जाने कौन-कौन से फल अख़बारों में हर रोज़ देखने को मिलते रहते हैं.

यही नहीं राजनीति व फि़ल्म जगत में भी अंधविश्वास बुरी तरह से हावी रहता है. फिल्म के मुहूर्त से लेकर उसकी रिलीज़ तक अंधविश्वास संबंधित तमाम चीज़ों का सहारा लिया जाता है. इस बात का ख़ास ध्यान रखा जाता है कि अभिनेता या अभिनेत्री के ग्रह ठीक हैं या नहीं.

जनसंचार के आधुनिक माध्यम यानी इंटरनेट व मोबाइल भी इससे अछूते नहीं रहे. आज परंपरागत धागा-तावीज़ पहनाने, टोटके या भूत भगाने के तरीक़ों में इंटरनेट का सहारा लिया जा रहा है. नेट पर एस्ट्रोलॉजी से संबंधित साइट्स सर्च करने के लिए क्लिक करते ही सैकड़ों-हज़ारों साइट्स हमारे कंप्यूटर स्क्रीन पर आ जाते हैं. वेब पंडितों ने भी अपनी अलग-अलग साइटें बना रखी हैं.

इसके अलावा इस काम में मोबाइल का भी काफी प्रयोग किया जा रहा है. लोग 6.99 रुपया प्रति मिनट ख़र्च करके अपना भविष्य फल सुनते-पढ़ते हैं.  यहां तक कि छात्र का दाखि़ला किस कोर्स व किस कॉलेज में हो पाएगा, इसकी भी भविष्यवाणी मोबाइल के माध्यम से की जा रही है.

दिलचस्प बात तो यह है कि अभी तक नौकरी के लिए सिर्फ़ बायो-डाटा मांगा जाता था और योग्यता के आधार पर नौकरी का मिलना या न मिलना तय होता था, लेकिन अब किसी उम्मीदवार को नौकरी मिलेगी या नहीं, यह उसकी जन्म कुंडली तय करने लगी है.

बच्चों के नाम रखने, अन्न खिलाने, पढ़ाई के विषय या क्षेत्र चुनने, किस स्कूल या कॉलेज में छात्रों को भेजना है यह सब तय करने में अब ज्योतिषियों की राय को प्राथमिकता दी जाती है. यहां तक बच्चों का ट्यूटर चुनते समय भी कुंडलियों का मिलान होने लगा है.

आम आदमी की तो बात ही छोडि़ए इसे मानने वालों में विज्ञान के टीचर्स, डॉक्टर, इंजीनियर व प्रशासनिक अधिकारी आदि तक शामिल हैं. यही नहीं, ऐसे बुद्धिजीवी जो अपने भौतिकवादी विश्वासों और विचारों के लिए जाने जाते हैं, वे भी इन अवैज्ञानिक बातों पर विश्वास करने से नहीं शर्माते! ये अलग बात है कि वे स्वयं पंडित जी के पास नहीं जाते, क्योंकि देख लिए जाने का डर होता है. इसलिए पंडित जी को अपने घर बुलाते हैं और वह भी छुट्टी के दिन या रात दस बजे के बाद ताकि ज्योतिष के प्रति उनका रुझान जगज़ाहिर न हो.

बात यहीं ख़त्म नहीं होती, आज इस व्यवसाय को बढ़ावा देने हेतु ‘फ्यूचर ज्वाइंट’, ‘सारा फ्रेडर’ एस्ट्रोयोगी, ज्योतिष सागर, एस्ट्रोशास्त्र और डॉक्टर एनडीएस फाउंडेशन जैसी संस्थाएं कार्यरत हैं.

साठ-सत्तर के दशक में ज्योतिष के बारे में यह समझा जाता था कि इनका भविष्य लद चुका है. लोग इन्हें संदेह की दृष्टि से देखने लगे थे. ऐसा माना जाने लगा था कि शिक्षा के साथ बढ़ रही विचारशीलता और विज्ञान का प्रभाव इस तरह के अंधविश्वासों को धोकर रख देगा. लेकिन हुआ उल्टा ही, भाग्य-भविष्य बताने वाली अनर्गल विधाओं ने और ज़्यादा मजबूती से अपने पैर जमा लिए.

भविष्य जानने और ग्रह-नक्षत्रों या अदृश्य कारणों को साधने के लिए ज्योतिष जैसी और भी कई विधाएं तेज़ी से लोकप्रिय हो रही हैं. सातवें दशक तक ज्योतिष के अलावा हस्तरेखा का ही ज़ोर था. अब टैरो कार्ड रीडिंग, न्यूमरोलॉजी (अंकशास्त्र), औरा (वलय), आकृति, प्राणिक, छाया, स्वर, पगध्वनी, पांव की रेखा, वस्त्रा, स्पर्श और गंध से भाग्य बताने वालों की पूछ भी बढ़ती जा रही है. चाय पीने के बाद प्याली में बची हुई पत्तियां और जूते-चप्पलों पर पांव के दबाव से पड़ने वाले निशान से भविष्य जानने के उपाय गढ़े जा रहे हैं.

