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‘आईएम’ से डरे मदनी को जेड-प्लस सुरक्षा

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

पिछले कुछ महीनों से ‘इंडियन मुजाहिदीन’ और उसकी सरगर्मियां सुर्खियों में है. हो भी भला क्यों ना? आईएम के सारे कथित मास्टरमाइंड्स व संस्थापक भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के गिरफ्त में हैं. सुरक्षा एजेंसियां इन कथिक आतंकियों के हवाले से बड़ी आतंकी साजिशों का पर्दाफ़ाश कर रही हैं.

यही नहीं, इनके ‘टेरर मॉड्यूल’ को लेकर खोजी पत्रकार नित नए-नए ख़ुलासे कर रहे हैं. ये अलग बात है कि पत्रकारों के ख़ुलासे तथ्यात्मक रिपोर्टिंग से ज़्यादा जाँच एजेंसियों के अधिकारियों के बयानों पर आधारित हैं.

इस बात का भी पर्दाफाश किया गया कि ‘इंडियन मुजाहिदीन’ के निशाने पर कई मुस्लिम नेता भी हैं. ये ‘सनसनीखेज जानकारी’ आईएम के सह-संस्थापक यासीन भटकल के साथ गिरफ्तार हुए असदुल्लाह अख्तर उर्फ हड्डी ने खुफिया विभाग को पूछताछ के दौरान दी.

उसने बताया कि उनके निशाने पर स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के भूतपूर्व अध्यक्ष डॉ. शाहिद बद्र फलाही के साथ-साथ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बॉर्ड से जुड़े शिया धार्मिक नेता मौलाना कल्बे सादिक़ और जमीअत-ए-उलेमा हिंद के अरशद मदनी व राज्यसभा सांसद महमूद मदनी भी शामिल है.

इसी बात को मद्देनज़र रखते हुए सुरक्षा एजेंसियों व सरकार ने इन्हें जेड प्लस सुरक्षा देने की बात कही थी. और राज्यसभा सांसद महमूद मदनी को जेड प्लस सुरक्षा मुहैय्या करा भी दी गई है. इस बात की तस्दीक खुद मदनी के क़ानूनी सलाहकार व उनकी संस्था के सचिव नेयाज़ फारूक़ी ने की है. उन्होंने बताया कि मदनी साहब की जान को हमेशा से ख़तरा रहा है. इसीलए उनकी सुरक्षा को ध्यान रखते हुए सरकार ने कुछ दिनों पहले उन्हें सुरक्षा उपलब्ध करा दी है.

BeyondHeadlines ने जब इस सिलसिले में महमूद मदनी से बात की तो उन्होंने बताया कि सुरक्षा तो हमें पहले से ही मिली हुई थी. सरकार बस उसे बढ़ाकर अब जेड प्लस कर दिया है. हालांकि उन्होंने से इस बात से इंकार कर दिया वो ‘इंडियन मुजाहिद’ के हिट लिस्ट में हैं. उनका कहना था कि ऐसी ख़बर उनके पास नहीं है. जब उनसे आईएम के वजूद पर सवाल किया तो इस पर कुछ बोलने से इंकार कर दिया.

इस सिलसिले में BeyondHeadlines ने मौलाना कल्बे सादिक़ से भी बात की. उन्होंने बताया कि मुझे सरकार के किसी वाई या जेड प्लस सुरक्षा की ज़रूरत नहीं है. हालांकि सरकार ने सुरक्षा देने की बात की थी, लेकिन हमने सुरक्षा लेने से इंकार कर दिया.

वहीं अरशद मदनी ने बताया कि वो ‘इंडियन मुजाहिदीन’ जैसी संस्था के वजूद को ही नहीं मानते हैं. यह सौ फीसद सरकार व उसकी खुफिया एजेंसियों द्वारा बनाया गया फर्जी संस्था है. खुफिया विभाग बस देश के लोगों को गुमराह करने के लिए ऐसे बातें व बयानात लाती रहती है. मुझे सरकार के किसी सुरक्षा की ज़रूरत नहीं है.

इस सिलसिले में जब पिपुल्स कैंपने अगेंस्ट पॉलिटिक्स ऑफ टेटर से जुड़े  सीनियर जर्नलिस्ट अजीत साही से बात की तो उन्होंने कहा कि महमूद मदनी यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या उन्होंने सुरक्षा लेने से पहले गृह मंत्रालय से यह जानने की कोशिश की कि उनकी जान को कैसे खतरा है? ‘इंडियन मुजाहिदीन’ ने जो बातें कही है, उसका आधार क्या है? जेड प्लस सुरक्षा स्वीकार करने का मतलब है कि उन्होंने ‘इंडियन मुजाहिदीन’ के वजूद को कबूल कर लिया है.

