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BeyondHeadlines > India > मुलायम का संघ के साथ रिश्ता साबित…
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मुलायम का संघ के साथ रिश्ता साबित…

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published July 16, 2013
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12 Min Read
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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : रिहाई मंच ने मुलायम सिंह के इस बयान पर कि उन्हें बाबरी मस्जिद तोड़ने आए कारसेवकों पर गोली चलवाने का अफसोस है, कहा कि इससे साफ हो जाता है कि सपा भाजपा के साथ अन्दरुनी गठजोड़ बना रही है और यह बयान संघियों को खुश करने के लिए मांगी गई माफी है.

Mulayam relation with RSS is provedरिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि एक साल में 27 बड़े दंगे जिन्हें यूपी सरकार खुद मानती है के अलावा एक सैकड़ा सांप्रदायिक हिंसा की वारदातें यूपी में कराने, आतंकवाद के आरोप में बंद मुस्लिम बेगुनाहों को छोड़ने के वादे से मुकरने, आडवानी को देश का सबसे विश्वसनीय नेता मानने जैसे पूर्व में दिए गए बयान दरअसल संघियों को खुश करने की कवायद थी. जिसका चरम कारसेवकों से माफी मांगने वाला यह बयान है.

उन्होंने कहा कि इन बीस सालों में मुलायम ने 360 डिग्री का चक्कर पूरा कर लिया है और अब उन्हें लगने लगा है कि मुसलमान तो वोट देगा नहीं, संघ परिवार के भरोसे ही राजनीति में प्रासंगिक बना रहा जाए, जो असंभव है.

रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम और राजीव यादव ने कहा कि एनआईए द्वारा गृहमंत्रालय को सौंपे गए दस्तावेजों से अब यह स्पष्ट हो गया है कि डेविड कोलमैन हेडली ने कभी भी इशरत जहां का नाम लश्कर ए तैयबा के साथ नहीं जोड़ा था और न ही उसने अपने बयान में कभी उसका नाम लिया था. लिहाजा इस बात की जांच कराई जानी चाहिए कि आईबी के किन अधिकारियों ने अफवाह फैलाया था कि हेडली ने अपने बयान में इशरत को लश्कर का आंतकी बताया है.

उन्होंने कहा कि इस जांच की आवश्कता इसलिए है कि आईबी और भाजपा के गठजोड़ ने इसी तर्क के सहारे इशरत की हत्या को जायज़ ठहराने की कोशिश की थी.

रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम और राजीव यादव ने कहा कि पिछले आठ साल से आतंकवाद के नाम पर नैनी, इलाहाबाद जेल के अंडा सेल में बंद डाक्टर इरफान खान का पत्र डाक द्वारा धरना स्थल पर मिला. जो सपा के मुस्मिल विरोधी सांप्रदायिक राजनीति का सबसे गंदा चेहरा प्रस्तुत करता है. जिसमें उन्होंने बताया है कि सपा की पिछली हुकूमत में किस तरह इरफान समेत मोहम्मद नसीम, शकील अहमद और मोहम्मद अजीज को पुलिस ने अयोध्या के राम मंदिर पर हमला कराने की साजिश के नाम पर फर्जी तरीके से फंसाने का काम किया और अब मुलायम द्वारा सार्वजनिक तौर पर मुसलमानों के सामने किए गए वादे कि सरकारी वकील डाक्टर इरफान जैसे निर्दोष मुस्लिम युवकों की ज़मानत का विरोध नहीं करेंगे के बावजूद सरकारी वकील कैसे बेगुनाह युवकों की ज़मानतों का विरोध करके इनकी जिंदगी तबाह कर रहे हैं, जो मुलायम और सपा के असली सांप्रदायिक चेहरे को उजागर करता है.

