बटला हाऊस ‘एनकाउंटर’ और ‘पप्पू’ का चक्कर

Beyond Headlines
Beyond Headlines
6 Min Read

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

साकेत अदालत ने 25 जुलाई  को दिए अपने फैसले में शहजाद उर्फ पप्पू को इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा का क़ातिल बताया है. जल्द ही उसे सजा भी सुना दी जाएगी.

यहाँ अहम सवाल यह खड़ा होता है कि पप्पू के साथ शहजाद कैसा जुड़ गया? या फिर शहजाद के नाम के साथ पप्पू जोड़ा गया.

इस सवाल का जबाव जानने के लिए बटला हाऊस ‘एनकाउंटर’ से जुड़े कुछ दस्तावेज खंगालने होंगे.

batla house special story19 सितंबर 2008 की सुबह राजधानी दिल्ली के जामिया नगर इलाक़े के बटला हाऊस इलाके के एल-18 में हुए ‘एनकाउंटर’ की जामिया नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर संख्या 208/8 के मुताबिक़ दो संदिग्ध आतंकी भागने में कामयाब हुए थे. इनमें एक का नाम जुनैद और दूसरे का पप्पू दर्ज है.

एफआईआर के मुताबिक़ एनकाउंटर के दौरान आत्मसमर्पण करने वाले संदिग्ध आतंकी  मोहम्मद सैफ ने इन दोनों के नाम पुलिस को बताए यह एफआईआर 19 सितंबर 2008 को ही दर्ज की गई थी. यहाँ शहजाद नाम के किसी फ़रार आतंकी का कोई जिक्र नहीं है.

23 अक्टूबर 2008 को दिल्ली पुलिस के तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर पुलिस (विजिलेंस) आर पी उपाध्याय द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के विधि विभाग के सहायक रजिस्ट्रार को लिखे पत्र में फ़रार आतंकी का नाम शाहनवाज़ उर्फ पप्पू बताया गया.

दिल्ली में हुए 13 सितंबर 2008 को हुए धमाकों की दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल द्वारा तैयार जाँच रिपोर्ट में बटला हाऊस एनकाउंटर के दौरान फ़रार आतंकी का नाम शहबाज़ उर्फ पप्पू बताया गया है. इस रिपोर्ट पर दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के ज्वाइंट कमिश्नर करनाल सिंह के 19 नवंबर 2008 को किए गए दस्तख़त हैं.

दिल्ली पुलिस द्वारा सूचना के अधिकार के तहत BeyondHeadlines को दी गई जानकारी के मुताबिक शहजाद उर्फ पप्पू नाम के संदिग्ध आतंकी को दिल्ली पुलिस ने 6 फरवरी 2010 को पटियाला हाउस कोर्ट परिसर से गिरफ्तार किया था, वहीं साकेत कोर्ट के फैसले के मुताबिक शहजाद उर्फ पप्पू को 1 फरवरी 2010 को लखनऊ एटीएस द्वारा गिरफ्तार बताया गया है.

शहजाद को बाद में दिल्ली पुलिस को सौंप दिया गया और उसे दक्षिण पूर्वी दिल्ली के एसीएमएम के कोर्ट में पेश किया गया. पुलिस शहजाद के द्वारा गंग नहर में फेंके गए हथियार को बरामद करने के लिए उसे गंगनहर भी लेकर गई, लेकिन हथियार बरामद नहीं किया जा सका.

अब तक की तफ़्तीश से यह तो साफ हो गया कि पप्पू, शाहनवाज़, शाहबाज़ होते-होते शहजाद बन गया था. लेकिन बटला हाऊस ‘एनकाउंटर’ में पप्पू के चक्कर की कहानी यहीं खत्म नहीं होती. क्योंकि शहज़ाद के घर वालों का कहना है कि उसे कभी किसी ने पप्पू के नाम से पुकारा ही नहीं.

साकेत कोर्ट के फैसले के मुताबिक एल-18 की तलाशी के दौरान एसीपी संजीव कुमार यादव ने शहजाद उर्फ पप्पू का पासपोर्ट भी जब्त किया था. साथ ही उसके नाम से बना एक ई रेलवे टिकट भी जब्त किया था.

अब सवाल  यह उठता है कि जब शहजाद का पासपोर्ट और उसके नाम का रेलवे टिकट जब्त किया  गया था तो फिर पुलिस की जाँच रिपोर्ट में शाहनवाज़ और शाहबाज़ के नाम कैसे आएं?

लेकिन यहाँ इस बात का जिक्र करना ज़रूरी है कि 19 नवंबर 2008 को आईपीएस सतीश चंद्र (विशेष पुलिस आयुक्त, सतर्कता विभाग) द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखे पत्र में एल-18 से जब्त किए गए दस्तावेजों और सामान का जिक्र किया गया है. इसमें लैपटॉप, मोबाइल, सीडी, इंटरनेट डाटा कार्ड, पेनड्राइव, डिजीटल वीडियो कैसेट, टूटे हुए सिमकार्ड, साइकिल बैरिंग, फर्जी वोटर आई कार्ड, फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस,  रिजर्वेशन स्लिप का जिक्र है लेकिन पासपोर्ट जब्त करने का जिक्र नहीं है.

ऐसी ही एक अन्य रिपोर्ट में जिस पर करनाल सिंह के दस्तख़त हैं में भी जब्त सामानों का जिक्र है. इसमें विस्फोटकों से भरे टब, अजय के नाम से बनाए गए फर्जी वोटर आई कार्ड, घड़ियाँ, पेचकश, पेंसिल सेल, टेप, जले हुए कपड़े, व्हिस्की बोतल, शिक्षा संबंधी दस्तावेज़ और एक ई रेलवे टिकट को दक्षिण दिल्ली पुलिस द्वारा जब्त किए जाने का जिक्र है. इसमें भी पासपोर्ट का जिक्र नहीं है.

जब्त टिकट के मुताबिक शहजाद अहमद को 24 सितंबर 2008 को कैफियत एक्सप्रेस से दिल्ली से आजमगढ़ जाना था. तो क्या टिकट पप्पू के नाम से बना था. या पासपोर्ट पप्पू के नाम से बना था. यदि ऐसा नहीं है तो फिर शहजाद के नाम के साथ पप्पू कैसे जुड़ गया.

या फिर एक छद्म नाम पप्पू के साथ पहले शाहनवाज़ नाम जोड़ा गया, फिर शाहबाज़ नाम जोड़ा गया और अंततः शहजाद नाम जोड़ दिया गया. यदि ऐसा है तो फिर इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की क़ातिल कोई शाहनवाज़ या शहबाज़ भी हो सकता था.

Share This Article