वहीं रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट शोएब ने कहा,  ‘महमूद मदनी ने सुरक्षा स्वीकार करके आईबी द्वारा तैयार किया हुए आतंकी संगठन आईएम के वजूद को स्वीकार कर लिया है. वैसे भी आईबी अपने स्टैण्ड को मज़बूत करने के लिए कभी भटकल व दूसरे लोगों की गिरफ्तार करती है, तो कभी संघ परिवार के लोगों के साथ मिलकर पटना के गांधी मैदान में धमाके कराती है.’

शोएब कहते हैं, ‘ऐसे में महनूद मदनी द्वारा जेड प्लस सुरक्षा स्वीकार किये जाने वाले कृत्य की जितनी निंदा की जाए, वो कम है.’ उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह के बयान व काम करके इन उलेमाओं पर खुद भी हमला करा सकती है.

एडवोकेट शोएब के साथ-साथ मिल्ली गज़ट के एडिटर व मजिलस मशावरत के अध्यक्ष डॉ. ज़फरूल इस्लाम खान ने आईएम के वजूद पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा,  ‘यह खुफिया विभागों द्वारा तैयार किया हुआ फर्जी संस्था है.’

स्पष्ट रहे कि यह वही महमूद मदनी हैं, जिन्होंने पिछले दिनों यह बयान दिया था कि कांग्रेस मुस्लिम वोट पाने के लिए मोदी का डर पैदा कर रही है. वहीं कल्बे सादिक भी ने अपने बयान में कहा था कि मोदी अगर खुद को बदले तो समर्थन को तैयार हैं.

इससे पूर्व 2008 में भी मीडिया में यह खबरें आती रही हैं कि इंडियन मुजाहिदीन ने निजी चैनल को ईमेल भेजकर महमूद मदनी को अपना सबसे बड़ा दुश्मन बताया था. इसके पीछे यह कारण बताया गया कि जमाअते उलेमा हिंद ने आतंकवाद के खिलाफ देवबंद में एक बड़ा सम्मेलन किया था.

26 फरवरी 2008 को हुए इस सम्मेलन में कई प्रस्ताव भी पारित किए गए थे. इसके बाद संगठन ने आतंकी गतिविधियों के खिलाफ देशभर में इस तरह के सम्मेलन आयोजित किए गए.

यही नहीं मदनी को 2012 में भी जान से मारे जाने धमकी की खबर मीडिया में आई थी.  खुद मदनी ने इस मामले में कोतवाली तहरीर भी दी थी. पुलिस को शिकायत दी गई थी कि उनके मोबाइल नंबर पर लगातार जान से मारने की धमकी के फोन आ रहे हैं.

इससे पहले भी उनके देवबंद स्थित निवास पर लगे लैंडलाइन नंबर पर धमकी भरे फोन आने की शिकायत की जा चुकी है. तब भी उन्होंने पुलिस से अपनी व अपने परिवार की सुरक्षा की मांग की थी.

यह कहना पाना मुश्किल है कि मदनी को जान को ख़तरा कितनी यकीनी है या कितना काल्पनिक? लेकिन महमूद मदनी ने अब जेड प्लस सुरक्षा स्वीकार कर ली है. भारत के बड़े मुस्लिम उलेमाओं और राजनेताओं में से एक महमूद मदनी द्वारा आतंकी संगठन ‘इंडियन मुजाहिदीन’ के डर से जेड-प्लस सुरक्षा लेना कहीं न कहीं इस संगठन के वजूद पर मुहर लगा देते हैं. ये अलग बात है कि देश के ज़्यादातर मुसलमान इस संगठन के वजूद को ही हमेशा से नकारते रहे हैं.

बटला हाऊस के विवादित एनकाउंटर में पुलिस ने जिन मुसलिम नौजवानों की जान ली थी, उन्हें भी इंडियन मुजाहिदीन का ही आतंकी बताया गया था. ‘इंडियन मुजाहिदीन’ का वजूद की कहानी भी यहीं से शुरू हुआ था. हालाँकि इस एनकाउंटर पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं और सरकार इसकी न्यायिक जाँच कराने से बचती रही है. सवाल यह भी है कि क्या मुस्लिम उलेमाओं ने अब बटला हाऊस एनकाउंटर को भी हक़ीकी मान लिया है?

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