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बलात्कार जैसी घटनाओं के बाद मुसलमान कैसे लौटे गावं?

BeyondHeadlines News Desk

मुज़फ्फरनगर के जोगिया खेड़ा दंगा पीडि़त कैंप में दो लड़कियों से बलात्कार की घटना और पिछले दिनों मोहम्मदपुर रायसिन में हुये तेहरे हत्याकांड ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि प्रदेश की सपा सरकार के संरक्षण में जाट दंगाईयों के हौसले बुलंद हैं.

ये बातें रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने आज जारी एक प्रेस बयान में कहा. उन्होंने कहा कि जिस तरीके से कैंप में पनाह लिए युवती के साथ बलात्कार की घटना को अंजाम दिया गया है, उससे साफ जाहिर होता है कि स्थानिय स्तर पर जाट दंगाईयों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है.

उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरीके से मदरसे जैसी शिक्षण संस्थाओं में लगे पीडि़तों के इन कैंपों पर कब्जा, पीडि़तों से आईएसआई का संपर्क या दंगे का बदला लेने के लिए आतंकवाद जैसे आरोप लगाए जा रहे हैं, हम इनके खिलाफ आगामी 9 नवंबर 2013 को लखनऊ में पीडि़तों की जनसुनवाई और सपा राज में सांप्रदायिक दंगे-गुनहगार कौन सम्मेलन करेंगे.

मोहम्मद शुऐब ने कहा कि जिस तरीके से पीडि़तों के कैंपों में बलात्कार की घटना के बाद कुछ सत्ता के करीबी कथित उलेमा टीवी चैनलों पर कहते नज़र आ रहे हैं कि सांप्रदायिक हिंसा पीडि़तों को उनके गांव-घर भेज दिया जाए वो इस मुस्लिम विरोधी सरकार और प्रशासनिक माहौल में भी अपनी रोटी सेंकने से बाज नहीं आ रहे हैं, हम उनसे पूछना चाहेंगे कि जिस क्षेत्र में सेना लगी हो, जहां मां बहनों को सरकार सुरक्षा नहीं दे पा रही हो वो उन गावों में सरकार उन्हें क्या सुरक्षा दे पाएगी? जहां अभी कुछ ही दिनों पहले उन्होंने अपनों को मारे जाते, आबरु लुटते, घरों में आग लगाते और किसी तरह से गन्ने के जंगलों में छुप कर खुद को बचाया हो और वह भी तब जब सरकार खुद दंगाईयों के पक्ष में काम कर रही हो ऐसे हालात में वे कैसे गांव जाएं?

मुज़फ्फरनगर व आस-पास के क्षेत्रों में सांप्रदायिक हिंसा के बाद पिडि़तों को इंसाफ दिलाने के लिए कैंप किए सामाजिक संगठन अवामी काउंसिल के महासचिव मोहम्मद असद हयात ने कहा कि जिस तरीके से पूरे दंगे के षडयंत्रकर्ता भाजपा नेता हुकूम सिंह, राकेश टिकैत, नरेश टिकैत हों, चाहे बाबा हरि किशन, आज तक प्रदेश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार करना तो दूर लगातार धारा-144 के बावजूद पंचायतें करने की खुली छूट दे रखी है, उससे दंगाईयों के हौसले का बुलंद होना लाजिमी है.

उन्होंने जोगिया खेड़ा में युवती के साथ बलात्कार की घटना के लिए मुज़फ्फरनगर के प्रशासनिक अमले को दोषी ठहराते हुए अखिलेश सरकार से तत्काल इलाके के जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने की मांग की. उन्होंने कहा कि बलात्कार के आरोप में जिस तरह युवती के गांव के ही युवक पकड़े गए हैं, उससे समझा जा सकता है कि पीडि़त मुसलमानों पर मुक़दमे वापस लेने का दबाव डालने के लिए जाट किस हद तक जा सकते हैं. शिवपाल यादव जिन्होंने पिछले दिनों अपनी सद्भावना कमेटी की रिपोर्ट में कहा था कि मुसलमानों को अपने गांव लौट जाना चाहिए को बताना चाहिए कि मुसलमान ऐसी स्थिती में गांव कैसे लौटें?

