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खालिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी के लिए लखनऊ में अनिश्चित कालीन धरना

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या में नामजद वरिश्ठ पुलिस अधिकारियों को टर्मिनेट व गिरफ्तारी, निमेष आयोग की रिपोर्ट तत्काल जारी करने, आतंकवाद के नाम कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को तत्काल रिहा करने, फैजाबाद में रिहाई आंदोलन से जुडे़ वकीलों के हमलावरों को तत्काल गिरफ्तार करने को लेकर उत्तर प्रदेश के रिहाई मंच ने आज अनिश्चित कालीन धरना लखनऊ विधानसभा के सामने शुरु कर दिया है.

धरने में वक्ताओं ने कहा कि खालिद मुजाहिद की हत्या में आरोपी बनाए गए पुलिस अधिकारी विक्रम सिंह, बृजलाल, अमिताभ यश, मनोज कुमार झा, एस. आनंद, चिरंजीव नाथ सिन्हा इत्यादि को अब तक गिरफ्तार न करना सरकार की मुस्लिम विरोधी नियत को उजागर कर देता  है.

वक्ताओं ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते हैं कि खालिद मुजाहिद की मौत बीमारी से हुई है, वहीं पोस्ट मार्टम रिपोर्ट बताती है कि डाक्टर खालिद की मौत के किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रहे हैं कि उसकी मौत कैसे हुई, इससे अखिलेश का झूठ उजागर हो जाता है.  लेकिन मुख्यमंत्री को समझ लेना चाहिए कि प्रदेश की जनता को अब और बेवकूफ बनाना मुश्किल है और प्रदेश सरकार की उल्टी गिनती अब शुरु हो गई है.

indefinite dharna at Vidhan Sabha demanding arrest of police officers involved in Khalid Mujahid's murder

धरने में तय किया गया कि खालिद मुजाहिद की हत्या के बाद भी खामोश रहने वाले सपा के मुस्लिम विधायकों और सरकार के मुस्लिम मंत्रियों के घरों का घेराव किया जाएगा और साथ ही जो सपा समर्थक कथित उलेमा इस आंदोलन को कमजोर करने के लिए सत्ता की तरफ से गुमराह करने की कोशिश करेंगे तो उनकी भी खैर नहीं. क्योंकि यह आंदोलन तय करेगा कि हमारा शहीद मौलाना खालिद मुजाहिद बेकसूर था और पुलिस, एसटीएफ-एटीएस, आईबी और आतंकियों में गठजोड़ है.

फैजाबाद में रिहाई आंदोलन से जुड़े वकीलों पर हमले को सरकार द्वारा आंदोलन को कमजोर करने के लिए कराया गया हमला क़रार देते हुए वक्ताओं ने कहा कि यह महज़ इत्तेफाक नहीं है कि फैजाबाद का प्रशासनिक अमला इस हमले का मूक दर्शक बनी रही और एफआईआर दर्ज करने में आना-कानी करती रही, क्योंकि फैजाबाद के मौजूदा एसपी मनोज कुमार झा स्वंय खालिद की हत्या में नामजद किए गए हैं. जिन्होंने एसटीएफ में एडीशनल एसपी रहते हुए खालिद के पास से हथियार बरामद करने का दावा किया था. जिसे निमेष कमीशन ने फर्जी क़रार देते हुए खालिद को गलत तरीके से फंसाने वाले एसटीएफ अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई की सिफारिश की है.

वक्ताओं ने कहा कि अगर सपा सरकार में थोड़ी भी शर्म बची हो तो वह फैजाबाद के एसपी को तत्काल निलंबित कर दे. साथ ही इस धरने में सोशलिस्ट पार्टी ने अपने उपाध्यक्ष मो. शुएब की सुरक्षा की मांग भी सरकार के समक्ष रखी है.

इस धरने में रिहाई मंच के अध्यक्ष मो. शुएब, इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो. सुलेमान, रिहाई मंच के महासचिव पूर्व पुलिस महानिरिक्षक एस.आर. दारापुरी, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डे, अवामी काउंसिल के असद हयात, एपवा की ताहिरा हसन, वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह, आईपीएफ नेता और इलाहाबाद विश्वविधालय के अध्यक्ष लाल बहादुर सिंह, सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय मंत्री ओमकार सिंह, सोशलिस्ट फ्रंट नेता मो. आफाक, एसआईओ के प्रदेश अध्यक्ष साकिब, आइसा के प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील मौर्या, सुधांशु बाजपेयी, पीस पार्टी के मसूद रियाज, अखलाख, फरहान वारसी, हाजी सैय्यद फहीम सिद्दीकी, मुस्लिम संघर्ष मोर्चा के आफताब अहमद खान, सैयद मोईद अहमद, जैद फारुकी, प्रबुद्ध, तारिक शफीक, स्मार्ट पार्टी के शहजादे मंसूर अहमद, शिब्ली बेग, इशहाक, गोपल कश्यप, सलीम, मुमताज, केके श्रीवास्तव, हरे राम मिश्रा, सादिक, मो. समी, खालिद, वसीम, शान, के अलावा रिहाई मंच के शाहनवाज़ आलम, राजीव यादव आदि उपस्थित रहें.

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