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कोसी कलां दंगे और आतंकी विस्फोटों की हो सीबीआई जांच

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी, निमेष आयोग की  रिपोर्ट पर तत्काल अमल करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने की मांग के साथ चल रहा रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना आज 40 वें दिन भी जारी रहा.

आज धरने में सोशलिस्ट फ्रंट ऑफ इंडिया के सैकड़ों कार्यकर्ता जुलूस की शक्ल में सरकार विरोधी नारे लगाते हुए, खालिद के हत्यारों को गिरफ्तार करों की मांग करते हुए लाल बाग स्थित नावेल्टी सिनेमा से नगर निगम जिपीओ होते हुए रिहाई मंच के धरने में शामिल हुए. आज उपवास पर रिहाई मंच के नेता राजीव यादव बैठे.

धरने से वक्ताओं ने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति और नस्लभेद के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक नेल्सन मंडेला के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की.

DSC09911रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने कहा कि हमने कोसी कलां दंगों के बाद बराबर मांग की कि इस घटना की सीबीआई से जांच कराई जाय क्यों कि इसमें जिस तरह गुजरात की तरह दो जुड़वा भाइयों कलुवा और भूरा को जिंदा जलाया गया वो साफ करता था कि इस घटना के पीछे एक बड़ी साजिश थी. पिछली 30 मई को जिस तरह से कोसी कलां में हुए आतंकी धमाकों के बाद हिन्दुत्वादी आतंकियों का नाम सामने आया उसने इस बात को सिद्ध कर दिया है कि मथुरा जैसे धार्मिक नगरी जो सांप्रदायिक तनाव के मद्नजर संवेदनशील है, वहां एक बड़ा हिन्दुत्वादी आतंकियों का माड्यूल काम कर रहा है.

उन्होंने कहा कि कोसी कलां दंगे की साजिश पांच रोज़ पहले वृंदावन में रची गई थी. जहां आरएसएस की तीन दिवसीय मीटिंग हुई थी. उसमें शरीक होकर नगर के भगवत प्रसाद रुहेला, भगवत अचार वाला, बंटी बीज वाला, लांगुरिया बैण्ड मास्टर, मुकेश गिडोहिया आदि आरएसएस, बजरंगदल और भाजपा के लोगों ने एक जून को कोसी कलां की सांप्रदायिक एकता को नेस्तानाबूद कर दिया.

इस सिलसिले में 31 मार्च 2013 को जस्टिस राजेन्द्र सच्चर ने रिहाई मंच की रिपोर्ट को जारी करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी मुलाकात की थी. पर अखिलेश यादव ने इतने संवेदनशील मुद्दे पर अगंभीरता का परिचय देते हुए दूसरे दिन यह बयाना जारी करवा दिया कि जस्टिस राजेन्द्र सच्चर ने उनकी सरकार की बड़ाई की, जिसको राजेन्द्र सच्चर ने मीडियाकर्मियों के माध्यम से खारिज करते हुए यह बात कही थी कि हमने अखिलेश यादव से कहा था कि यूपी में मुसलमान लगातार दंगे झेल रहा है तो कहीं बेगुनाह आतंकवाद के नाम पर जेलों में बंद हैं.

रिहाई मंच ने अखिलेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर उस समय सरकार ने इस बात पर ध्यान दिया होता तो ये हिन्दुत्वादी आतंकी पहले ही पकड़ लिए गए होते पर सरकार ने ऐसा नहीं किया बल्कि इन हिन्दुत्वादी आतंकियों को संरक्षण देने का काम किया. ऐसे में जब साफ हो गया है कि कोसी कलां में हुए सांप्रदायिक दंगे और पिछले दिनों हुए धमाकों में हिन्दुत्वादी आतंकियों की भूमिका है, तो ऐसे में सरकार तत्काल ओछी राजनीति से ऊपर उठकर इस पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच कराए.