प्रवक्ताओं ने बताया कि पिछले दिनों सज्जादुर्ररहमान की ज़मानत और रामपुर में शरीफ, जंगबहादुर, कौसर, गुलाब समेत अन्य बेगुनहों की जमानत के मामले में यह साफ हो गया है कि हृदय की गंभीर बीमारियों के बावजूद सरकारी वकील के विरोध के चलते बेगुनाहों को जमानत नहीं दी जा रही है.

धरने को संबोधित करते हुए इलाहाबाद रिहाई मंच के प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह और पिछड़ा महासभा के एहसानुल हक मलिक ने कहा कि एक थे हिन्दोस्तान के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई और एक थे जार्ज फंर्नाडीज… दोनों कहां हैं मालूम नहीं. इस गुमनामी में जाने से पहले  तक मालूम चलता था उनके बारे में कि वो भी मुलायम जिस तरह आजकल बयान दे रहे हैं उसी तरह के बयान देते थे.

मुलायम कहते हैं कि उनके बेटे अखिलेश का माडल लागू होगा पूरे देश में न की मोदी का. जबकि देखा जाए तो दोनों मुसलमानों का कत्ल करने की प्रतिस्पर्धा में लगे हैं. मोदी ने चार हजार लोगों को 2002 में एक झटके में मरवा दिया तो वहीं अखिलेश सरकार में सौ से ज्यादा सांप्रदायिक हिंसा की वारदातें हो चुकी हैं. जिनमें 27 को खुद अखिलेश यादव मानते हैं.

वहीं भारतीय एकता पार्टी के सैय्यद मोइद अहमद ने कहा कि मुलायम बताएं कि वो कोसी कलां में कलुवा और भूरा नाम के जुड़वा भाइयों को जिन्दा जलवाने और मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या करवाने के बाद क्या यही माडल पूरे देश में लागू करेंगे?

मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडे ने कहा कि मुलायम सिंह यादव बार-बार यह झूठ फैलाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने सच्चर कमेटी की सिफारिशें लागू कर दी हैं. जबकि ऐसा कुछ नहीं है.

इसी तरह मुलायम सिंह ने पिछले दिनों ससंद में झूठा बयान दिया कि बेगुनाह मुस्लिम युवकों को रिहा कर दिया पर असल में सपा सरकार में खालिद जैसे बेगुनाहों को जिन्दगी से रिहा करने का काम किया गया है. मुलायम सिंह यादव जैसे वरिष्ठ राजनेता से ऐसे झूठ की उम्मीद नहीं थी.

धरने के समर्थन में उन्नाव से आए पत्रकार आलोक अग्निहोत्री ने कहा कि पिछले बीस सालों में हमारे समाज का तेजी से सांप्रदायीकरण हुआ है. जिस मोदी का लोग नाम नहीं सुनना चाहते थे उनका कारपोरेट मीडिया ने ऐसा महिमामंडन किया है कि आज वो प्रधानमंत्री का उम्मीदवार हैं. कुछ समय पहले ऐसे ही एक प्रमोद महाजन हुआ करते थे और सपा में वही काम अमर सिंह किया करते थे. आजकल कहां हैं कोई पता नहीं. यह सब कारपोरेट मीडिया की पैदाइस हैं.

हम लगातार देख रहे हैं कि कारपोरेट मीडिया जो अपने उदारीकरण के मानवीय चेहरे का मुखौटा ओढ़े है वो लगातार बेगुनाहों की रिहाई से जुड़े आंदोलन को सांप्रदायिक आंदलोन के रुप में राज्य सत्ता के इशारे पर प्रचारित करने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में हम अपने मीडिया के साथियों को नसीहत देना चाहेंगे कि जिन्होंने समाज में नफरत फैलाई वे नफरत से याद किए जाते हैं और जिन्होंने मोहब्बत फैलाई वो मोहब्बत से याद किए जाते हैं.

मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारुकी ने कहा कि आज मुलायम सिंह ने जिस तरह से कारसेवकों पर देश की संविधान और साझी संस्कृति की विरासत को बचाने के लिए गोली चलवाने पर अफसोस जाहिर किया है इससे यह बात साफ है कि मुलायम सिंह आरएसएस का नेकर पहनते हैं.

