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सपा सरकार धोखे की दुनिया परोस रही है!

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी, आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट पर सरकार द्वारा एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी कर दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को गिरफ्तार करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना 28वें दिन भी जारी रहा. आज क्रमिक उपवास पर संजरपुर, आज़मगढ़ से आए रिहाई मंच के नेता तारिक़ शफीक बैठे.

धरने को संबोधित करते हुए रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब और अवामी काउंसिल के महासचिव असद हयात ने कहा कि निष्पक्ष विवेचना न्याय का आधार होती है. वर्तमान एडीजी कानून व्यवस्था उन अफसरों में से हैं जिन पर मालेगांव ब्लास्ट जैसे आतंकवाद के मामले में झूठे फंसाए गए निर्दोष मुस्लिम युवक अबरार और उसके साथियों के मामले में निष्पक्ष विवेचना न करने का आरोप है.

Rihai Manch demand to remove Arun Kumarअबरार द्वारा अरुण कुमार पर यह आरोप लगाया है कि सीबीआई के वरिष्ठ पदाधिकारी/विवेचक रहते हुए उन्होंने अबरार सहित अन्य युवकों के बयान सही नहीं लिखे व विवेचना निष्पक्षता पूर्वक गहराई से नहीं की और यदि एनआईए द्वारा अपनी जांच में वास्तविक तथ्य खोज कर न लाए गए होते तो वो बरी न हो पाते. इसलिए उत्तर प्रदेश में ऐसे व्यक्ति का एडीजी कानून व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे होने की वजह से यह संभावना नहीं है कि निर्दोष लोगों को निष्पक्ष विवेचना और न्याय मिल पाएगा.

रिहाई मंच के नेताओं ने कहा कि आखिर ऐसे महत्वपूर्ण पद पर इस आचरण के व्यक्ति को बिठाने के पीछे सरकार की मंशा क्या है? ज्ञात रहे कि पिछले डीजीपी एसी शर्मा पर 1992 में कानपुर दंगों में संलिप्तता का आरोप था जिस पर माथुर कमीशन तक बना तो वहीं कानून व्यवस्था को बरक़रार रखने वाले अरुण कुमार पर मालेगांव में बेगुनाह मुस्लिम युवकों को झूठा फंसाए रखने और उन्हें न्याय से वंचित रखने का आरोप है.

ऐसे में क्या ऐसा व्यक्ति खालिद मुजाहिद और तारिक़ कासमी जैसे लोगों को न्याय दिला पाएगा, जिनकी गिरफ्तारी और जिनसे असलहे/विस्फोटक पदार्थों की बरामदगी की कहानी पुलिस और एसटीएफ द्वारा फर्जी और गढ़ी गई हो. ऐसे में रिहाई मंच मांग करता है कि अल्पसंख्यकों के प्रति बीमार मानसिकता रखने वाले अरुण कुमार को तत्काल एडीजी कानून व्यवस्था के पद से हटाया जाए.

धरने को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद इलियास आज़मी ने कहा कि इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ के बाद उसे लश्कर का आतंकी कहा गया था. अब जब उस मुठभेड़ पर ही सवाल उठ गया है और पुलिस अधिकारियों के साथ इशरत और उसके साथ मारे गए अन्य युवकों की सुनियोजित षडयंत्र के तहत हत्या करने के मामले में आईबी अधिकारी राजेन्द्र कुमार का नाम सामने आ गया है तब यह सवाल भी उठना चाहिए कि राजेन्द्र कुमार समेत गुजरात के पीसी पांडे, बंजारा, सिंघल के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा के साथ क्या रिस्ते हैं?

क्योंकि इस फर्जी मुठभेड़ के बाद इन दोषी पुलिस अधिकारियों ने एके 47 की बरामदगी का दावा किया था, और जब साफ हो गया है कि आईबी के राजेन्द्र कुमार ने एके 47 मुहैया कराई थी तो इस बात को साफ हो जाना चाहिए कि ये आईबी और पुलिस के अधिकारी कैसे इस देश में तथाकथित लश्कर-ए-तैय्यबा के नाम पर गतिविधियां चलाते हैं.

