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आर.डी. निमेष कमीशन रिपोर्ट पीसीपीटी द्वारा जनहित में जारी

सरकार की रहस्यमय चुप्पी के बाद पीसीपीटी ने आज दिल्ली में मीडिया के सामने आर.डी. नमेष कमीशन रिपोर्ट जनहित में जारी किया…

A. N. Shibli for BeyondHeadlines

भारतीय इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ है कि जब किसी आयोग की रिपोर्ट को सरकार पहले ही किसी संगठन या व्यक्ति जारी कर दिया हो. आज नई दिल्ली में कुछ ऐसा ही हुआ.

उत्तर प्रदेश में तारिक कासमी और खालिद मुजाहिद की विभिन्न धमाकों के आरोप में गिरफ्तारी के बाद हर तरफ से उनके गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज़ उठने लगी थी तो तत्कालीन बसपा ने इसकी जांच के लिए आर. डी. नमेष आयोग का गठन किया. इस आयोग ने 9 महीने पहले अपनी रिपोर्ट दी, लेकिन उत्तर प्रदेश की वर्तमान अखिलेश सरकार ने रिपोर्ट को न तो उसे जारी किया और न ही उस पर किसी तरह की किसी कार्रवाई का आश्वासन दिया.

सरकार की इसी रवय्ये से नाराज होकर मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी के खिलाफ काम कर रही संस्था पीपुल्स कैंपेन अगेंस्ट पॉलिटिक्स ऑफ टेरर (पीसीपीटी) ने आज इस रिपोर्ट को जनहित में जारी कर दिया.

PCPT RELEASE RD NIMESH COMMISSION REPORT IN PUBLIC INTEREST

मीडिया के सामने इस रिपोर्ट को जारी करने के समारोह के दौरान अतुल कुमार अंजान ने कहा कि हो सकता है कि इस रिपोर्ट को जारी करने के कारण हमें कानूनी जटिलताओं का सामना करना पड़े, मगर चूंकि यह न्याय का मामला है और किसी के जीवन से जुड़ा हुआ है. इसलिए हम आज उसे सार्वजनिक करने का फैसला किया.

आगे उन्होंने कहा कि अब जबकि हमने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है तो अब हमें देखना है कि उत्तर प्रदेश अखिलेश यादव सरकार क्या कार्रवाई करती है? उन्होंने कहा कि केवल निमेष आयोग की रिपोर्ट ही नहीं बल्कि यह तमाम सरकारों की जिम्मेदारी है कि वह जब किसी मामले के बाद आयोग का गठन करे तो उसकी रिपोर्ट जारी भी करे और उस पर कार्रवाई भी करे.

इस अवसर पर राज्यसभा सांसद मोहम्मद अदीब ने कहा कि जब सरकार किसी मामले में आयोग का गठन करती है तो अंत में कार्रवाई क्यों नहीं करती? उन्होंने कहा कि यह कितने दुख की बात है कि सरकार देर करते-करते खालिद मुजाहिद की मौत हो गई, लेकिन सरकार ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया. उन्होंने न कहा कि यह सरकार के अलावा बड़े अधिकारियों को भी पता है कि निमेष आयोग की रिपोर्ट में यह बात साबित हो चुकी है कि गिरफ्तारी गलत थी और इस संबंध में कई बड़े अधिकारियों को नुक़सान हो सकता है, इसलिए इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने में कोताही बरती गई और अब तक इसे सार्वजनिक नहीं किया गया.

मो. अदीब ने आगे कहा कि अब जबकि हमने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है, तो ऐसे में अब अगली कोई भी सरकार अगर किसी मामले में आयोग का गठन करेगी तो कम से कम उसकी रिपोर्ट अवश्य आम करेगी और संभव है कि उस पर कार्रवाई भी करेगी. मो. अदीब ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि आखिर मुलायम सिंह यादव को आयोग की रिपोर्ट जारी करने में समस्या है.?

पीसीपीटी के अहम सदस्य और वरिष्ठ पत्रकार अजीत साही ने कहा कि दरअसल, यह सारा मामला राजनीति का है. समाजवादी पार्टी को पता है कि मुस्लिम वोट कहीं नहीं जाएगा. इसलिए मुसलमानों की नाराजगी की परवाह नहीं करते हुए एक खास वर्ग की परवाह कर रही है, जिसके खिलाफ आयोग की रिपोर्ट ने कार्रवाई की  बात कही है. अगर उनके खिलाफ कार्रवाई होती तो मुलायम की पार्टी को 2014 में नुक़सान होगा, इसलिए सरकार ने न तो रिपोर्ट को सार्वजनिक किया और न ही किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई.

उन्होंने न कहा कि यह एक सच्चाई है कि खालिद मुजाहिद निर्दोष थे और तारिक कासमी भी निर्दोष हैं. सरकार को चाहिए वह अब जीवित तारिक कासमी को तुरंत रिहा करे और उसे मुआवज़ा दे और सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करे जो इन दोनों की ज़िन्दगी को खराब कर दिया. उन्होंने आगे कहा कि अगर मुलायम सिंह ने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की तो उन्हें खामियाजा 2014 चुनाव में भुगतना पड़ेगा.

पीसीपीटी के कन्वेनर अमीक जामई ने कहा कि एक तो सरकार ने निमेष आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया और दूसरा इन दो निर्दोषों में से एक को साजिश के तहत हत्या कर दी गई तो भी उत्तर प्रदेश सरकार गंभीरता का प्रदर्शन नहीं कर रही है और ऐसा कोई संभावना नज़र नहीं आ रहा कि इस संबंध में सरकार किसी कार्रवाई के मूड में है.

पीसीपीटी के अहम सदस्य व युवा पत्रकार अफ़रोज़ आलम साहिल ने इस अवसर पर कहा कि हमने खालिद मुजाहिद की मौत के बाद इस संबंध में छह प्रश्नों पर आधारित आरटीआई डाली है और हमें जब इसके जवाब मिल जाएंगे तो और भी बहुत सी बातें सामने आ जाएंगी. अफ़रोज़ ने एक महत्वपूर्ण सवाल यह उठाया कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि खालिद मुजाहिद निर्दोष थे या दोषी? अगर दोषी थे तो उनके लिए मुआवजे की घोषणा क्यों किया गया? और अगर निर्दोष थे तो उन्हें रिहा क्यों नहीं किया गया? इसके साथ अफ़रोज़ ने इस अवसर पर इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि खालिद मुजाहिद की मौत के खिलाफ लखनऊ में रिहाई मंच के हमारे साथी धरने पर बैठे हैं, उन्हें कुछ बिके हुए मौलवी बहकाने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि सरकार की दलाली कर रहे हैं. हमें इनके असली चेहरे को पहचान कर उनका बायकाट करना चाहिए.

पीसीपीटी के अब्दुल हफीज़ गांधी ने कहा कि पीसीपीटी शुरू से बेगुनाहों की लड़ाई लड़ रही है और इस संबंध में हमें फायदा मिल रहा है. उन्होंने कहा कि ज़रूरत इस बात की है कि निमेष आयोग की इस रिपोर्ट अधिकतम लोगों के हाथों में पहुंचाया जाए ताकि सरकार जहां एक ओर इस रिपोर्ट को मानने को मजबूर हो, वहीं पर कार्रवाई भी संभव हो सके.

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