फिर नक्सलियों को कुछ करने की क्या ज़रूरत बचेगी?

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Himanshu Kumar for BeyondHeadlines

छत्तीसगढ़ की सरकार ने आदिवासियों की ज़मीन छीनने के लिये आदिवासियों को उनके गाँव से बाहर भगाने की योजना बनाई. सरकार ने हजारों गुंडों को जमा किया उन्हें राइफलें दीं और उनसे कहा कि जाओ गाँव वालों को भगा दो.

इन गुंडों को सरकार ने नाम दिया स्पेशल पुलिस ऑफिसर यानी एसपीओ… इन गुन्डे एसपीओ की फौज के साथ सरकार ने सीआरपीएफ और पुलिस को भी साथ मे जोड़ दिया. और इस तरह इन हज़ारों लोगों को आदिवासियों के गाँव खाली कराने का आदेश दे दिया गया.

इन सरकारी गुंडा फौज को यह छूट भी दी गई कि बलात्कार करने और लूटपाट करने पर भी आपके खिलाफ़ कोई कारवाही नहीं की जायेगी. इन सरकारी गुंडों ने दंतेवाड़ा जिले मे साढ़े छह सौ से ज़्यादा गाँव जला दिये.

हमारे कुछ मित्रों ने मामला सर्वोच्च सर्वोच्च न्यायालय मे उठाया सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि सभी गाँव को दोबारा बसाया जाए. सभी दोषी पुलिस वालों के विरुद्ध मामले दर्ज किये जाएँ.

लेकिन आज तक किसी आदिवासी को मुआवजा नहीं दिया गया. किसी पुलिस वाले के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया.

सरकार ने बहाना बनाया कि कोई गाँव वाला सामने आकर शिकायत ही दर्ज नहीं करवाता. कोई गाँव वाला मुआवजा नहीं मांगता.

हमने साढ़े पांच सौ गाँव वालों की शिकायतें कलेक्टर को सौंपी कि इन्हें मुआवजा दीजिए. इतनी ही शिकायतें पुलिस अधीक्षक को सौंपी कि इन के अनुसार एफआईआर दर्ज कीजिये. लेकिन एक भी आदिवासी को ना मुआवजा मिला ना किसी दोषी पुलिस वाले के खिलाफ मामला दर्ज़ हुआ.

अभी इसी हफ्ते छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के कोंडासावली गाँव के लोग सुकमा के कलेक्टर के पास गये. गाँव वालों ने बताया कि किस गाँव वाले की हत्या पुलिस वालों ने करी थी. किस महिला के साथ पुलिस वालों ने थाने में ले जाकर बलात्कार किया. लेकिन एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी अभी सुकमा के कलेक्टर ने कोई कार्यवाही नहीं की है.

हम अगर अपने प्रशासन, न्याय तन्त्र और सामजिक सरोकारों को खुद ही नष्ट कर देंगे तो फिर नक्सलियों को कुछ करने की क्या ज़रूरत बचेगी?

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 Kondasawali-2

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