BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर चल रहे रिहाई मंच के अनिश्चित कालीन धरने के छठे दिन संगठन ने उन कथित उलेमाओं को हुकूमत के पे रोल पर काम करने वाला क़रार दिया. जो उलेमा खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस कर्मियों की गिरफ्तारी की मांग या फिर अन्य बेगुनाह युवकों कि रिहाई को लेकर चल रहे किसी भी आंदोलन में नहीं रहते. पर सपा के लिए मुस्लिम वोट बैंक कैसे मैनेज करना है ये सियासत अच्छी तरह से जानते हैं.
रिहाई मंच ने कहा कि हम साफ कर देना चाहते हैं कि मौलाना खालिद को राज्य ने मारा है और मुआवजे से न्याय के सवाल को भटकाने से बाज आए कथित उलेमा. मंच ने कहा कि यह बड़े ही शर्म की बात है कि जो कथित उलेमा अखिलेश से मिलकर मुआवजे की राजनीति कर रहे हैं. वे आज तक कभी खालिद मुजाहिद के घर भी नहीं गए हैं.
वहीं मंच ने कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद के इस बयान कि खालिद की हत्या की जांच होनी चाहिए को सियासी नौटंकी करार देते हुए कहा कि जिस कांग्रेस हुकुमत का पंजा बटला हाउस फर्जी एनकाउंटर में आज़मगढ़ के दो निर्दोष लड़कों के खून से रंगा हो उसे पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए.
सरकार द्वारा रिहाई मंच के नेताओं को दिए गए सरकारी गनर को लौटाते हुए मंच ने कहा कि अगर हमें किसी से खतरा है तो उन एटीएस और आईबी अधिकारियों से है जिन्होंने खालिद को पहले तो फर्जी तरीके से पकड़ा और फिर मार डाला और जिनके खिलाफ कार्यवाई की मांग निमेष कमीशन की रिपोर्ट भी करती है. लिहाजा सरकार हमें सुरक्षा मुहैया कराने के बजाय खालिद की हत्या में आरोपी बनाए गए विक्रम सिंह, बृजलाल, मनोज कुमार झां, चिरंजीव नाथ सिन्हा, एस आनंद और आईबी अधिकारी जिनसे पूरा समाज असुरक्षित है को गिरफ्तार कर अपना राजधर्म निभाए.
धरने को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक रामलाल ने कहा कि खालिद की हत्या और दोषी पुलिस अधिकारियों बचाने से साबित हो गया है कि सपा 2014 का चुनाव सपा भाजपा के साथ अन्दरुनी सांठ-गांठ करके लड़ना चाहती है.
कौमी एकता दल के महासचिव तारिक शमीम ने कहा कि खालिद की हत्या में आईबी पर जो मुक़दमा दर्ज हुआ है और सपा जिस तरह से दोषियों को बचाने के लिए कथित उलेमाओं का प्रयोग करना चाहती है, उससे पूरा उलेमा समाज बदनाम हो रहा है.
उन्होंने कहा कि खालिद की हत्या की अगर निष्पक्ष जांच हो जाय तो तमाम आतंकी वारदातों में आईबी की भूमिका भी उजागर हो जाएगी. इसीलिए सीबीआई तक इस घटना की जांच करने से पीछे हट रही है.
लंबे समय से सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ रहे आदियोग, रामकृष्ण और आलोक अग्निहोत्री ने कहा कि आज जिस तेजी से राज्य कानून व्यस्था को सुधारने कि बात कर रहा है उसी तेजी से आतंकवाद के नाम पर मुस्लिम सहित पूरे वंचित समाज पर आतंक का ठप्पा भी लग रहा है. ऐसे में हम मुस्लिम समाज से चाहेंगे कि वो सफाई देने के बजाय राज्य से उसकी इस राजनीति पर सवाल उठाए. क्योंकि इस सवाल को मुसलमानों ने नहीं उठाया और इसका जिम्मा उन्होंने पेड मौलानाओं के जिम्मे छोड़ दिया जिसका हश्र यह हुआ कि आज पूरे मुस्लिम समाज को ही राज्य ने आतंकी घोषित कर शिकार कर रहा है.
वहीं राजीव यादव ने BeyondHeadlines से बातचीत में बताया कि सच तो है कि मुसलमानों को नरेन्द्र से कहीं ज़्यादा खतरा इन सपाई मौलाना व उलेमा से है, जो अखिलेश सरकार की दलाली कर रहे हैं. पूरा उत्तर प्रदेश जानता है कि इन्होंने कैसे कौम की दलाली करके अपने संपत्ति बनाए हैं. कैसे पैसों व पदों के खातिर सरकार की जी हज़ूरी करते हैं.
दूसरी तरफ फेसबुक पर चल रहे ऑनलाइन कैम्पेन पर भी उलेमा व मौलानाओं के सच सामने लाया जाने लगा है.
धरने के समर्थन में एसआई के विभिन्न जनपदों से आए नेताओं इमरुल कुरैशी, तैय्यब, मोहम्मद आमिर उस्मानी, आसिफ अकरम ने संबोधित करते हुए कहा कि खालिद के न्याय की लड़ाई को हम हर कीमत पर जीत कर रहेंगे और इसे लेकर हम राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चला रहे हैं.
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने कहा कि कल अनिश्चित कालीन धरने के सातवें दिन जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय दिल्ली के छात्र संघ के महासचिव शकील अंजुम और उपमंत्री पीयूष राज समेत कई छात्र नेता समर्थन में आएंगे.
धरने का संचालन रिहाई मंच आज़मगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने किया. धरने को रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब, सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे, नेलोपा के चौधरी चंद्रपाल सिंह, चैधरी मेहरबान अली, शहजादे, फैजाबाद के अहमद अली, सोशलिस्ट फ्रंट के आफाक, शहजादे मसूर, आज़मगढ़ के डा. फिरोज तलत, मो. उमर, उस्मान अली, इंडियन नेशनल लीग के मो. शमी, तारिक़ शफीक, हरे राम मिश्रा, इसहाक, आईपीएफ के दिनकर कपूर, मज़हर आजाद, मुसन्ना, शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने संबोधित किया.