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आज आईबी प्रमुख आसिफ इब्राहिम का पुतला फूंका गया

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी, आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट पर सरकार द्वारा एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी कर दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को गिरफ्तार करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना 25वें दिन भी जारी रहा. आज क्रमिक उपवास पर कमर सीतापुरी बैठे.

विधान सभा धरना स्थल पर सोशलिस्ट फ्रंट ऑफ इंडिया के नेता मो0 आफाक ने आईबी प्रमुख आसिफ इब्राहिम का पुतला फूंकते हुए कहा कि इस देश में आतंकवाद को फैलाने का काम आईबी ही कर रही है, आज जब यह साफ हो गया है कि इशरत जहां के फर्जी मुठभेड़ में आईबी अफ़सर राजेन्द्र कुमार का हाथ था तो देश की सुरक्षा के लिए जिस खुफिया एजेंसी को ऐसे देशद्रोही तत्वों को गिरफ्तार कर खुद जेल भेज देना चाहिए था, उसके प्रमुख आसिफ इब्राहिम द्वारा राजेन्द्र कुमार को संरक्षण देना यह साफ करता है कि ऐसी घटनाओं में आईबी की संलिप्तता आम हो गई है जिसे आईबी के अफसर अपराध नहीं मानते हैं.

effigy of IB chief burntरिहाई मंच के अध्यक्ष मो0 शुऐब ने ने बताया कि प्रशासन ने अनिश्चित कालीन धरने को समाप्त करने की बात की जिस पर हमने साफ कहा है कि जब तक हमारी मांगों को माना नहीं जाता और खालिद के हत्यारे दोषी आतंकी पुलिस व आईबी अधिकारी जिन्हें निमेष कमीशन ने भी दोषी कहा है को जब तक सरकार निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर एक्शन टेकन रिपोर्ट लाते हुए गिरफ्तार नहीं करती तब तक हम मौलाना खालिद के न्याय के लिए लखनऊ विधान सभा धरना स्थल पर अनिश्चित कालीन धरने को चलाते रहेंगे. क्योंकि यह मामला सिर्फ मौलाना खालिद तक सीमित नहीं है बल्कि देश की सुरक्षा से जुड़ा है, क्योंकि इन दोषी आतंकी पुलिस व आईबी अधिकारियों का आतंकवादी वारदातों में संलिप्ता पुख्ता प्रमाणित हो चुकी है.

मो0 शुऐब ने कहा कि अवाम के बल पर अन्याय के खिलाफ न्याय के लिए इस लड़ाई में अंतिम दम तक लड़ा जाएगा. प्रशासन के आग्रह पर अनिश्चित कालीन धरने के 25वें दिन फिर से हमने एक चौदह सूत्री मांग पत्र मुख्यमंत्री के नाम भेज दिया है.

अनिश्चित कालीन के धरने के समर्थन में मेरठ के डेमोक्रेटिक वेलफेयर सोसाइटी सिविल कोर्ट सहारनपुर के वकीलों का समर्थन लेकर आए अधिवक्ता अमजद अली खान ने कहा कि खालिद मुजाहिद की हत्या के बाद इस बात का संदेह होने लगता है कि हम लोकतंत्र में ही जी रहे हैं या फिर किसी तानाशाही राज्य में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में जिस तरह से सरेआम हत्याएं हो रही हैं वह यह साबित करती हैं कि इस राज्य में प्रशासन के कर्मचारी तो दूर आम जनता तो कत्तई सुरक्षित नहीं है.

धरने को संबोधित करते हुए भाकपा माले के वरिष्ठ नेता व इंकलाबी मुस्लिम कांफ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सलीम ने कहा कि हिन्दुस्तान में पूंजीपतियों की बाधा बनने वालों के खिलाफ कानून बना दिए जाते हैं. बिल गेट्स व चेल्सी क्लिंटन फाउंडेशन के साथ उत्तर प्रदेश सरकार का समझौता कब खत्म होगा? सोनभद्र व मिर्जापुर के वनवासियों व आदिवासियों को नक्सली बताकर हत्या की जा रही है, गन्ना मिलों ने किसानों का भुगतान नहीं किया. किसानों पर लाठी गोली चल रही है. अकलियत के नौजवानों का ठंडे दिमाग से कत्ल किया जा रहा है. किसानों मजदूरों के बेटों को जेलों में डाल दिया गया है. किसानों व मुसलमानों के साथ अखिलेश सरकार ने धोखा दिया है. किसान हिंदू या मुसलमान नहीं होता है.