धरने को संबोधित करते हुए इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि प्रदेश के अपर महाधिवक्ता यह कहकर कि निमेष कमीशन की रिपोर्ट आगामी विधान मंडल सत्र में पेश कर दिया जाएगा, मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं, क्योंकि मुसलमाना निमेष कमीशन की रिपोर्ट के सत्र में रखने का इंतजार नहीं बल्कि उसकी सिफारिशों पर अमल का इंतजार कर रहा है.

अगर सरकार या सपा के मुस्लिम नेता सिर्फ यह कह कर कि रिपोर्ट सत्र में आ जाएगी, मुसलमानों को गुमराह करने की सोच रहे हैं तो उन्हें इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए. मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि जिस तरह इशरत जहां की हत्या में शामिल आईबी को गृह मंत्रालय बचाने की कोशिश कर रहा है कि उससे साफ हो जाता है कि यूपीए हुकूमत भारत को एक पुलिस स्टेट में तब्दील कर देना चाहती है, जहां आईबी जैसी आपराधिक हत्यारी संगठन को निर्दोषों की हत्या कर देने की खुली छूट होगी और उसके हत्यारे अधिकारियों को कानून से ऊपर रखा जाएगा. लेकिन अवाम ऐसा नहीं होने देगी.

धरने को संबोधित करते हुए सोशलिस्ट फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष मो0 आफाक ने कहा कि खालिद के न्याय की लड़ाई को लेकर चल रहे अनिश्चित कालीन धरने का आज 40वां दिन है और जिस तरह आज इस भारी बारिश के बीच पुराने लखनऊ के विभिन्न मुहल्लों से सैकड़ों महिलाएं और बच्चे निकलकर विधान सभा के सामने जमे हुए हैं वो साफ कर रहा है कि सपा सरकार के वादा खिलाफी के खिलाफ अब यह जंग और तेज होगी.

अखिलेश यादव जितना भी मानूसन सत्र टालें पर हमने यह ठान लिया है कि न्याय नहीं तो फिर सरकार नहीं और इस सरकार को हम 10 जुलाई को जिस दिन रिहाई मंच के अनिश्चित कालीन धरने का पचासवां दिन है उस दिन जो हुजूम पूरे प्रदेश से विधान सभा पर आएगा वो सरकार की चूलें हिला देगा.

धरने के समर्थन में फैजाबाद से आए मुस्लिम मजलिस के नेता एडवोकेट नदीम सिद्दीकी, बरेली से एडवोकेट मोहम्मद वसी, मुरादाबाद से आए हफीजुर्रहमान और मिर्जापुर से आए एखलाक अहमद ने कहा कि न्याय बिना जम्हूरियत को बचाना मुश्किल है और यह पूरी लड़ाई न्याय की उस राजनीति को स्थापित करने की लड़ाई है जिससे एक बेहतर निजाम को कायम किया जा सके. ऐसे में इस लड़ाई में अगर जिस तरह से अखिलेश सरकार हल करने के बजाय भाग रही है और जो मानसून सत्र जून में होता था उसके अब तक न होना यह बात सिद्ध कर रहा है कि खालिद के न्याय को लेकर सरकार एक आपराधिक साजिश रच रही है.

पिछले दिनों फैजाबाद में हिन्दुत्वादी और सपाई गुंडों द्वारा जानलेवा हमले के शिकार एडवोकेट नदीम ने कहा कि जो लोग कह रहे हैं कि सरकार का खालिद की हत्या में कोई भूमिका नहीं है, मैं उनसे पूछना चाहता हूं की तब सरकार खालिद को न्याय देने से क्यों भाग रही है ?

धरने का संचालन रिहाई मंच के नेता शाहनवाज़ आलम ने किया. धरने में आईयूएमएल के इस्तियाक अहमद अंसारी, सोशलिस्ट फ्रंट के जिला अध्यक्ष उस्मान अली, शुऐब, मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारुकी, भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोइद अहमद, हाजी फहीम सिद्दीकी, शमीम वारसी, कानपुर से आए नदीम, फैज, मो0 शादाब, फैसल, हाजी मसीद कादरी, इस्तियाक, नागरिक अधिकार के रफी अहमद खान, शाहनवाज आलम और राजीव यादव मौजूद रहे.

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