BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: “फुल फरम मालूमे नइखे अउर चलल बारन आईएएस बने”
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > Latest News > “फुल फरम मालूमे नइखे अउर चलल बारन आईएएस बने”
Latest NewsLeadReal Heroes

“फुल फरम मालूमे नइखे अउर चलल बारन आईएएस बने”

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published May 23, 2013 5 Views
Share
10 Min Read
SHARE

Fahmina Hussain for BeyondHeadlines

सनातन परंपरा में धर्म, अर्थ, उद्देश्य और लक्ष्य इन सभी की परिकल्पना की गई है. इसके मुताबिक हर इंसान को अपने जीवन में इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए काम करना चाहिए. आशुतोष कुमार सिंह भी इन्हीं उद्देश्यों पर अपने जीवन के लक्ष्य को आगे बढ़ा रहे हैं.

आशुतोष कुमार सिंह की ख्यति तो आम तौर पर तो एक पत्रकार के रूप में है ही, साथ ही ये ‘स्वस्थ भारत विकसित भारत अभियान’ चला रही संस्था ‘‘प्रतिभा जननी सेवा संस्थान’’ के संस्थापक सदस्य भी हैं.

किसी छोटे गाँव या कस्बे से बड़े शहरों में आने वाले युवा पढ़ाई या आजीविका कमाने ही नहीं आते, बल्कि कई दफा बड़े ख्वाब और आकांक्षाएं भी उन्हें प्रेरित करती हैं कि वे बड़े शहर में जाकर वो सब कुछ हासिल करें, जिसके वो काबिल हैं और जो छोटा शहर उनको मुहैया नहीं करा सकता.

ashutosh kumar singh: a man for healthy india

30 वर्षीय युवा पत्रकार आशुतोष कुमार सिंह का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में 15 सितम्बर 1982 को बिहार प्रान्त के सिवान जिला अन्तर्गत रजनपुरा ग्राम में हुआ. शुरू से पढ़ाई से भागने वाले आशुतोष कुछ दिनों तक गाँव के ही सरकारी स्कूल में पढ़े. उनके गाँव से 6 किमी की दूरी पर स्थित चैनपुर में उनका ज्यादातर समय गुज़रा. हाईस्कूल की पढ़ाई भी उन्होंने वहीं से की. हाई स्कूल पास करने के बाद यह युवा अपने घर वालों की मर्जी के खिलाफ पढ़ने के लिए लखनऊ चला गया.

बिहार छोड़कर बाहर पढ़ाई करने जाने के बारे में आशुतोष बताते हैं कि “2001 में जब मैं बोर्ड का परीक्षा दे रहा था, तो उस वक़्त शहाबुद्दीन वहां के सांसद थे. परीक्षा सेन्टर पर वो निरक्षण के लिए आया करते थे, उसी दौरान सेंटर पर गोली चल गई, जिसके कारण कई पेपर  कैंसिल हो गए.  2 महीने बाद जब हमारा पेपर हुआ वो उतने अच्छे नहीं गए, क्योंकि जो मई-जून का महीना होता है, वो लगन का समय होता है. उस समय हमलोगों का ज्यादातर समय बारात और शादी के कार्यक्रमों को अटेंड करने में निकल जाता है.  तो ऐसे में पढ़ाई का मामला लगभग खत्म ही हो गया था. बाद में किसी तरह बेमन से परीक्षा दिया और जिसकी आशंका थी वही बात हो गयी. मैं द्वितीय श्रेणी से पास हुआ.”

हाई स्कूल में सबसे बेहतर छात्रों में सुमार होने वाले आशुतोष का सेकेंड श्रेणी से पास होना सभी को चौंकाने वाली ख़बर थी. सब कुछ अगर सही रहता, कानून व्यवस्था अगर सही होती, गोली नहीं चली होती तो शायद ऐसी स्तिथि उत्पन्न नहीं होती… और मैं बिहार से बाहर नहीं जाता…

आशुतोष कुमार सिंह कहते हैं कि बचपन में मैं बहुत शरारती हुआ करता  था. 10वीं के बाद मैं आई.ए.एस. बनना चाहता था. तब पिता जी ने मुझसे पूछा था कि आई.ए.एस. का फुल फॉर्म क्या होता है? उस वक़्त मैं इसका जवाब नहीं दे पाया था. तब पिता जी ने कहा था कि “फुल फरम मालूमे नइखे अउर चलल बारन  आई.ए.एस. बने”  तब मैंने पिता जी की बात को दिल पर लेते हुए यह तय कर लिया कि अब जब पढूंगा तो बाहर वर्ना आगे की पढ़ाई नहीं करूँगा, और उसके बाद मैं आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ आ गया.

