Holi Special

खेलत फाग बढ़त अनुराग

Dr. Abhinaw Upadhyay for BeyondHeadlines

कथक और होली का गहरा संबंध है. होरी पर ज्ञात-अज्ञात कवियों के अति सुंदर पद हैं. कथक में उन पर भावाभिनय का चलन पुराना है. ब्रज और कृष्ण भी होली से और कथक से इस तरह घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं. होली पर बहुत लिखा गया है. वैसे भी होली प्रेम का त्योहार है. त्योहार तो सभी प्रेम का संदेश देते हैं पर होली पर प्रेम ज्यादा उमड़ता है. होली और कथक पर प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना उमा शर्मा से जब मैने इस संबंध में बातचीत की तो कई बातें आई जिससे यह पता चला कि आज का युवा बहुत सी चीजों से अनभिज्ञ है… 

Photo Courtesy: instartupland.com

कथक और होली का गहरा संबंध है. कथक में होरी, ठुमरी का भाव होता है. ठुमरी गायिकी में बहुत चलती है. होरी में बहुत ठुमरियां हैं. कथक में होली की गजल भी बन सकती है, क्योंकि कथक में हिन्दू-मुस्लिम दोनों की प्रथा है. कथक में ध्रुपद गायिकी के साथ भी नृत्य होता है. ध्रुपद धमार होरी पर चलता है. होरी के ऐसे पद हैं जो कथक से मिलाए जा सकते हैं जसे, ‘मैं तो खेलूंगी उनही से होरी गुइयां, लेइके अबीर गुलाल कुमकुम वो तो रंग से भरी पिचकारी गुंइयां.’

रसखान ने लिखा है कि ‘खेलत फाग बढ़त अनुराग, सुहाग सनी सुख की रमकै. कर कुमकुम लैकर कंजमुखी, प्रिय के दृग लावन को झमकै.’  ऐसे बहुत सुंदर पद कवियों ने लिखे हैं जो हमलोग करते हैं. कथक का यह चलन है जो काफी पुराना है. हालांकि अब ये चीजें बाहर जा रही हैं. कथक में गाकर भाव बताना एक कला है. मैंने अपने गुरु शंभू महाराजजी से यह कला सीखी है इसलिए अभी तक मैं इसे चला रही हूं. कविताओं में होरी का सारा माहौल उभरकर आता है. ये कथक में होता आ रहा है.

कथक में होरी कई तरह से प्रस्तुत होती है. एक तो गाकर भाव बताया जाता है. एक समूह में होली होती है. कविता पर भी होली खेली जाती है. वृंदावन की रासलीला में राधा कृष्ण गोपियां सभी फूल की भी होली खेलती हैं. गुलाल से भी होली होती है. पिचकारी से रंग डालना ये सब कथक नृत्य में भाव भंगिमा से दर्शाया जाता है. यह समूह और एकल दोनों माध्यम से होता है. मैं तो भाव बताकर होली प्रस्तुत करती हूं और यह एक परंपरागत तरीका है. मैं कविताओं को लेकर प्रस्तुति करती हूं.

अज्ञात कवियों ने बहुत से पद लिखे हैं. रसखान, विद्यापति, नजीर अकबराबादी, खुसरो आदि ने होरी के बहुत सुंदर पद लिखे हैं. एक अज्ञात कवि ने लिखा है ‘बा संग फाग खेले ब्रज माही’, यह एक विहरिणी नायिका है. इसके अलावा एक कवि ने यह भाव लिखा है कि पीछे आई गोपी और उसने एकदम पीछे से कृष्ण को अचानक अबीर लगाया. ऐसी बहुत सी लोकप्रिय रचनाएं हैं. अज्ञात कवि ने इतने सुंदर ढंग से श्रृंगार का वर्णन किया है होरी के माध्यम से, इसी तरह एक कविता में राधा की ईष्र्या है, इस तरह पदों में विविधता है. होरी और कथक दोनों उत्तर भारतीय हैं. वृंदावन से होरी का गहरा संबंध है. कृष्ण तो होली खेलने में प्रसिद्ध है. सबसे अधिक कृष्ण की होली, वृंदावन से कृष्ण का नटवरी नृत्य कृष्ण की छेड़छाड़ को कथक में अधिकांश रूप से लिया जाता है. उत्तर भारतीय कवियों ने होली पर बहुत लिखा है और कथक में इसका प्रयोग हो रहा है. यदि साहित्य को टटोला जाए तो ऐसे बहुत से पद हैं.

नृत्य से अलग भी होली का अपना महत्व है. एक दूसरे से मिलें तिलक लगाएं. पहले टेसू के फूल से रंग निकाल कर चंदन और केसर का तिलक लगाया जाता था. गुलाल भी बहुत अच्छा होता था. उसमें कुछ मिला नहीं होता था. सब एक-दूसरे के ऊपर रंग लगाते थे. लेकिन बीच में रसायनयुक्त रंगों के प्रयोग होने से रंगों से लोग बचने लगे. गाना बजाना, होरी ठुमरी, भाव के साथ होली मनाने का अपना आनंद है. मैं अपने संस्थान में इसी परंपरा के साथ हर साल इसका जश्न करती हूं.

होली का अपना महत्व है, यह प्रेम भाव बताता है. हमारे सभी त्योहार प्रेमभाव बताते हैं. प्रेम के भाव के साथ यदि आप किसी के साथ होली खेलते हैं तो उससे एक प्रेम उमड़ता है और वास्तव में यह प्रेम की होली है. एक-दूसरे के साथ हंसी-ठिठोली, गाना-बजाना यह सब प्रेम की बातें हैं. इससे आपस में प्रेम बांट सकते हैं. यही सब होली दर्शाती है. होली यह बताती है कि आपमें कोई मतभेद या भेदभाव नहीं है.

(प्रसिद्ध नृत्यांगना उमा शर्मा से डॉ. अभिनव उपाध्याय की बातचीत पर आधारित)

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