असद हयात ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा की वारदात के बाद लगतार पूरे इलाके में छिट-पुट सांप्रदायिक हिंसा की वारदातें जारी हैं. चाहे वो बागपत जिले के काठा गांव के चांद की हत्या का मामला हो या फिर फुगाना थाना क्षेत्र के डूंगर गांव के मेहरदीन की हत्या का मामला हो, ऐसी दर्जनों हत्याएं हुई हैं जिनकी शिकायत और एफआईआर पीडि़त परिवारों ने कराए हैं पर अब तक जिस तरह इस इलाके का प्रशासन लाशों को निकालकर पोस्टमार्टम नहीं करा रहा है, उससे साफ है कि यह सब प्रदेश सरकार के दबाव में किया जा रहा है, इसके खिलाफ हम लखनऊ में आयोजित जनसुनवाई में सवाल उठाएंगे.

रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम और राजीव यादव ने कहा कि जिस तरीके से मुज़फ्फरनगर में पहले सरकार के सरंक्षण में सांप्रदायिक ताकतों ने मुसलमानों पर हमला किया और उसके बाद जिस तरह से प्रदेश के मुख्यमंत्री के पारिवारिक कुनबे के मंत्री शिवपाल यादव ने नेतृत्व में गई मंत्री स्तरीय सद्भावना कमेटी ने पीडि़तों के कैंपों पर मदरसों द्वारा कब्जा करने का आरोप लगाया तो वहीं राहुल गांधी ने कैंपों में रह रहे लोगों का आईएसआई के संपर्क में होने की बात कही और उसके बाद जिस तरीके से पटना की मोदी रैली में धमाकों के बाद मुज़फ्फरनगर दंगे का बदला लेने का प्रचार आईबी ने किया, उससे मुसलमानों को दोहरे स्तर पर पीडि़त किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि पहले सांप्रदायिक हिंसा में मुसलमानों का कत्लेआम, महिलाओं के साथ बलात्कार और उसके बाद उसका बदला लेने के लिए आतंकवाद जैसे आरोप आईबी का नया खेल नहीं है. ठीक इसी तरह बाबरी मस्जिद विध्वंस और उसके बाद दंगे के बाद मुसलमानों पर आतंकवाद का आरोप लगया गया और ठीक इसी तरह गुजरात दंगों के बाद मोदी को मारने के नाम पर इसी आईबी ने दर्जनों बेगुनाह मुसलमानों का फर्जी एनकाउंटर किया और मुसलमानों को फंसाने के लिए इंडियन मुजाहिदीन नाम का फर्जी संगठन बनाया है. जिस पर हम लगातार मांग कर रहे हैं कि सरकार श्वेत पत्र लाए पर सरकार के पास जवाब नहीं है.

उन्होंने कहा कि आज जिस तरह से कोई शिवपाल यादव मदरसों तो कभी राहुल गांधी पीडि़तों के कैंपों को दोषी ठहरा रहे हैं ठीक इसी तरह गुजरात दंगों के बाद भी हुआ था.

रिहाई मंच ने कहा कि मुज़फ्फरनगर शामली इलाकों में पीडि़तों के लिए राहत का कार्य कर रहे मदरसों व अन्य सामाजिक लोगों पर राजनीतिक बयानबाजी की वजह से पूरा राहत कार्य प्रभावित हो रहा है. रिहाई मंच के प्रवक्ताओं से बातचीत में कांधला कैंप के व्यवस्था से जुडे़ हाजी साजिद, कैराना कैंप से जुड़े अजमतउल्लाह कैरानवी, जौला व जोगिया खेड़ा जहां पर बलात्कार की घटना हुई से जुड़े मोमिन ने कहा कि इन घटनाओं ने फिर उजागर कर दिया है कि दंगाईयों के हौसले किस कदर बुलंद हैं.

उन्होंने कहा कि अगर सरकार मुसलमानों को सुरक्षा देने के सवाल पर इमानदार होती तो उन्हें अपने वादे के मुताबिक लोहिया आवास योजना के तहत आवास उपलब्ध करा देती तो एक स्तर पर ऐसी घटनाएं रोकना आसान होता.

आज़मगढ़ से जारी बयान में रिहाई मंच के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा के बाद पीडि़तों के कैंप सरकार की किरकिरी बन जाते हैं जिसको बंद कराने के लिए सरकारें किसी हद तक भी जा सकती हैं. ठीक इसी तरह मोदी सरकार ने गुजरात दंगों के बाद पीडि़तों के कैंपों को चला रहे लोगों को राहत के नाम पर आतंकवाद के लिए पैसा इकट्ठा करने का आरोप लगाया था, ठीक वही काम यूपी में अब सपा सरकार कर रही है.

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