श्रीनिवासन के मामले में इतना सन्नाटा क्यों है भाई!

Beyond Headlines
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Puja Singh for BeyondHeadlines

संदेह और सवालों को देखते हुए उचित यही है कि श्रीनिवासन तब तक के लिए अपना पद छोड़ दें, जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती. यह आश्चर्यजनक है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा क्रिकेट बोर्ड में अन्य कोई उन्हें ऐसी सलाह देने का भी साहस नहीं जुटा पा रहा है. दिलचस्प तो यह है कि इनमें वो पदाधिकारी शामिल हैं जो बड़े नेता भी माने जाते हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ खुलकर बोलते रहते हैं. कोई नहीं जानता कि बोर्ड अध्यक्ष के मामले में उनकी बोलती क्यों बंद है?

आखिर आम जनता यह क्यों न समझे कि वो स्वार्थो के चलते मौन धारण किए हुए हैं? बात केवल बोर्ड के पदाधिकारी नेताओं की ही नहीं है. बल्कि केंद्र सरकार की भी है. आखिर हर तरह के आरोपों से जूझ रहे क्रिकेट बोर्ड के मामले में सरकार यह कहकर अपना पल्ला कैसे झाड़ सकती है कि उसका इस मामले से कोई लेना देना नहीं? यह सही है कि सरकार को खेल संघों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए. लेकिन क्या तब भी जब वो अनैतिकता में लिप्त नज़र आ रहे हों?

Why so much silence in Shrinivasan matter

अब जब यह स्पष्ट है कि क्रिकेट बोर्ड के पदाधिकारी अपनी जिम्मेदारी समझने से जान बूझकर इन्कार कर रहे हैं तब सरकार को कुछ न कुछ सक्रियता तो दिखानी ही चाहिए. बोर्ड के पदाधिकारी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने श्रीनिवासन के त्यागपत्र की जो मांग की, उसे अन्य अनेक पदाधिकारियों का भी समर्थन मिलना चाहिए. यह हैरत की बात है कि अन्य पदाधिकारी यह जानते हुए भी मौन साधे हुए हैं कि श्रीनिवासन सट्टेबाजी के आरोप में फंसे अपने दामाद गुरुनाथ मयप्पन को बचाने के लिए झूठ बोल रहे हैं.

अब तो यह भी साबित हो चुका है कि उन्हें एक झूठ को छिपाने के लिए कई झूठ बोलने पड़ रहे हैं. उनकी मुश्किल इसलिए बढ़ती जा रही है. क्योंकि एक-एक कर उनके सारे झूठ बेनकाब होते जा रहे हैं. अब यह पूरी तौर पर स्पष्ट हो चुका है कि गुरुनाथ मयप्पन श्रीनिवासन के स्वामित्व वाली आइपीएल टीम चेन्नई सुपरकिंग्स के मुख्य कर्ताधर्ता थे. वह न केवल इस टीम के लिए खिलाड़ियों की बोली लगाने की प्रक्रिया में शामिल रहते थे बल्कि मैचों के दौरान हर वक्त टीम के साथ भी नज़र आते थे.

खुद आइपीएल आयुक्त की ओर से भेजे गए ईमेल यह बता रहे हैं कि मयप्पन चेन्नई सुपरकिंग्स के मालिक की हैसियत रखते थे. यह ठीक है कि क्रिकेट बोर्ड ने सट्टेबाजी-फिक्सिंग के आरोप से घिरे मयप्पन को निलंबित-प्रतिबंधित करने के साथ उनके खिलाफ जांच कराने की भी घोषणा कर दी है. लेकिन यह जांच तो बोर्ड के वही लोग करेंगे जिन्हें श्रीनिवासन की कृपा प्राप्त है.

आखिर श्रीनिवासन के तहत कार्य करने वाले लोग उनके दामाद के खिलाफ कोई सही जांच कैसे कर सकते हैं? यदि एक क्षण के लिए यह मान लिया जाए कि यह जांच सही तरीके से होगी तो भी यह संदेह तो बना ही रहेगा कि क्या जांच करने वालों ने अपना काम ठीक ढंग से किया? यदि ऐसा नहीं किया जाता तो इस खेल की साख को बचाना मुश्किल ही होगा.

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