Lead

निर्भया केस: पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त…

Anita Gautam for BeyondHeadlines

9 महीने बाद अब दामिनी केस मे चारों आरोपियों को फांसी की सजा सुना दी गई.  सुनकर जितना अच्छा लगा, उससे दुखद बात आरोपी पक्ष के वकील का बयान था. जिसे निहायती बेहुदा और तर्कहीन माना जाना चाहिए… ऐसा बयान जिसे सुनकर यकीनन कोई मां, बहन, बेटी के साथ उस भाई और पिता का खुन खौल उठे जिसके घर बेटी हो…

कोर्ट से बाहर आते ही आरोपी के वकील ने मीडिया के सामने रूमाल निकालते हुए घड़ियाली आंसू बहाते हुए फांसी की सजा का विरोध किया. उनके आंसू और दलीलें मानों अंदर का इंसान नहीं, बल्कि नोटों की गड्डी पाने वाला वो काला कोर्ट वकील बोल रहा था जिसका दिल और ईमान दोनों काला था…

Role of Media in Rapeसोचने कि बात है कि यदि निर्भया की जगह उसकी मां, बहन, बेटी या पत्नी होती तो? वो बलात्कारी जो किसी महिला के साथ ऐसा कुकर्म करके तड़प-तड़प कर मरने के लिए छोड़ देता तो वो वकील किसकी ओर से केस लड़ता? अपने घर की पीड़िता की ओर से या नोटों की गड्डीयां देने वाले की ओर से? और तो और वकील भी किसी राजनेता की तरह दोषियों को फांसी होने पर मामले को राजनीतिक साजिश की बात बोलने लगा.

शुक्र है, उसने इस बलात्कार के पीछे किसी राजनेता का हाथ नहीं बताया… वहीं वकील की दलील तो सुनिए… यदि 2 महीने बलात्कार की कोई घटना नहीं हुई तो वो उपरी कोर्ट में नहीं जाएगा. पर वो भावनाओं में इतना बह गया कि भूल गया उन आरोपियों ने बलात्कार के साथ-साथ और कितने अपराधों को अंजाम दिया था, और रही बात जज की तो जज ने तो सारे आरोपों के तहत फांसी की सजा सुनाई और न्याय के नाम उस नाबालिक लड़के को, जिसने इस जघन्य अपराध में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया, उसे सजा के नाम तीन साल के लिए सुधार गृह का रास्ता दिखा दिया गया…

पर क्या आप लोगों को नहीं लगता कि आरोप करने वाले से ज्यादा आरोप पर पर्दा डालने वाला और आरोपी को बचाने वाला गुनहगार होता है?  देश में आज भी ऐसे कई जगह है, जहां फतवा जारी होता है, तो फिर इस मामले को तारीख पर तारीख के बाद फिर निचली कोर्ट, उपरी कोर्ट में लाने ले जाने के खेल का क्या मतलब?

यकीन मानिए, मेरा बस चले तो उन पांचों आरोपियों सहित वकील को भी सरेआम दिल्ली के चांदनी चौक पर लटका दूं… पर क्या करूं मैं तो आम लड़की हूं न, ज्यादा बोल नहीं सकती, क्या पता कौन किस गली के नुक्कड़ में एसिड या ब्लेड लिये मुझे मारने का इंतजार कर रहा हो?

पर यह कानून की देवी! न जाने इसे मनाने के लिए और कितनी लड़कियों को ही अपराधियों के हाथों अपने प्राणों की आहूति देनी पड़ेगी… और वैसे भी अभी जिला कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है, मामला हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के पास तक जाएगा.  इस रेयर आफ द रेयरेस्ट केस की फास्ट ट्रेक सजा में अभी और न जाने कितने नये मोड़ आएंगे और न जाने और कितने साल तारीख पर तारीख पड़ेगी…

ये इंडिया है… इंडिया!  यहां इंसान की ताक़त इंसान नहीं पैसा है.  नोटों की गड्ड्यिा फेंको… मंहगे से मंहगा वकील करो… नीचे से उपर और उपर से और उपर केस लड़ने चल दो… कोर्ट के संबंध में एक पुरानी कहावत बहुत प्रचलित है, जो केस हारता है वो लूटता है और जीतता है समय उसे हरा देता है…

वैसे हमारे देश में जब आतंकवादियों को सजा के नाम कई सालों तक जेल में अतिरिक्त सुरक्षा और बिरयानी खिलाई जाती है तो ऐसे कुकृत्य करने वालों के लिए उस न्याय की देवी की से आस लगाना कितना उचित होगा, जिसके आंख पर काली पट्टी चढ़ी हुई है?

Loading...

Most Popular

To Top

Enable BeyondHeadlines to raise the voice of marginalized

 

Donate now to support more ground reports and real journalism.

Donate Now

Subscribe to email alerts from BeyondHeadlines to recieve regular updates

[jetpack_subscription_form]