BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी, आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट पर सरकार द्वारा एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी कर दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को गिरफ्तार करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना 31वें दिन भी जारी रहा. आज क्रमिक उपवास पर रिहाई मंच इलाहाबाद के प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह, मो0 आरिफ़ और अनिल आज़मी बैठे.
धरने को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि इशरत जहां की मां शमीमा कौसर पर जिस तरह पिछले दिनों जान लेवा हमला करने की कोशिश की गई, उससे साफ हो जाता है कि आईबी समेत तमाम सुरक्षा एजेंसियां इंसाफ की इस लड़ाई को रोकने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं. वक्ताओं ने इशरत की मां की बहादुरी को सलाम करते हुए कहा कि राज्य मशीनरी एक मां के न्याय के संघर्ष से किस तरह बौखला गई हैं, इसका नजीर यह हमला है. लेकिन उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि इशरत के हत्यारों को सजा दिलाने की लड़ाई सिर्फ उनके परिवार की लड़ाई नहीं है बल्कि देश भर के मुसलमानों और लोकतंत्र पसंद अवाम की लड़ाई है और अवाम यह जंग एक दिन ज़रुर जीतेगी और मोदी समेत इशरत के तमाम हत्यारों को जेल जाना होगा.
धरने को संबोधित करते हुए वरिष्ठ वामपंथी संस्कृतिकर्मी व पत्रकार आदियोग ने कहा कि राज्य और केन्द्र सरकार दोनों मिलकर खालिद की हत्या की सीबीआई जांच इसलिए कराने से भाग रहे हैं कि इसमें खुफिया विभाग का जनविरोधी और कातिलाना चेहरा उजागर हो जाएगा. क्योंकि जब जांच होगी तो सिर्फ यही साफ नहीं होगा कि किस तरह आईबी ने तारिक और खालिद को फर्जी तरीके से पकड़ा, खालिद की हत्या करवाई बल्कि पिछले दस सालों में यूपी में हुए तमाम आतंकी घटनाओं के पीछे आईबी की भूमिका उजागर हो जाएगी. उन्होंने कहा कि खालिद के इंसाफ की लड़ाई अल्पसंख्यकों की लड़ाई नहीं है, बल्कि लोकतंत्र पसन्द लोगों की लड़ाई है.
धरने को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय भिक्षु संघ उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष भदन्त विजयशील थेरो ने कहा कि भारत में लोकतंत्र के संवैधानिक संरक्षण की जिम्मेदारी राष्ट्रीय ताज के रुप में अशोक चक्र की है और अशोक चक्र बुद्ध का प्रतीक है जिसका मौलिक अर्थ शांति, मैत्री और करुणा के विचारों का भारत है. पर खालिद की हत्या ने लोकतंत्र पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है.
धरने को सम्बोधित करते हुये रिहाई मंच इलाहाबाद के प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सपा हुकूमत पूरे प्रदेश में बैनर पोस्टर लगाकर 26 जून को 1975 में इंदिरा सरकार द्वारा इमरजेंसी लगाने के खिलाफ लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को सम्मानित करने की बात कर रही है. जबकि पूरे सूबे में एक साल में 27 दंगे, मुसलमानों को बीमारी और गर्दन काटने की धमकी देने वाले वरुण गांधी को न्यायालय से क्लीनचिट दिलवाकर, तीन निर्दोषों मुसिल्म नौजवानों की आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तारी, खालिद की हत्या, निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल न करके आतंकी वारदातों में संलिप्त पुलिस व आईबी के अधिकारियों को बचाकर देश की सुरक्षा को संकट में डालकर और औरैया से लेकर बलिया तक कब्रिस्तानों की जमीन को कब्जा करके मुस्लिम समाज के लिए एक तरह से आपातकाल की स्थिति पैदा कर दी गई है, जिससे सरकार का लोकतंत्र विरोधी चेहरा उजागर हो गया है.
उन्होंने कहा कि जो सरकार अपनी अभिरक्षा में बेगुनाह कैदियों की हत्या करवाती हो उसे लोकतंत्र में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.
धरने के समथर्न में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से आए अनिल आजमी और मोहम्मद आरिफ ने कहा कि जियाउल हक़ की हत्या के बाद एसओ आरपी द्विवेदी की हत्या से साफ हो गया है कि सूबे में कानून व्यस्था का नहीं बल्कि गुंडों का राज चल रहा है. जिस तरह जियाउल हक की हत्या में झूठ पकड़ने वाली मशीन से रघुराज प्रताप सिंह का टेस्ट हुआ है वैसी ही जांच अखिलेश यादव की भी होनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने झूठ बोला है कि खालिद की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है.
धरने को संबोधित करते हुए सोशलिस्ट फ्रंट के मोहम्मद आफाक ने कहा कि आज़म खान जैसे मिल्लतफरोश मंत्रियों को शहर की किसी इमारत के ग्रील टूट जाने और अपने फेसबुक की बहुत चिंता है. लेकिन खालिद के हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए चल रहे आंदोलन की मांगों पर उनके पास एक लफ्ज कहने के लिए नहीं है. आफाक ने कहा कि खालिद के इंसाफ की लड़ाई तो हम जीतेंगे ही 2014 में सपा का वजूद भी मिटा देंगे.
भारतीय एकता पार्टी (एम) के नेता सैयद मोईद अहमद ने कहा कि यह धरना मुस्लिम विरोधी सपा सरकार के ताबूत में आखिरी कील का काम करेगा. क्योंकि अब मुसलमान मुलायम के असली सांप्रदायिक चेहरे से वाकिफ हो गया है.
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि 25 जून 2013 को लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति व सामाजिक कार्यकर्ता रुपरेखा वर्मा के नेतृत्व में महिला संगठन धरने के समर्थन में आएंगे.
धरने का संचालन रिहाई मंच के नेता हरे राम मिश्र ने किया. धरने को रिहाई मंच के अध्यक्ष मो0 शुएब, रिहाई मंच इलाहाबाद के प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह, इलाहाबाद से मो0 आरिफ, अनिल आजमी, अवामी काउंसिल के महासचिव एडवोकेट असद हयात, सोशलिस्ट फ्रंट के मो0 आफाक, शुएब, जैद अहमद फारुकी, शमीम वारसी, पिछड़ा महासभा के एहसानुल हक मलिक, भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोइद अहमद, पीस पार्टी के शम्स तबरेज खान, इशहाक, आदियोग, फैज, अमित मिश्रा, इंडियन जस्टिस पार्टी के इसराउल्ला सिद्दीकी आदि शामिल हुए.