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शक्ति का दुरूपयोग करके आतंक कायम करने की कोशिश

Sonika Sharma for BeyondHeadlines

देश में कई ऐसे असामाजिक तत्व रहते हैं, जो अपने भूतकाल की परवरिश और अशिक्षा की वजह से अपने आप को आपराधिक प्रवृत्ति की ओर मोड़ लेते हैं. उनके लिये किसी भी रास्ते (कानूनी या गैर-कानूनी) पर चलकर रुपये कमाना कोई महत्व नहीं रखता. वे जीविका-अर्जन के लिये किसी भी छोटे रास्ते (जैसे दबंगई करना, उठाईगिरी, चोरी करना, क्षेत्र में आतंक कायम करना) जैसे कार्यों में लिप्त हो जाते हैं. शुरू-शुरू में इन लोगों द्वारा किये गये अनैतिक व गैर-कानूनी कार्यों को आम नागरिक “मैं क्यूँ इनके झंझट में पढ़ूँ” कहकर छोटे-मोटे नुक़सान को अनदेखा करते हुये आगे बढ़ जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप इन लोगों के हौसले बुलन्द होते चले जाते हैं और फिर वह क्षेत्र में अपना आतंक कायम करने के लिये अनेकों प्रकार की अव्यवहारिक हरकतों को अंजाम देने लगते हैं. जिसे देखकर कई बार स्वाभिमानी व्यक्ति को मजबूरन उसका विरोध करने की जरूरत महसूस हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप दोनों के बीच में तनाव पैदा होता है और नौबत हाथापाई तक पहुँच जाती है.

अगर क्षेत्रीय थाना प्रभारी संबंधित घटनाओं पर कूटनीति का सहारा लेते हुये गलत पक्ष को दंडित करते हुये मामले को शांत करें व निगरानी तंत्र बनाते हुये ऐसी व्यवस्था करें कि कोई भी पक्ष किसी को भड़काने या उकसानेवाले कार्यों को अंजाम न दे सकें तो क्षेत्र का माहौल शांतिमय हो सकता है.

कभी-कभी ऐसे मामलों में असामाजिक तत्व अगर “हरिजन या SC/ST” के हों और वह जानते हों कि उन्हें कानूनन (हरिजन एक्ट जैसी) शक्ति मिली हुई है तो वे उसका दुरुपयोग करके सामने वाले (पीडित) पक्ष को ब्लैकमेल करके झुकाने व उसके स्वाभिमान को ठेस पहुँचाने का काम करते हैं, साथ ही गलती उनकी खुद की होने के बावजूद वे सामने वाले को मानसिक, आर्थिक व शारीरिक प्रताड़ना देने का कार्य करते हैं.

story from villageहमारे संगठन के पास इसी से संबंधित एक मामला आया था, जिसमें संबंधित मामले में पहले भी एक पत्र संबंधित विभागों में भेजा जा चुका है. इस मामले में पीड़ित (जिसने संगठन को संबंधित मामले का पत्र भेजा था (शपथ-पत्र के साथ)) के खिलाफ सामने वालों (आरोपी) ने एक शिकायत-पत्र (जो थोड़ा सा विश्लेषण करने पर ही झूठा नज़र आ सकता है) अदालत में दाखिल किया और पीड़ितों के ऊपर इलज़ाम लगाया है. संबंधित अदालत में दिये शिकायत-पत्र में सामनेवाले (आरोपी) ने तीन व्यक्तियों के खिलाफ शिकायत दी है जिसमें एक व्यक्ति तो पिछले कई दिनों से उस गांव में मौजूद ही नहीं था उसे भी इन लोगों ने दोषी करार दे दिया है (जिसकी सच्चाई किसी भी जाँच एजेन्सी से जाँच करवा कर पता लगाई जा सकती है), उस व्यक्ति के कार्यालय(दिल्ली) से या उसकी उस समय की Mobile Location/ Call Details से भी मालूम किया जा सकता है.

यह सब घटनायें हमें बताती हैं कि कोई भी दबंग अपने शक्ति का किस प्रकार दुरुपयोग करके अपने क्षेत्र में अराजकता व आतंक पैदा कर सकता है, कभी भी किसी के साथ भी गलत कर सकता है और किसी को परेशान करने के लिये किसी भी मामले मे गलत तरीके से फंसाने की कोशिश भी कर सकता है.

जरूरत है, ऐसे क्षेत्र में शांति बनाये रखने के लिये संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों व थाना प्रभारीयों को ध्यान देने की और बीच-बीच में क्षेत्र में जाकर दोनों ही पक्षों के बुजुर्गों से बातचीत करके क्षेत्र के हालातों का जायज़ा लेने की, साथ ही बुजुर्गों से सलाह मशविरा करके आवश्यक उचित कदम उठाये जाने की और कोशिश की जाने की कि केवल उन अराजकता फैलाने वालों के उस हथियार “हरिजन एक्ट” को निष्प्रभावी करवा दें जिससे वह अपनी ताकत “हरिजन एक्ट” के नशे मे चूर होकर गैर कानूनी गतिविधियों से दूर हो सके.

यह जरूर ध्यान रखा जाये कि केवल एक पक्ष से ही जानकारी प्राप्त करके कभी भी कोई फैसला नहीं लिया जाये और कोशिश की जाये कि जानकारी की सच्चाई का तकनीकि सहायता से पता लगाया जाये (जैसे ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग).

आरोपियों का मनोबल इतना बढा हुआ है कि आरोपियों ने पीड़ित के चैम्बर (खेत मे बना हुआ कमरा जहाँ पानी/बोरिंग मशीन लगाया हुआ है) के आगे, पीड़ित की जमीन मे बने हुये रास्ते (जिस रास्ते पर चलकर पीडित अपने चैम्बर पर आता-जाता है) पर जानबूझ कर परेशान करने के लिये गोबर का ढेर रख दिया है, उस गोबर को वहाँ को हटाने के लिये कहने पर आरोपी गाली देते हैं और मार-पीट पर उतारु हो जाते हैं.

(लेखिका भ्रष्टाचार विरूद्ध भारत जागृति अभियान से जुड़ी हुई हैं.)

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