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Reading: सीरिया समस्या और अमेरिकी नीति
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BeyondHeadlines > Lead > सीरिया समस्या और अमेरिकी नीति
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सीरिया समस्या और अमेरिकी नीति

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published September 4, 2013
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6 Min Read
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Anuj Singh for BeyondHeadlines

सीरिया की उथल पुथल राजनीतिक व्यवस्था ने इस बार अंतरराष्ट्रीय मंच का ध्यान अपने ओर खींच लिया हैं. कारण है अमेरिका का सैन्य हस्तक्षेप की घोषणा करना… अमेरिका 21 अगस्त के नरसंहार के लिए सीरिया सरकार को ही जिम्मेदार मान रहा है जिसमें 1400 लोग मारे गए थे.

फ्रांस के अनुसार सीरिया के पास 1000 टन से भी ज्यादा रासायनिक हथियार हैं.  इस जानकारी के आधार पर फ्रेंच राष्ट्रपति होलेंद ने सीरिया पर हमला करने के लिए काफी बताया है.

Photo Courtesy: mpnews.itइसी बीच भारत में सीरिया के राजदूत अब्बास कामेल ने कथित रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के बारे में कहा है कि यूरोपीय देशों की नीति सीरिया के साथ भी ठीक वैसी ही है जैसी की लीबिया, इराक के साथ थी. नागरिकों पर रासायनिक हमलों के आरोप बेबुनियाद हैं और इन्हें महज बनाया जा रहा है. सीरिया सरकार इसे नहीं मान रही हैं.

उधर सीरियाई राष्ट्रपति असद-अल-बशर ने कहा अगर अमेरिका और उसके पश्चिमी मित्र सीरिया पर हमले का फैसला लेते हैं तो ‘अराजकता और चरमपंथ’ फैल जायेगा और हर कोई स्थिति से नियंत्रण खो देगा. असद ने एक फ्रांसीसी अखबार में दिये साक्षात्कार में कहा, क्षेत्रीय युद्ध का जोखिम है.

उन्होंने कहा कि फ्रांस को सीरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई में उसकी भागीदारी के परिणाम पर विचार करना चाहिये. इधर रूस और दक्षिणी अफ़्रीका ने सीरिया में विदेशी हस्तक्षेप के विरुद्ध और उसकी क्षेत्रीय अखण्डता के समर्थन में खड़े हैं. इससे पहले अमेरिका ने आर्थिक प्रतिबंध लगाये थे.

अमेरिका की मदद से यूरोपियन संघ ने 2 सितंबर 2012 को सिरिया द्वारा तेल के निर्यात पर व्यापारिक प्रतिबन्ध लगा दिया था.  सिरिया द्वारा निर्मित पूर्ण भाग से लगभग 95% तेल यूरोपियन संघ खरीदता था. सीरिया के कुल राष्ट्रीय आय का लगभग एक तिहाई भाग इसी से आता था. बशर असद शासन की जेब पर हमला कर, यूरोपियन संघ सिरियन सरकार को हिलाना चाहता था ताकि वो नागरिकों पर अपनी दमनकारी नीतियाँ चलाना बंद करे. पर यूरोपियन संघ की ये नीति केवल दूर की कौड़ी मात्र हुई.

इससे समझा जा सकता हैं कि असद अली इतनी आसानी से हर मानने वाले नही हैं. शायद अमेरिका को भी ये बात पता है कि युद्द हुआ तो लम्बा होगा. शायद इसी लिए बराक ओबामा ने इस फैसले को संसद को लेने कि लिए छोड़ दिया हैं.  अमेरिकी सीनेटर ग्राहम ने कहा, मैंने राष्ट्रपति को जो सुझाव दिया कि यह विपक्ष को अमेरिकी लोगों से सीधे बातचीत का एक अवसर दें. सीरियाई उप विदेश मंत्री फैजल मकदाद ने ओबामा के इस फैसले पर कहा कि कांग्रेस की इजाजत लेना यह दिखाता है कि वह खुद भी काफी दुविधा और झिझक में हैं.

ऐसे में अमेरिका की नीति क्या होती है ये देखने लायक होगा. ओबामा, बुश और क्लिटन जैसे आक्रामक स्वभाव के नहीं हैं. लेकिन अमरीकी संसद में सीरि‍या पर सैन्य कार्रवाई का समर्थन मिलते देख वो सीरिया के विरुद्ध कार्रवाई का फैसला ले सकते हैं. अल्पमत डेमोक्रेटिक सांसदों की नेता नेन्सी पेलोसी ने मंगलवार को राष्ट्रपति बराक ओबामा के सीरिया पर हमला करने के प्रस्ताव का समर्थन किया.

पत्रकारों से बात करते हुए पेलोसी ने कहा सीरिया में रसायनिक हथियारों का इस्तेमाल किए जाने की हरकत की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए, अमरीका को इसका जवाब देना चाहिए. इससे पहले ही संसद के अध्यक्ष रिपब्लिकन पार्टी के जॉन बेयनेर ने भी सीरिया के विरुद्ध कार्रवाई करने का समर्थन किया.

राष्ट्रपति ओबामा ने मंगलवार को संसद के नेताओं से मुलाक़ात की और उन्हें सीरिया पर हमला करने की ज़रूरत के बारे में समझाने की कोशिश की. हालाँकि रूस ने चेतावनी देते हुए अमेरिका को कहा है कि अगर सीरिया पर हमला हुआ तो गंभीर नतीजे भुगतने होंगे. सीरिया पर हमला होने की स्थिति में एक बार फिर खाड़ी युद्ध का असर विश्व को झेलना पड़ेगा. ईरान, भारत, चीन, अफ़्रीका, अरब राज्‍य लीग अमेरिका की सैनिक कार्यवाही का विरोध कर रहे हैं.

ये सभी देश सीरिया के समस्या को राजनीतिक मान रहे हैं तथा उसका समाधान भी राजनीतिक तरीकों से कराने की बात कर रहे हैं पर अमेरिका और फ्रांस इसे अपने नागरिको के लिए खतरा मानते हुए सीरिया पर सैन्य कार्यवाही को सही मान रहे हैं. फ्रांस और अमेरिका जिस रसायनिक हथियार की बात कर रहे हैं कहीं वो इराक जैसा ना हो.

सद्दाम के मारने के बाद आज तक कोई रसायनिक हथियार नही मिला. अमेरिका की मंशा  ईरान को संदेश देना भी हो सकता हैं. बहरहाल, कही सीरि‍या का गृहयुद्ध  द्दितीय विश्व युद्द के समय हुआ स्पेन का गृहयुद्ध ना बन जाए.

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