राष्ट्रीय भागीदारी आंदोलन के संयोजक पीसी कुरील और पिछड़ा महासभा के एहसानुल हक मलिक ने कहा कि खालिद मुजाहिद की हत्या की घटना न्याय की हत्या है. सपा बताए कि क्या निर्दोषों को छोड़ देने की बातें फर्जी थीं या सिर्फ वोट पाने के लिए मुसलमानों के साथ एक क्रूर लफ्फाजी थी. उन्होंने साफ कहा कि इस लफ्फाजी की कीमत सपा को चुकानी पड़ेगी.

धरने के समर्थन में फरुखाबाद से युवा पीढ़ी समाचार पत्र के संपादक योगेन्द्र यादव और इंडियन नेशनल लीग के प्रदेश अध्यक्ष मो0 समी ने कहा कि खुफिया एजेंसियां, एसओजी व एटीएस बिना नम्बर प्लेट की गाडि़यों व बिना वर्दी हथियारों का प्रदर्शन कर पूरे समाज को आतंकित किए हुए हैं. यह हाल पूरे देश का है. कश्मीर घाटी से लेकर पूर्वोत्तर तक आज बंदूकों के साए में आम जनता को जीने को मजबूर कर दिया गया है, ऐसे मे यह लड़ाई सिर्फ खालिद के न्याय तक सीमित नहीं है.

रिहाई मंच के नेता व अवामी काउंसिल के महासचिव असद हयात ने कहा कि 23 जून 2012 और 23 जुलाई 2012 को सपा के राज में जनपद प्रतापगढ़ के अस्थान ग्राम में मुसलमानों के मकानों को लूटा व जलाया गया था. इस घटना के बाद पीडि़तों को जो सहायता राशि दी गई वह अपर्याप्त थी और बहुत से पीडितों को कुछ भी नहीं मिला था. 23 जुलाई 2012 की घटना के संबन्ध में कुछ भी क्षतिपूर्ति राशि पीडि़तों को नहीं दी गई थी, माननीय उच्च न्यायालय द्वारा यह आदेश दिया गया था, कि पीडि़त व्यक्ति राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष मुआवजे के लिए अपना आवेदन कर सकते हैं. अतः राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष पीडि़तों के नुकसान का आकलन कराने और उन्हें मुआवजा दिलाने के संबन्ध में पीडि़तों को साथ लेकर आवेदन प्रस्तुत किया गया है.

धरने को संबोधित करते हुए पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता हरे राम मिश्रा ने कहा कि जिस तरह से समूची व्यवस्था ही संकट में है और उसके हुक्मरान राज्य प्रायोजित आतंकवादक के माध्यम से आम जनता के बीच भय पैदा करके इस सड़ी गली व्यवस्था को बचाने में सत्ता के हुक्मरान जुटे हैं एक साजिश के तहत देश के अल्पसंख्यक मुसलमानों को राज्य प्रायोजित आतंकवाद के माध्यम से धमकाया जा रहा है.

धरने का संचालन लक्ष्मण प्रसाद ने किया. धरने में मुस्लिम संघर्ष मोर्चा के आफताब अहमद, मो0 शुएब, जैद अहमाद फारुकी, मौलाना कमर सीतापुरी, मुस्लिम फोरम के डा0 आफताब, मो0 फैज, पीस पार्टी रिजवान अहमद, जुबैर जौनपुरी, आमिर महफूज, रामकुमार शुक्ल, अमजद अली खान, अश्विनी कुमार, हरिश्चन्द्र विश्वकर्मा, इसरारउल्ला सिद्दीकी, इलियास अहमद अंसरी, शमीम वारसी, एडवोकेट मो0 आलम, गुलाम रसूल, डीवाईएफआई के सत्य भान सिंह, खगेन्द्र, सियाराम सोनकर और राजीव यादव शामिल रहे.

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