हालांकि बाहर पढ़ाई के लिए घर वालों को मनाने के लिए तीन दिन का उपवास रखना पड़ गया था. मैंने ठान लिया था कि जब तक बाहर जाने की ईजाजत नहीं मिल जाती मैं खाना नहीं खाउंगा. आखिर में बाबूजी सजल नयनों से मुझे बाहर भेजने के लिए राजी हुए थे.

लखनऊ के बप्पा श्री नरायण वोकेशनल इंटर कॉलेज से आईए करने के बाद आशुतोष दिल्ली जा पहुँचे. दिल्ली में ही रहकर उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री अरविंद महाविद्यालय से राजनीतिक शास्त्र में स्नातक किया और बाद में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में डिप्लोमा कोर्स भी की.

राजनीतिक शास्त्र से पत्रकारिता में आने के बारे में वे बताते हैं कि 2005 की बात है. जब मैं गाँव गया था, उस वक़्त वहां पर जीप वाले ने ज्यादा  पैसे ले लिये और बदतमीजी भी करने लगा. तब मैं पास के थाने में शिकायत लिखाने गया. वहां भी थानेदार ने कहा कि तुम क्या हो भाई? कहीं के कलक्टर हो? उसके इस जवाब से हमें आश्चर्य हुआ… इस बावत एक स्थानीय पत्रकार को इस घटना की जानकारी दिया. लेकिन वो भी इसे कोई तवज्जु नहीं दिया. इस बात से मुझे ये तो पता लग गया की सिस्टम का क्या हाल है.

आगे की बातों में वो बताते हैं कि “खैर ये तो रहा एक वाक्या… उसके बाद दूसरा वाक्या भी उसी वर्ष हुआ. जब मैं श्री अरविंद महाविद्यालय में था उस वक़्त फ्रेशर पार्टी चल रही थी. उसी वक़्त एक मर्डर हो गया. हम सभी छात्र चाहते थे कि वास्तविक खबर मीडिया में आये. सभी अखबारों, और चैनलों से भी संपर्क किया पर कुछ नहीं हुआ. इस घटना के बाद मुझे लगा कि अब देश और मीडिया दोनों का हाल बहुत अजीब है.”

“ राजनितिक शास्त्र में मैंने प्लेटो न्याय संबंधी विचार को पढ़ा था, जिसमें उन्होंने कहा  था कि मनुष्य का जैसा स्वभाव होता है अगर उसके अनुरूप अपना प्रोफेसन का चुनाव करता है तो वो ज्यादा तरक्की करेगा. यही न्याय है अपने प्रति भी और समाज के प्रति भी. ये बात मुझे बहुत जंची… फिर मैं ये सोचने लगा कि मुझे क्या करना चाहिए? मेरी रूचि क्या है ?

इन उलझनों को सुलझाने में हमारे शिक्षक डॉ. विपीन मल्होत्रा जी ने बहुत योगदान दिया, उन्होंने कहा कि “आशुतोष जिस तरह कि तुम्हारी भाषा है, जिस तरह की तुम्हारी सोच है, और जिस तरह के सामाजिक मुद्दों को उठाते हो, छोटी-छोटी बातों को पकड़ते हो, तुम्हे जर्नलिज्म में जाना चाहिए. तुम उसमें अच्छा करोगे…”

प्रोफेशनल जीवन में अपने शिक्षकों की सलाह पर पत्रकारिता में आए आशुतोष कुमार सिंह ने पिछले सात सालों में हिन्दुस्तान की पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान बना ली है. द संडे इंडियन, महुआ न्यूज़, जनसंदेश टाइम्स सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में काम कर चुके पत्रकार आशुतोष इन दिनों संस्कार पत्रिका में सीनियर कॉपी एडिटर के पद पर कार्य कर रहे हैं.