आज़मगढ़ से धरने के समर्थन में आए राष्ट्रीय जनसंघर्ष पार्टी के अध्यक्ष अफ़ज़ल खान और महासचिव परमात्मा शरण पाण्डेय ने कहा कि आज जब साफ हो गया है कि तारिक़ और खालिद की फर्जी तरीके से गिरफ्तारी हुई थी ऐसे में तब यह और ज़रुरी हो जाता है कि मरहूम मौलाना खालिद मुजाहिद और तारिक़ के साथ टार्चर व अमानवीय व्यवहार करने वाले एसटीएफ के अमिताभ यश समेत उन तमाम पुलिस वालों पर भी सख्त कार्यवाई हो, जिन्होंने हमारे मासूम युवकों को सूअर का मांस, शराब और पानी मांगने पर पेशाब पीने को मजबूर किया. अगर सरकार ने दोषी पुलिस अधिकारियों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया होता तो हमारा बेगुनाह भाई मौलाना खालिद जिन्दा ही न होते बल्कि इस बेगुनाहों की रिहाई की इस तहरीक में आवाज़ बुलंद करते.

धरने को समर्थन देते हुए दिल्ली से आईं पत्रकार भाषा सिंह ने कहा कि सपा सरकार धोखे की दुनिया परोस रही है. जब मैं आरडी निमेष से मिलीं थी तो वो रिपोर्ट सदन में न पेश होने पर काफी हताश थे. आज खालिद के न्याय की यह लड़ाई सिर्फ खालिद की नहीं बल्कि सरकारों की आतंकवाद के नाम पर मुस्लिमों के खिलाफ खेले जा रहे नीतिगत सवालों के खिलाफ एक ऐसी तहरीक है जिसे पूरे देश में चलाने की आज ज़रुरत है, क्योंकि इंसाफ लोकतंत्र का तकाजा है और इसलिए यह लड़ाई राजनीतिक लड़ाई है.

धरने को संबोधित करते हुए सीतापुर से आए इशहाक ने कहा कि हम देखना चाहते हैं कि यह सरकार हमारे सवालों को जवाब देने से कब तक भागेगी. खालिद के न्याय की लड़ाई उन सभी बेगुनाहों के न्याय की लड़ाई है जो जेलों में बंद हैं. हमारे भाई शकील और बहनोई को भी आतंकवाद के मामले में झूठा फंसाया गया था और हमने सपा सरकार से मांग की थी कि वो इसकी जांच कराए पर जिस तरह से आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट आने के बाद खालिद का कत्ल कर दिया गया, उसने एक बार हमें ज़रुर झटका दिया, पर रिहाई मंच के इस धरने जिसका दो दिनों बाद 1 महीना होने जा रहा है ने हमको बहुत बल दिया है कि न्याय की लड़ाई में हमारे सामने लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. इसलिए हमने भी ठान लिया है इस लड़ाई को इसकी मंजिल तक पहुंचाकर ही हम दम लेंगे.

दिबियापुर जिला औरया में स्थित कब्रिस्तान पर भूमाफियाओं द्वारा किए जा रहे कब्जे को हटवाने के लिए विधानसभा पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हाजी अब्दुल मसीह कादरी ने कहा कि हम कई दशक से अपने कब्रिस्तान को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं पर किसी ने हमारी बात को नहीं सुना, आज जब हम लखनऊ विधानसभा पर बैठे हैं और बहुत से और सवालों को देख रहे है कि मुस्लिमों का वोट लेकर सरकार जिस तरीके से वादा खिलाफी कर रही है, वो बताता है कि हमारी इस सरकार में कोई सुनवाई नहीं है. पर जब तक सरकार हमारे कब्रिस्तान व मरघट पर से भूमाफियाओं का कब्जा नहीं हटवाती, तब तक हम धरना देते रहेंगे.

धरने का संचालन आज़मगढ़ रिहाई मंच के नेता तारिक़ शफीक ने किया. धरने में वाराणसी से आए वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह, मुनव्वर सेराज, सोशलिस्ट फ्रंट के मो0 आफाक, भारतीय एकता पार्टी के सैय्यद मोइद अहमद, योगेन्द्र सिंह यादव, आज़मगढ़ से राष्ट्रीय जनसंघर्ष पार्टी के अध्यक्ष अफज़ल खान और महासचिव परमात्मा शरण पाण्डेय, मो0 असद गुड्डू, प्रतापगढ़ पीस पार्टी के शम्स तबरेज़ खान, अभिषेक सिंह, सदरुद्दीन बाबा, मोशीर अहमद, शुऐब, मौलाना कमर सीतापुरी, जुबैर जौनपुरी, मौलाना शमशाद, अशोक कुमार, नागरिक अधिकार संगठन से रफीक़ अली, सारिक़ वहीद, अखिलेश सिंह, मो0 दानिश शम्सी, जमील अहमद और राजीव यादव आदि शामिल रहे.

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