यह बात आज़म खान ने भी सन 2009 में कही थी कि मुलायम हरी घास का हरा सांप हैं. आज यही बात सच साबित हो गई है.

खालिद मुजाहिद को न्याय दिलाने के लिए चल रहे धरने पर आज मंच पर ही हाजी फहीम सिद्दीकी की इमामत में जोहर की नमाज़ अदा की गई. हाजी फहीम सिद्दिकी ने बताया कि हमने खुदा से दुआ की की जो बेगुनाह हिंदू या मुसलमान जेलों में बंद हैं, उनको अल्लाह तआला रिहाई में असानी पैदा करे और जो लोग इनके लिए कोशिश कर रहे हैं जिसमें रिहाई मंच आगे हैं, उनकी कोशिशें कामयाब हो.

यह जालिम हुकूमत हमलोगों पर जुल्म ढा रही है उसके जुल्म सितम से हमें आजाद कराए. हाजी फहीम ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि यह धरना प्रदेश में सत्तारुढ़ सपा की सांप्रदायिक बुनियाद को धीरे-धीरे खत्म कर रहा है.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव डर रहे हैं कि अगर हमने मानूसन सत्र बुलाया तो निमेष आयोग की रिपोर्ट भी पटल पर रखनी पड़ेगी और असलियत जब सबके सामने आएगी तो सरकार का सिर शर्म से झुक जाएगा.

धरने को संबोधित करते हुए पत्रकार हरे राम मिश्र और देवेश यादव ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश का आम मुसलमान बेहद डरा हुआ है. आज जब देश में कहीं भी धमाके हो जाते हैंतो उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक सहम जाते हैं कि कहीं उनके भी लाडलों को पुलिस ज़बरजस्ती और फर्जी रूप से फंसा कर बर्बाद न कर दे.

उन्होंने कहा कि आज जिस तरह से इस बात का खुलासा हो रहा है कि संसद पर हमला गृह मंत्रालय की एक ऐसी साजिश थी जिसमें एक निर्दोष अफजल गुरू को फांसी पर चढ़ा दिया गया. यह देश के लिए बेहद शर्म की बात है कि इस देश की सरकार ने आतंकवाद पर एक कड़ा कानून कनाने के लिए मुंबई में हमले का प्रायोजन किया गया.

आज यह साफ हो चुका है कि इस देश की खुफिया एजेंसी देश में विध्वंसक कार्यां में लगी हुई है. उन्होंने मांग की कि संसद पर हमले का षणयंत्र रचने में पूर्व गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाडी शामिल रहे हैं. अब इस खुलासे के बाद उन पर भी एक मुक़दमा चलाया जाना चाहिए.

मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस तथा एटीएस एवं खुफिया अधिकारियों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग, निमेष आयोग की रिपोर्ट पर तत्काल अमल करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर 22 मई से चल रहा रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना मंगलवार को भी जारी रहा. रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने के 56 वें दिन उपवास पर पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता हरेराम मिश्र और देवेश यादव बैठे.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब, इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान, हाजी फहीम सिद्दीकी, सैयद मोईद अहमद ने बताया कि 20 जुलाई को खालिद के न्याय के लिए चल रहे धरने के 2 महीने पूरे होने पर धरने में आने वाले रोजदारों के लिए अफ्तार की व्यवस्था की जाएगी.

धरने का संचालन देवेश यादव ने किया. धरने को संदीप पांडे, मो0 शुएब, मौलाना कमर सीतापुरी, ऊषा, सजंय विद्यार्थी, हाजी फहीम सिद्दीकी, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, एहसानुल हक मलिक, बब्लू यादव, जैद अहमद फारुकी, हरे राम मिश्र, देवेश यादव, आलोक अग्निहोत्री, महमूद आलम, शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने संबोधित किया.

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