BeyondHeadlines News Desk
अल्पसंख्यक प्रेम की हामी भरने वाले नीतिश के सुशासन में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार जारी है. एक ऐसी ही कहानी बिहार के वैशाली ज़िले के महुव्वा मुकुंदपुर की विधवा ज़ाहिदा खातून की है. दरअसल, उनकी ज़मीन पर भू-माफिया पुलिस के गठजोड़ से कब्जा करने की ताबड़तोड़ कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उन्हें जब कोई सफलता नहीं मिली, तब पहले तो इन्हें डाराया-धमकाया. फिर पुलिस की मदद से उन्होंने ने ज़ाहिदा खातून समेत उनके बेटों पर झूठे मुक़दमें दर्ज करा दिए. हर मामले में सुस्त रहने वाली बिहार पुलिस इस मामले में चुस्त नज़र आने लगी. इन्होंने भी इस विधवा को परेशान करना शुरू कर दिया. इस बेबस विधवा ने हर जगह इंसाफ की गुहार लगाई. लेकिन सफलता पाने में नाकाम रही. अब आखिरी उम्मीद के तौर पर राज्य के मुखिया नीतिश कुमार को पत्र लिखकर इंसाफ की उम्मीद जताई है. आप नीचे उसके द्वारा नीतिश कुमार को लिखे पत्र को देख सकते हैं:-
सेवा में,
श्री नितीश कुमार
मुख्यमंत्री, बिहार सरकार.
महाशय,
मै ज़ाहिदा खातून, पति- स्वर्गीय अब्दुल गफ्फार, बिहार के वैशाली जिले के थाना महुव्वा के अंतर्गत महुव्वा मुकुंदपुर की निवासी हूं. जहाँ मेरा परिवार पिछले पचास वर्षों से रह रहा है. जहाँ मेरा घर समेत ज़मीन जायदाद सब कुछ है. मै अपनी ज़मीन पर आज भी खेती करती हूँ जबके मेरी ज़मीन के चारों ओर घर बन चुके हैं. अतः मेरे इस ज़मीन की कीमत काफी बढ़ चुकी है जिसके कारण भू-माफियाओं की नज़र इस ज़मीन पर पड़ गई और फिर पिछले 6 महीने से भू-माफिया-पुलिस के घठजोड़ से कब्ज़ा करने की ताबरतोड़ कोशिश कर रहे हैं और एक से बढ़कर एक चाल चल रहे हैं .
पहले तो इन्होंने हमें डराया धमकाया जिसकी 9 फरवरी 2013 में पत्र लिख कर बिहार पुलिस आयुक्त सहित जिला स्तर के सभी अधिकारियों से शिकायत की गई. इस पर कोई कार्रवाई तो दूर, 21 मार्च 2013 को भू-माफियाओं ने पुलिस के घठजोड़ से सैंकड़ों की संख्या मे गुंडों के साथ मेरे ज़मीन पर कब्जा करने के लिए घर पर हमला कर दिया. इस हमले में मेरे बेटे महताब आलम और बहू को चाकू मार दिया गया, जिन्हें सरकारी हस्पताल में दाखिल कराया गया. जहाँ से बहू को 21 मार्च को ही छुट्ठी दे दी गई लेकिन बेटा महताब आलम की हालत गंभीर थी, जिसे 22 मार्च की शाम में छुट्ठी दी गई.
दूसरी ओर इतना सब कुछ होने के बाद भी पहले तो पुलिस एफआईआर दर्ज करने से इनकार करती रही लेकिन हल्ला हंगामा ज्यादह होने पर न चाहते हुए भी उन्हें एफआईआर दर्ज करनी पड़ी, जिसका एफआईआर न. 74/13 है, जिसमें अभिषेक चौधरी, राजेश सोनी, मुकेश रॉय, सूरज, मुन्टो चौधरी और अमित आदि के ख़िलाफ़ दफा 147, 447, 341, 323, 307, 379, 427, 504, 506 और 354 के तहत 21 मार्च की शाम ये मामले दर्ज किये गए.
