BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: उत्तर प्रदेश की राजनीति में घुलता साम्प्रदायिक उन्माद
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > Edit/Op-Ed > उत्तर प्रदेश की राजनीति में घुलता साम्प्रदायिक उन्माद
Edit/Op-EdLatest NewsLead

उत्तर प्रदेश की राजनीति में घुलता साम्प्रदायिक उन्माद

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published May 23, 2013
Share
10 Min Read
SHARE

Mohammad Anas for BeyondHeadlines

देश के सबसे बड़े सूबे की राजनैतिक प्रतिस्पर्धा के कारण उपजे साम्प्रदायिक उन्माद की भेंट जनता को चढ़ना था. ये बात तो तय थी पर समाजवाद और जनसरोकार के नाम पर बनी समाजवादी पार्टी भी इसके चपेट में आ जायेगी, यह किसी को नहीं मालूम था.

एक साल के भीतर पचास से अधिक झड़प, दर्जन भर से अधिक दंगे, एक ख़ास वर्ग के संभ्रात व्यक्तियों की हत्याएं एवं उन पर जानलेवा हमले, प्रशासनिक एवं न्यायिक  लापरवाही से वर्ग विशेष की संवेदनाओं से जुड़े मुद्दों को हाशिये पर डालना यह दर्शाता है कि प्रदेश की वर्तमान सरकार की डगर ना सिर्फ मुश्किलों भरी है बल्कि डगर अब बची भी है या नहीं इसका प्रश्न खड़ा हो गया है!

फैजाबाद की अदालत से पेशी के बाद वापस जेल ले जाते समय रास्ते में खालिद मुजाहिद की मौत ने एक बार फिर से अल्पसंख्यक समुदाय के भीतर उठ रहे ज्वार को हवा दी है. कुछ दिनों पहले ही कुंडा में हुई डिप्टी एस.पी. ज़ियाउल हक़ का मामला शांत नहीं हुआ था कि खालिद की मौत ने उत्तर प्रदेश के मुसलमानों को सड़क से लेकर विधानसभा तक फिर से ला खड़ा किया है.

Khalid's custodial assasination in Barabanki, Rihai Manch puts 12 point demand.

यूपी की अदालतों में हुए बम ब्लास्ट के बाद खालिद मुजाहिद समेत कई मुसलमान नौजावानो के स्पेशल टास्क फ़ोर्स के लोगों ने यह कहते हुए गिरफ्तार किया था कि ब्लास्ट के असली मुजरिम यही सब हैं. इस गिरफ्तारी पर मुहर बसपा सरकार ने लगा दी थी. मामला कोर्ट में विचाराधीन था और बाहर इस मामले को लेकर सियासत गर्म, इन गिरफ्तारियों एवं मुठभेड़ों में प्रदेश खासतौर से पूर्वांचल के मुस्लिम युवाओं को निशाने पर लेकर कार्यवाई हो रही थी.

बड़े पैमाने पर हुई गिरफ्तारियों पर लोगों ने सवाल उठाने शुरू किये पर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावाती ने एक ना सुनी. मुखिया के बड़े दरबारी नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने भी सूबे की उबलती सियासत को अदालत के हाथों छोड़ अपना दामन बचाए रखने में यकीन किया. एस.टी.एफ. लगातार मुसलमानों के घरों के दरवाज़े और खिड़कियाँ उखाड़ रही थी और प्रदेश की बसपा सरकार चैन से अपना कार्यकाल पूरा करने में व्यस्त थी.