आइए अंधविश्वास के समस्त माध्यमों पर डालते हैं एक नज़र. भविष्य जानने की ये तमाम विधाएं ‘‘ऑकल्ट साइंस’’ कहलाती है. ऑकल्ट साइंस का साइंस से कोई संबंध नहीं है. ये छद्म अर्थात झूठे विज्ञान हैं जिनका ज़र्रा बराबर महत्व नहीं है.

टैरो कार्ड रीडिंग: टैरो का अध्यात्म काबला से निकला है. काबला एक रहस्यमय यहूदी परंपरा है जो बताती है कि प्राचीन ग्रंथों की मदद से प्रतीकात्मक चिन्हों द्वारा भाग्य बांचा जा सकता है. ‘‘टैरो’’ नाम मिस्त्री शब्द ‘टार’ यानी मार्ग से लिया गया है. टैरो में फलित ज्योतिष, अंक ज्योतिष, प्रतीकोपासना और तंत्र विद्या सब कुछ शामिल होता है ताकि भूत वर्तमान और भविष्य को जाना जा सके. आमतौर पर टैरो के एक पैक में 78 कार्ड होते हैं. प्रत्येक कार्ड का अपना विशेष चित्र, नाम तथा अंक होता है जो प्रभावकारी प्रतीक के बारे में विशेष अर्थ रखता है.

कुछ लोगों का मानना है कि टैरोकार्ड का पहला सेट 15वीं सदी में इटली में तैयार हुआ था. लंबे समय तक इसका विरोध होने के बावजूद यह भविष्य फल जानने के लिए प्रयोग किया जाता रहा. अंधविश्वास का यह माध्यम आज के युवाओं में कुछ ज़्यादा ही प्रचलित हो गया है.

ग्राफोलॉजी: इसमें हैंडराइटिंग या सिग्नेचर का अध्ययन किया जाता है. हैंडराइटिंग या सिग्नेचर की मदद से नेगेटिव एनर्जी को बाहर किया जाता है. इस छद्म विज्ञान में हैंडराइटिंग या सिग्नेचर में थोड़ा बदलाव कर जि़न्दगी की बहुत-सी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया जाता है तथा इसके माध्यम से भविष्य की संपूर्ण बातों को बताने की कोशिश की जाती है. इसका अध्ययन करने वाले को ‘ग्राफोलॉजर’ के नाम से जाना जाता है.

पामिस्ट्री (हस्तरेखा विज्ञान): ऐसा माना जाता है कि मनुष्य के मनोविकारों अथवा मनोविचारों को दर्शाने वाली उसकी हथेली है. क्रोध आने पर नेत्र व मुंह लाल होने के साथ मुट्ठियां भी भिंच जाती है. क्रोध के साथ यदि व्यक्ति भयभीत हो तो अंगूठा अन्दर की तरफ़ होगा तथा भय न होने पर मुट्ठी के ऊपर. यह मानव की स्वाभाविक क्रिया है जिसे रहस्यमय रूप दे दिया गया है. बहरहाल, इस विधा में व्यक्ति के चरित्र, स्वभाव, भविष्य की घटनाओं तथा चेतावनी आदि के बारे में बताया जाता है. अर्थात भविष्य जानने की इस विधा में हाथ की लकीरें न जाने कैसे पढ़ी जाती हैं या साफ़ कहें तो ‘पढ़ने का नाटक’ किया जाता है. और फिर लकीरों में छुपी भविष्य की परतों को उधेड़ा जाता है. यहां तक की बीमारियों का पता भी हाथों की लकीरों से लगाया जाने लगा है.

नाड़ी शास्त्र: पहले ‘अंगूठे की छाप’ का प्रयोग पुलिस या सी.आई.डी. वाले अपराध से जुडे़ व्यक्तियों को पकड़ने के लिए किया करते थे, लेकिन आज ज्योतिष शास्त्री इसका प्रयोग लोगों का भविष्य बताने में कर रहे हैं. यानी तमाम जहान की समस्याएं मात्र अंगूठे के एक निशान से ही सुलझाई जा रही हैं.

फेंग्शुई: फेंग्शुई का मतलब होता है, हवा और पानी. यह विधा तथाकथित रूप से अपने आस-पास के वातावरण से तालमेल बिठाने के लिए चीज़ों को सही जगह और सही दिशा में रखने का चीनी तरीक़ा है. लोगों को बहकाया जाता है कि फेंग्शुई से नकारात्मक ऊर्जा को भगाने, सकारात्मक ऊर्जा को लाने और जि़न्दगी में नई रोशनी पाने में मदद मिलती है.