ये मुक़दमा सिर्फ एक दर्खास्त पर दर्ज की गई. इसमें असल पीड़ित मेरे बेटे महताब आलम और बहू का बयान दर्ज नहीं किया गया, जबकि मेरे बेटे महताब आलम से 21 मार्च की शाम में हाजीपुर थाना के एक पुलिसकर्मी ने हस्पताल पहुँच कर बयान लिया और वहां से उसकी एक कॉपी महुव्वा थाने में भेजी गई. लेकिन महुव्वा थाना उस बयान के बुनियाद पर मुक़दमा बनाने के बजाय मेरे छोटे बेटे मोहम्मद वसीम अहमद, पिता अब्दुल गफ्फार के दर्खास्त पर मुक़दमा दर्ज कर दिया . इस मामले के दूसरे दिन जब भू-माफिया ज़मीन पर कब्ज़ा करने में असफल रहे एवं खुद को मुक़दमे में फंसते हुए देख कर एक SC/ST व्यक्ति को किसी प्रकार से अपने साथ जोड़ा, और उसे मेरे परिवार पर फर्जी मुक़दमा करने के लिए तैयार किया. सुधीर कुमार चौधरी (एस.सी) पिता नरेंद्र प्रसाद चौधरी भू- माफियाओं के लालचों में आकर SC/ST एक्ट के तहत मेरे परिवार एवं हमारे सहयोगियों पर फर्जी मामला दर्ज कराया.
22 मार्च 2013 को पुलिस को दिए गये अपने बयान में 24 वर्ष के सुधीर कुमार ने कहा कि मुझे महताब आलम, मोहम्मद लाडले, मोहम्मद वसीम, खुशबू खातून, मोहम्मद खुर्शीद, मोहम्मद गुलाब एवं पंकज आदि ने दिन के 2 बजे मारा पीटा, बुरा भला कहा और मेरे गले का हार निकाल लिया आदि-अनादि. इस फर्जी बयान पर मेरे बेटों के खिलाफ़ 24 मार्च 2013 को केस न. 80/13 के तहत मामला दर्ज किया गया जिनमे Sc/St Act 3 (X), 389, 147, 149, 341, 323, 427 और 148 दफा के तहत मुकदमा दर्ज किया गया.
जबकि ये स्पष्ट रहे कि महताब आलम को चाकू मार देने के कारण वो गंभीर रूप से घायल हो गए थे जिन्हें 22 मार्च 2013 की रात में हस्पताल से छुट्ठी दी गई थी. इसके बावजूद भी सुधीर कुमार के इस फर्जी बयान जिसे भू-माफियाओं ने किसी प्रकार से तैयार किया था, पुलिस ने सही बताते हुए मुक़दमे को सच बना दिया और आखिरकार 10 जून 2013 को निर्दोष मेरे बेटों महताब आलम और मोहम्मद लाडले को रात के लगभग 3 बजे घर से उठा लिया और सुबह जेल भेज दिया. जबकि एक दिन पहले यानी 9 जून 2013 को महुव्वा थाना के प्रभारी ने मेरे बेटे महताब आलम से ये कहते हुए कि तुम्हारे परिवार वालों पर तो फर्जी मुक़दमा दर्ज कराया गया है, तुम कुछ करो, मै बेल दिलवा दुंगा, लेकिन उसी रात को उसी थाना प्रभारी ने महताब आलम और मोहम्मद लाडले को घर से उठवा लिया और जेल भेज दिया.
वहीं दूसरी ओर मेरी तरफ से 21 मार्च 2013 के सच मुक़दमे में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई जबकि अधिकतर दफा गैरज़मानती था. लेकिन भू-माफियाओं और पुलिस की गठजोड़ इतनी मज़बूत है कि इन तमाम गैरज़मानती दफा के बावजूद इस मामले को नरम (सिथिल) कर दिया गया और तमाम आरोपी को ज़मानत दे दी गई.
आखिर एक फर्जी मुक़दमे को सही बता कर पुलिस एक बेक़सूर को रात के अँधेरे में उठा कर ले गई और जेल में डाल दिया गया. लेकिन एक सच और सही मुक़दमे के आरोपी को ज़मानत दे दी गई जो खुलेआम घूम रहे हैं और साथ ही साथ मेरे परिवार वालों को धमकी भी दे रहे हैं कि दो बेटे को जेल भिजवा चुका हूँ अगर अब भी ज़मीन छोड़ कर नहीं जाओगी तो सबको जान से मार दुंगा और हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा. क्यूंकि पुलिस पूरी तरह से भू माफियाओं का साथ दे रही है.
अतः श्रीमान से अनुरोध है कि इस फर्जी SC/ST ACT मुक़दमे की जांच पड़ताल कराई जाए ताकि मेरे बेक़सूर बच्चों को इन्साफ मिल सके.
धन्यवाद…
ज़ाहिदा खातून
महुव्वा मुकुंदपुर , थाना- महुव्वा
जिला वैशाली , बिहार
मोबाइल— 09031225075, 08797302860
Copy To: Mr. Abhyanand, DGP Bihar.
Mr. Amir Subhani, Home Secretary, Bihar.
Mr. Suresh Choudhary, SP, Vaishali, Bihar.