चुनाव का दौर आया और प्रदेश भर में बसपा की इस तानाशाही के विरोध में मुस्लिम मतों का ध्रवीकरण हुआ और इसका सीधा लाभ बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को जेल से छोड़ने का वादा करने वाले वर्तमान सपा सरकार को मिला. सपा के क्रान्ति रथ पर सवार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुसलमानों के कथित हितैषी आज़म खान ने हर चौराहे और नुक्कड़ की सभा पर बसपा सरकार के दौर में हुए शोषण और अत्याचार की कहानी बयान करते और हालात को बेहतर बनाने के नाम पर सपा को वोट देने की अपील की, चूँकि बसपा ने पांच साल में ऐसा कुछ नहीं किया था जिससे अखिलेश और आज़म के वादों पर यकीन ना किया जा सके. शोषण की इबारत ने सियासत के झूठे वादों को एक बार फिर सच समझ कर अपना सब कुछ दांव पर लगा सपा को सत्ता सौंप दी!

सरकार बन जाती है. मंत्रालयों का बँटवारा भी हो जाता है. लेकिन घोषणापत्र में लिखी बातों पर अमल होने के बजाये उत्तर प्रदेश एक बार फिर से उसी जगह आ जाता है जहाँ पर बसपा सरकार ने उसे छोड़ा था. जिस परिवर्तन और क्रान्ति का सब्जबाग आम जनता को सपा ने दिखाया उसकी पोल उसी दिन खुलनी शुरू हो गयी.

जब प्रतापगढ़, फैजाबाद, मसूरी, कोसीकलां आदि में एक ख़ास वर्ग को दक्षिण पंथी विचारधारा के हाथों जलना पड़ा, कहीं कहीं तो लोहिया के समाजवादियों ने अल्पसंख्यक तबके के घरो एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों के साथ उनका समूल नाश करना चाहा जिसमें वो कुछ हद तक कामयाब भी हुए. प्रतापगढ़ में एक निर्दलीय विधायक एवं प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री ने प्रवीण तोगड़िया को मंच प्रदान करवाया तथा मुसलमानों को अपशब्द कहलवाए.

उसी पूर्व मंत्री पर जब एक पुलिस अधिकारी की ह्त्या का आरोप लगता है तो प्रदेश भर के हिन्दुत्ववादी नेता उसके समर्थन में प्रत्यक्ष रूप से आ जाते हैं. सपा ने अपने घोषणा पत्र में ऐसा वादा तो कहीं नहीं किया था फिर ऐसी परिस्थितियाँ कैसे बन गयी? यही सवाल राज्य की शांतिप्रीय जनता मुख्यमंत्री एवं उनके कैबिनेट से करना चाहती है!

पीलीभीत से भारतीय जनता पार्टी के सांसद की धमकियों और अपशब्दों का तो वीडियो फुटेज भी अदालत के पास था. और साथ में थी साम्प्रदायिक उन्माद की सारी दास्तान जिसे उत्तर प्रदेश में भाजपा विधानसभा चुनाव से पहले और उसके बाद लिखने का लगातार प्रयास करती रही.

दंगाई सियासत के विरोध के बल पर सरकार बनाने वालों ने ही दंगाई को अदालत से बरी करवा दिया. धार्मिक कट्टरता से जिस दल को हमने हमेशा से पाक साफ़ समझा था. उसी ने खुद से अपने हाथ गंदे कर लिए. यह यूपी की सियासत में घटी कोई मामूली घटना नहीं है.

भाजपा एवं सपा दो अलग अलग विचारधारा एवं समझ रखने वाले दल हैं जिनके मूल में ही एक दूसरे का विरोध करना रहा है  यदि वो पास आते हैं तो परदे के पीछे का सारा हाल खुद बा खुद जनता दरबार में आ जाता है. मुसलमानों का अहित चाह कर राजनीति करने वाली भाजपा का साथ यदि बाबरी मस्जिद का समर्थन करने वाले लोग देने लगे तो सवाल इतना बड़ा हो जाता है कि उसके जवाब अपने आप सामने आने लगते हैं!