आशुतोष कुमार सिंह के ज़िन्दगी में अचानक से एक ऐसा मोड़ आया जिससे उनकी सोच पूरी तरह बदल गई और वो स्वास्थ्य व्यवस्था व इससे जुड़ी समस्याओं के बारे में सोचने लगें…

इस घटना के विषय में आशुतोष बताते हैं कि मैं अपने मित्र के रिश्तेदार को देखने अस्पताल गया था. वहां जब दवा लाने केमिस्ट के पास गया, तो देखा जो दवा 20-25 रुपये की है उसे 90-100 रूपये में दे रहे हैं. हमने पूछा कि इतना क्यों ले रहे हो? तो उसने कहा कि हम एम.आर.पी. से कम नहीं ले सकते हैं और कम्पूटर में सब कुछ फीड है. तो हमने कहा कि कम्पूटर आदमी के लिए है या आदमी कम्प्यूटर के लिए. और उसके बाद एक हॉट-टॉक हुई, लेकिन वो नहीं माना. और टोटल 340 रुपये की दवाई हमने खरीदी. जो होलसेल रेट 50 से 60 रुपये थी. यानी कि हजार परसेंट एक्स्ट्रा रकम मुझसे लिया गया… तब मुझे बहुत गुस्सा आया. लेकिन खुद को सम्भाला. अपनी गुस्सा को सकारात्मक दिशा दी. और ‘स्वस्थ भारत विकसित भारत अभियान’ को लेकर आगे बढ़ा.

प्रतिभा-जननी सेवा संस्थान के नेशनल को-आर्डिनेटर के दायित्व को बखूबी निभाते हुए आशुतोष कुमार सिंह ने दवा-डॉक्टर और दुकानदार की त्रयी गठजोड़ से एक के बाद एक कई परत को उठाया. इसे आशुतोष की प्रेरणा कहे अथवा आशुतोष का आग्रह अथवा जुनून… इस अभियान से पूरे देश से लोग जुड़ने लगे. देशपाल सिंह पंवार, ओम थानवी, शिवानंद द्विवेदी सहर, अनीता गौतम, हिमांशु शेखर, आशीष कुमार अंशु, संदीप पई,  मयंक राजपूत, विजय पाठक, संजय तिवारी, यशवंत सिंह, अनुज अग्रवाल, रविशंकर जी, जय राम विप्लव, संजय स्वदेश, पंकज चतुर्वेदी सहित प्रिंट व वेब दुनिया के दिग्गज पत्रकार मित्रों ने आशुतोष कुमार सिंह के इस मुहिम में अपने हिस्से का प्रोत्साहन दिया.

आशुतोष आगे अपने इस मुहिम के बारे में बताते हैं कि मैं चाहता हूं कि राष्ट्र स्वस्थ हो. क्योंकि जब राष्ट्र स्वस्थ होगा, तभी राष्ट के सभी नागरिकों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी. और तब जाकर भारत खुद- ब- खुद विकसित हो जायेगा.

सच में, आशुतोष ने हिन्दुस्तान को स्वस्थ करने व विकसित बनाने का जो सपना देखा है, वह अकेले आशुतोष का सपना नहीं हो सकता है… यह तो हम सबका सपना होना चाहिए… और इसमें भी दो राय नहीं है कि जब तक आशुतोष जैसे युवा इस देश में हैं… यह सपना एक दिन हकीकत की जमीन पर ज़रुर उतरेगा… बस ज़रूरत इस बात की है कि इस हौसले को बढ़ाने में व दिए को जलाने में हम भी अपने हिस्से का तेल जलाएं…

TAGGED:ashutosh kumar singhashutosh kumar singh: a man for healthy india
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

Latest News

Urdu newspapers led Bihar’s separation campaign, while Hindi newspapers opposed it

May 9, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

OLX Seller Makes Communal Remarks on Buyer’s Religion, Shows Hatred Towards Muslims; Police Complaint Filed

May 13, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

Shiv Bhakts Make Mahashivratri Night of Horror for Muslims Across India!

March 4, 2025
Edit/Op-EdHistoryIndiaLeadYoung Indian

Maha Kumbh: From Nehru and Kripalani’s Views to Modi’s Ritual

February 7, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?