वास्तुशास्त्र: वास्तुशास्त्र में ब्रह्मांड के पांच मूल तत्वों (जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी और आकाश) की सहायता से व्यक्ति को लाभ पहुंचाया जाता है. पुराने समय के मंदिर और यहां तक कि मोहनजोदड़ो और हड़प्पा नगरों के निर्माण के तरीके़ से पता चलता है कि वास्तुशास्त्र का इस्तेमाल भारत में हज़ारों वर्षों से होता आ रहा है. भारतीय वास्तुशास्त्र एवं भारतीय ज्योतिषशास्त्र के अनुसार घर बनाने का कार्य कब प्रारंभ करें इसकी विस्तृत जानकारी अंधविश्वास के इस माध्यम द्वारा मिलती है. गृहनिर्माण के अंतर्गत शिलान्यास, गृहारम्भ, नींव खोदना, पत्थर लगाना एवं भूमिपूजन की जानकारी वास्तुशास्त्र से मिलती है. सिर्फ़ यही नहीं, बल्कि घर में दरवाज़े कहां लगाने हैं सीढि़यां कहां होनी चाहिएं, पूजन गृह कहां और किस दिशा में हो, रसोई घर कहां और कैसे बनाएं, उसकी दिशा क्या होनी चाहिए, रसोई में चीज़ों को कहां रखें, इन सबकी जानकारी वास्तुशास्त्र के कर्मकांडी माध्यम से मिलती है. यही नहीं नए घर में प्रवेश कब करें ओर कब न करें, इसकी भी जानकारी इसके द्वारा ही प्राप्त होता है.

न्यूमरोलॉजी (अंकशास्त्र): इस विधा यानी न्यूमरोलॉजी में व्यक्ति के बारे में लकी नंबरों (अंकों) के द्वारा जाना जाता है. अंकों से भविष्यफल बताना भी एक तरह की विधा है. हर अंक की विशेष ऊर्जा और गुण होते हैं ऐसा बताया जाता है. जिन व्यक्तियों की जन्म तिथि में 2 के अंक का अभाव होता है, वह अपनी ग़लती को स्वीकारने के बजाए अपने काम को सही साबित करने में लगे रहते हैं. जिन व्यक्तियों की जन्म तिथि में चार का अंक नहीं होता, वह पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार काम करने में असमर्थ होते हैं. आठ का अंक काफ़ी व्यावहारिक होता है, जिनकी जन्म तिथि में यह अंक होता है, वे लोग सफल आर्गेनाइज़र होते हैं तथा मौलिक व आध्यात्मिक दोनों स्तर पर मेहनत करते हैं. 11 का अंक ख़ुशियां लाने वाला होता है. इस तिथि को जन्मे लोग समझदार और विनम्र होते हैं और कई बार ग़ैर परंपरावादी भी होते हैं. इस विधा में कुछ अंकों को शुभ और कुछ ख़ास अंकों को अशुभ माना जाता है.

ज़ाहिर है कि जीवन अंकों का खेल नहीं है. अंकों से भविष्य या कि़स्मत का हाल बताना एक बहुत बड़ा धोखा है.

छद्म विज्ञानों और अंधविश्वासों पर लगाम

इन विधाओं को छद्म विज्ञान इसीलिए कहा जाता है कि इनमें बताई जाने वाली बातो में कोई तर्क सिरे से होता ही नहीं. ये अनर्गल, व्यर्थ, बोगस, झूठे, महज़ संयोग पर आधारित, उलजलूल अंदाज़े मात्र हैं. ये मानव को गुमराह करने वाली विधाएं हैं. इन पर लगाम कसने का एकमात्र तरीक़ा यह है कि इनके ग़लत होने के बारे में ज़ोर-शोर से चर्चा की जाए. इनके फेर में  पड़े लोगों का समझा-बुझाकर बचाया जाए. पोंगा पंथी मीडिया महज़ पैसा कमाने के लिए इन छद्म विज्ञानों का प्रसार कर रहा है. इसके खि़लाफ़ जागरुक लोगों को आगे आना चाहिए.

TAGGED:report against superstitionsuperstition
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

ExclusiveIndiaLeadYoung Indian

Weaponizing Animal Welfare: How Eid al-Adha Becomes a Battleground for Hate, Hypocrisy, and Hindutva Politics in India

July 4, 2025
Latest News

Urdu newspapers led Bihar’s separation campaign, while Hindi newspapers opposed it

May 9, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

OLX Seller Makes Communal Remarks on Buyer’s Religion, Shows Hatred Towards Muslims; Police Complaint Filed

May 13, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

Shiv Bhakts Make Mahashivratri Night of Horror for Muslims Across India!

March 4, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?