India

पुलिस का मुस्लिम विरोधी रवैया लोकतंत्र के लिए खतरनाक

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी, निमेष आयोग की रिपोर्ट पर तत्काल अमल करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने की मांग के साथ चल रहा रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना आज 37वें दिन भी जारी रहा.

आज उपवास पर मोहम्मद फैज़ बैठे. वहीं पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मोहम्मद इस्माइल ने पचासों कार्यकर्ताओं के साथ रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने में शिरकत की और उसे अपना समर्थन दिया.

Police attiude against Muslim's is a danger for democracyइस दौरान मोहम्मद इस्माईल ने कहा कि आजादी से पहले हिंदुत्ववादियों ने मुसलमानों को गद्दार के बतौर प्रचारित किया. आजादी मिलने के बाद उन्होंने हमें पाकिस्तानी एजेंट कहकर बदनाम करने की कोशिश की और 1990 के बाद मुसलमानों को आतंकवादी कहकर पुकारा जा रहा है. मुसलमानों के खिलाफ यह एक सुनियोजित षडयंत्र है, जो साम्राज्यवादी देशों और साम्राज्यवाद के दलाल भारतीय सत्ताधारियों द्वारा रचा जा रहा है.

इस षडयंत्र के ज़रिए आज खालिद मुजाहिद और क़तील सिद्दीकी जैसे बेगुनाह नौजवानों को आतंकवादी बताकर पहले पकड़ा जाता है और जब उनके खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिलता तब उन्हें जेलों के अंदर क़त्ल कर दिया जाता है.

तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से आए पीएफआई के नेता इस्माइल ने कहा कि सिर्फ दिल्ली में ही 60 से ज्यादा मुस्लिम नौजवानों को कुछ सालों के अंदर ही आतंकवादी बताकर फर्जी मुठभेड़ों में मारा गया है तो वहीं दिल्ली के सुरक्षित जेलों में भी मुसलमानों का कत्ल किया जाता रहा है. जिस पर पक्ष-विपक्ष समेत तमाम संवैधानिक संस्थाएं खामोश रही हैं जो दिखाता है कि देश किस दिशा में जा रहा है.

इतना ही नहीं, देश में कोई ऐसा कानून अथवा ऐसी एजेंसी नहीं है जो बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को फर्जी मुक़दमों में फंसाए जाने वाले पुलिस के आरोप-पत्र के लेखन की जांच करे और दोषी अधिकारियों को न्याय के दायरे में लाए.

पीएफआई के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अंसारुलहक ने कहा कि भारतीय पुलिस की मानसिक प्रवृत्ति सांप्रदायिक हो चुकी है. इसीलिए किसी भी आतंकी वारदात में उसकी जांच की दिशा सिर्फ मुसलमानों की तरफ ही होती है और तमाम निर्दोष मुसलमान जेलों में बंद कर दिए जाते हैं या फिर खालिद मुजाहिद की तरह मार दिए जाते हैं. पुलिस की इस जेहनियत को बिना बदले भारत के भविष्य को नहीं बचाया जा सकता.

बहराइच से आए पीएफआई के नेता नजमुज्ज़मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की हुकूमत में जिस तरह 27 दंगे हुए हैं, उससे तय हो गया है कि सपा अब आरएसएस की गोद में बैठ गई है और 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ अंदरूनी तालमेल से चुनाव लड़ने जा रही है.

धरने का समर्थन करते हुए सहारनपुर से आई महिला सामाजिक कार्यकर्ता शाहीन अंसारी ने कहा कि जब कोई निर्दोष मुस्लिम नौजवान आतंकवाद के आरोपों में पकड़ा जाता है तो सबसे ज्यादा संकट उस घर की महिलाओं के साथ आ जाती है क्योंकि जो लोग पकड़े जाते हैं, वे अधिकतर घर के कमाने वाले पुरुष होते हैं. उन्होंने कहा कि सरकारों ने आतंकवाद के नाम पर निर्दोष मुस्लिम नौजवानों को फंसाकर बहुत से घरों को तबाह कर दिया है.

वहीं इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि गुजरात में जिस तरह सादिक जमाल मेहतर के फर्जी मुठभेड़ मामले में आईबी के उपर सीबीआई का शिकंजा कसता जा रहा है, उससे साफ हो जाता है कि बहुत जल्द आईबी की सांप्रदायिक और आपराधिक कारगुजारियों का भंडा फूट जाएगा और उसके अधिकारी सलाखों के पीछे होंगे.

उन्होंने कहा कि अब तो राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, जो एक संवैधानिक संस्था है, के अध्यक्ष तक आतंकी वारदातों में बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को फर्जी तरीके से फंसाए जाने की बात कहने लगे हैं. लेकिन बावजूद इसके अगर सरकारों के कान पर जूं नहीं रेंगती तो समझा जा सकता है कि सरकारें किस हद तक मुस्लिम विरोधी मानसिकता से ग्रस्त हो चुकी हैं.

धरने के दौरान भारतीय एकता पार्टी के नेता सैय्यद मोइद और सोशलिस्ट फ्रंट ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद आफाक ने कहा कि सूबे की सरकार विधानसभा का सत्र चलाने से घबरा रही है और इसीलिए उसे और लंबा टालना चाहती है क्योंकि उसे खालिद की हत्या और निमेष आयोग की रिपोर्ट के अमल पर जवाब देना पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि रिहाई मंच के धरने में जिस तरह प्रदेश के अलग-अलग जिलों से प्रतिनिधि आ रहे हैं, उससे समझा जा सकता है कि खालिद की हत्या को लेकर पूरे प्रदेश के मुसलमानों में आक्रोश व्याप्त है.

इस दौरान बोलते हुए मुस्लिम मजलिस के प्रवक्ता जैद अहमद फारुकी, इंडियन नेशनल लीग के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद समी और शहजादे मंसूर अहमद ने कहा कि आईबी और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों पर जिस तरह सवाल उठ रहे हैं, उससे ज़रूरी हो जाता है कि सरकार लोकतंत्र को बचाने के लिए आईबी की पूरी भूमिका को जांच के दायरे में लाते हुए आतंकवादी वारदातों में उसकी भूमिका पर श्वेत पत्र लाए क्योंकि ऐसे किसी भी संगठन का बने रहना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है जिसके खिलाफ मानवाधिकार उत्पीड़न के अनगिनत साक्ष्य मिलते हों.

धरने का संचालन योगेंद्र सिंह यादव ने किया. धरने के दौरान जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की नेता अरुंधती धुरु, पत्रकार शहीरा नईम, एसडीपीआई के मोहम्मद फहीम, पीएफआई के अरशद वसीम, वासिफ, मोहम्मद तकी, फैजान, मोहम्मद शोएब, इंजीनियर अशफाक, मोहम्मद सलमान, मोहम्मद जियाउल, मोहम्मद सरवर, मक़सूम, मोहम्मद अरशद, मजीद अहमद, मोहम्मद नईम, मोहम्मद फहीम, आरिफ, हाजी मसीद कादरी, इशरारुल्लाह सिद्दीकी, जुनैद खान, मुस्लिम फोरम के मोहम्मद आफताब अहमद, राजीव यादव, शाहनवाज आलम, शिवदास प्रजापति समेत सैकड़ों लोग उपस्थित रहे.

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