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निमेष कमीशन के सवाल पर मुसलमानों को गुमराह कर रही है सरकार

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी, आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट पर सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी कर दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को गिरफ्तार करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चित कालीन धरना आज पंद्रहवें दिन भी जारी रहा. आज क्रमिक उपवास पर कौमी एकता देल के महासचिव तारिक शमीम, आज़मगढ़ संजरपुर के शरफुद्दीन, शमीम अहमद अंसारी, अबू आमिर बैठे.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि सरकार ने कल कैबिनेट में निमेष कमीशन की रिपोर्ट को एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ नहीं प्रस्तुत किया जबकि सरकार के पास यह अधिकार हमेशा सुरक्षित है कि इस प्रकार के किसी भी मुद्दे पर कैबिनेट की सहमति से कार्यवाई कर सकती है. जिसके लिए सत्र के चलने की बाध्यता नहीं है. लेकिन सरकार सदन के सत्र का हवाला देकर इसे लंबी बहस में उलझा कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देना चाहती है.

SP Govt is misleading Muslims on Nimesh Report

सरकार ने निमेष कमीशन को कल सिर्फ स्वीकार किया जो उसे अगस्त 2012 में जब आरडी निमेष ने रिपोर्ट को सरकार को सौंपा था उसी समय कर लेना चाहिए था जो उसने नहीं किया और दोषी पुलिस अधिकारियों का सरंक्षण किया तथा अपने को बचाने के लिए इस मामले के अहम गवाह मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या करा दी.

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो सुलेमान ने कहा कि अखिलेश सरकार किसी भी किस्म की कोई कार्रवायी न करके और सिर्फ निमेष कमीशन पर वक्त ले कर संघ गिरोह को इस मसले पर अपनी राजनीतिक गिरोहबंदी करने और साम्प्रदायिक उन्माद बढ़ाने का समय दे रही है. सरकार निमेष कमीशन का हश्र श्री कृष्णा आयोग, लिब्रहान आयोग और नानावटी आयोग जैसा करना चाहती है. जिसे हम नहीं होने देंगे.

उन्होंने कहा कि आज मुलायम कह रहे हैं कि अगर वे मुख्यमंत्री होते तो पंद्रह दिन में कानून व्यवस्था सुधार देंते. लेकिन आवाम जानती है कि वो जब भी शासन में आए है उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ सिर्फ दंगे ही कराए हैं. जिसकी मिसाल साढ़े तीन साल वाली पिछली सपा सरकार है जब मऊ से लेकर गोरखपुर तक उन्होंने योगी आदित्यानाथ को दंगा कराने की खुली छूट दे दी थी. आज उसी मुलायम के उसी सांप्रदायिक एजेण्डे को उनके पुत्र आगे बढ़ा रहे हैं.

धरने का समर्थन करने के लिए बाराबंकी से सूफी उबैदुर्रहमान, पीस पार्टी मसूद रियाज, एखलाख, फरहान वारसी भी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि जिस तरीके से बाराबंकी में मौलाना खालिद की हत्या के पंचनामे में सपा के नेताओं को गवाह बनाया गया और अब जिस तरीके से छुप कर राज्य सरकार जांच करवा रहीं है उससे साफ हो गया है कि सरकार मौलाना खालिद की हत्या को किसी भी हद पर जाकर प्राकृतिक मौत साबित करना चाहती है. लेकिन सरकार का मंसूबा पूरा नहीं होगा क्योंकि खालिद के शरीर पर पड़े जख्म इस हत्या का राज बयान कर रहे हैं. जिसे पूरी दुनिया ने देखा है.

आरडी निमेष कमीशन में आजमगढ़ के गवाह रहे शरफुद्दीन ने कहा कि हमने गवाही दी थी कि किस तरह तारिक का अपहरण किया गया था, पर सरकार ने हमारे पैसे से बनी रिपोर्ट को स्वीकार करने में 9 महीने लगा दिया और इस बीच खालिद मुजाहिद की हत्या करवा दी. इस हत्या ने साफ कर दिया है कि जब हमारे निर्दोष बच्चे छूटने लगेंगे तो दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाने के लिए सरकार किसी भी हद तक जा सकते हैं.

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि कल धरने के समर्थन में पूर्वांचल छात्र संगठन और शिब्ली नेशनल कालेज आजमगढ़ के छात्र नेता भी शामिल होंगे.

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