राजनैतिक मजबूरियों से हम सब वाकिफ हैं. लेकिन उसका फायदा उठा कर यदि आप हर फैसले करने लगेंगे तो आपके होने का औचित्य ही फिर क्या है? केंद्र में पहुँचने की खातिर क्या यही एक रास्ता बच गया है? क्या मुसलमानों की ज़िन्दगी और उनके हालात सिर्फ फायदा उठाने के लिए हैं?

एक वर्ग जो समाजवादी पार्टी में विश्वास रखता है, उसके पीठ पर इस तरह चाकू घोंपा जाता है. एक समुदाय सिर्फ इसलिए आपके साथ पिछले बीस सालों से हैं, क्योंकि आपने अपने प्रारम्भिक दौर में उसे दंगाइयों से बचाया था और यह विश्वास उसी शुरुआत के दौर से बना हुआ है, लेकिन जिस यकीन पर इमारत इतनी बुलंद होती गयी. आज उसी की बुनियाद में समाजवादी पार्टी खुद से फावड़े चला रही है!

लगातार बिगड़ते हालात उनके समझ में नहीं आते जो सत्ता का सुख भोग रहे हों. उन्हें लगता है कि सब कुछ ठीक है. ठीक उसी तरह से जैसे केंद्र में राजनीति कर रही कांग्रेस को एहसास तक नहीं कि उसने घोटालों का जो बवंडर जनता के माथे फोड़ा है उससे उसे कोई नुक्सान नहीं होगा!

खालिद मुजाहिद की मौत तब होती है, जब उसे जस्टिस निमेष बेगुनाह क़रार देते हैं. खालिद की मौत के बाद फैजाबाद में उसके वकील पर जानलेवा हमला तब होता है. जब प्रदेश सरकार खालिद की अभिरक्षा में लगे पुलिस वालों को निलंबित कर देती है. ऐसे में सूबे का मुसलमान खुद को असुरक्षित और ठगा हुआ महसूस नहीं करेगा तो क्या करेगा?

प्रदेश के हालात अभी तक इस काबिल नहीं हुए हैं कि निकट भविष्य में आने वाले लोकसभा के चुनाव में मुस्लिम मतदाता सपा को सिर्फ इसलिए अपना बहुमत दे देंगे. क्योंकि सपा दंगाइयों के खिलाफ राजनीति करती आई है. अब यह किसी से छुपा नहीं रह गया है कि सपा भी इन दंगों में शामिल है, वह अप्रत्यक्ष ही सही… पीछे से ही सही पर हिस्सेदारी इन समाजवादियों की भी है इसमें इसमें कोई शक नहीं रहा!

नौकरशाही से लेकर छोटे स्तर पर उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार का निरंकुश अमला तैयार हो गया है. वह सपा के पक्ष में तो हरगिज़ भी ठीक नहीं है ना तो जनता के हित में. तो क्या यह मान ले कि इस बार के चुनाव से पहले हम सब की धर्म-निरपेक्षिता और सामाजिक एकता की ह्त्या वर्तमान सरकार के हाथों हो जायेगी. हालात तो ऐसे ही बना दिए गए हैं कि इससे इतर कोई दूसरा सवाल मन में अब आता ही नहीं!

(लेखक सामाजिक सरोकारों को लेकर गांधी सेवा मैडल से सम्मानित सक्रीय युवा स्वतंत्र पत्रकार हैं. लेखक से मोबाइल नंबर 09807-646407 पर संपर्क किया जा सकता है.)

TAGGED:communalism in uttar pradeshkhalid mujahid
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

Latest News

Urdu newspapers led Bihar’s separation campaign, while Hindi newspapers opposed it

May 9, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

OLX Seller Makes Communal Remarks on Buyer’s Religion, Shows Hatred Towards Muslims; Police Complaint Filed

May 13, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

Shiv Bhakts Make Mahashivratri Night of Horror for Muslims Across India!

March 4, 2025
Edit/Op-EdHistoryIndiaLeadYoung Indian

Maha Kumbh: From Nehru and Kripalani’s Views to Modi’s Ritual

February 7, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?