BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: भाजपा के केजरीवाल से बेतुके सवाल…
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > Lead > भाजपा के केजरीवाल से बेतुके सवाल…
LeadMango Man

भाजपा के केजरीवाल से बेतुके सवाल…

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published December 20, 2013
Share
8 Min Read
SHARE

Irshad Ali for BeyondHeadlines

भाजपा और कांग्रेस आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ से इतने घबराए हुए हैं कि उन्हें कोई सीधा रास्ता नहीं सूझ रहा है. ये दोनों दल अपनी राजनीति और कार्यशैली में परिवर्तन करने के बजाए ‘आप’ को अभी भी नादान समझकर उलझाने की कोशिश कर रहे हैं.

भाजपा जैसी एक बड़ी पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर नयी पार्टी ‘आप’ पर सरकार बनाने के लिए तरह-तरह के दबाव डाल रही है. जबकि प्रकृति से दोनों ही सत्ता पाने के लिए जोड़-तोड़ की राजनीति करने में महारथी हैं, लेकिन इस बार ‘आप’ के चमत्कार के आगे दोनों ही नतमस्तक दिखाई दे रही हैं. विशेष तौर पर भाजपा…

चुनाव के नतीजों पर ज़रा गौर करें तो उसके हिसाब से दिल्ली में भाजपा को सरकार बनानी चाहिए थी, मगर भाजपा पूर्ण बहुमत न जुटा पाने की दलील देकर ‘आप’ को सरकार बनाने को कह रही है.

सवाल यह है कि, जब सबसे ज्यादा 32 सीट पाने वाली भाजपा सरकार नहीं बना सकती तो 28 सीटों वाली ‘आप’ कैसे सरकार बनाएगी ?

‘आप’ ने तो भ्रष्टाचार, भ्रष्ट व्यवस्था और भ्रष्ट राजनीति के खिलाफ चुनाव लड़ा है. इस बारे में ‘आप’ संयोजक अरविंद केजरीवाल कह भी चुके हैं कि वे न तो किसी से समर्थन लेंगे और न ही किसी को समर्थन देंगे. लेकिन दोनों ही पार्टियां ‘आप’ को फंसाने के लिए ज़बरदस्ती बिना शर्त समर्थन देने को तैयार हैं, क्योंकि दोनों पार्टियों को आशंका है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी ‘आप’ बेहतर प्रदर्शन करेगी.

चार राज्यों में हार कर कांग्रेस तो 1967 की उसी हालत में पहुंच गई है जब कांग्रेस को 9 राज्यों में पराजय का सामना करना पड़ा था और भाजपा नरेंद्र मोदी की देश में चलती आंधी को केजरीवाल के चमत्कार के आगे बौनी मानकर डरी हुई है. यही कारण हैं कि दोनों पार्टियां ‘आप’ को फंसाने की राजनीति कर रही हैं.

अब केजरीवाल ने जब दिल्ली में सरकार बनाने के संबंध में दिल्ली की जनता से 5 दिन के अंदर ‘सरकार बनाएं या न बनाएं’ पर राय मांगी है तो ‘आप’ के डर से लोग उसके जनमत-संग्रह कराने के तरीके पर ही सवाल उठा रहे हैं.

वे कह रहे हैं कि ‘आप’ द्वारा किये जा रहे जनमत-संग्रह से दिल्ली की जनता के करोड़ों रुपये खर्च होगें. मगर वे भूल रहे हैं कि मतदाता के रुप में जब जनता वोट डालने जाती हैं तब भी उसके करोड़ों-अरबों रुपये खर्च होते हैं. बेशक इसके लिए सरकार उन्हें छुट्टी प्रदान करे. ये सारे कुतर्क ‘आप’ को फंसाने और जनता को गुमराह करने के लिए दिये जा रहे है.

जहां तक ‘जनमत-संग्रह’ की बात है तो भारत में यह वास्तविक राजनीति की शुरुआत है. इससे लोगों को अहसास होगा कि वोट के बाद भी राजनीति में उनकी कोई भूमिका है. साथ ही ‘जनमत-संग्रह’ एक प्रकार की अभिव्यक्ति है और वैसे भी लोगों को उनके अभिव्यक्ति के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए.

भाजपा ने तो केजरीवाल से 18 ऐसे बेतुके सवाल पूछे हैं जिनका कोई महत्व नहीं है. अगर थोड़ा बहुत है भी तो वे भाजपा पर भी लागू होते हैं. जैसे भाजपा ने केजरीवाल से पूछा कि ‘अनिश्चय की स्थिति से दिल्ली में विकास बाधित हो रहा है, इसके लिए ‘आप’ दोषी है कि नहीं?’ जबाव सामान्य-सा है. जब भाजपा संसद में सदन नहीं चलने देती, तो क्या तब देश का विकास बाधित नहीं होता?

दूसरा सवाल- भाजपा ने यह भी पूछा कि ‘आप और कांग्रेस के बीच क्या डील हुई है?’ सबसे पहले तो इस सवाल का जबाव इस कथन में है कि राजनीति में न तो कोई स्थायी दुश्मन होता है और न ही अस्थायी मित्र. और अगर ‘आप’ ने कांग्रेस से कोई डील की भी होती तो केजरीवाल कब का सरकार बना चुके होते. न कि दिल्ली की जनता से सरकार बनाने के लिए राय मांगते. जहां तक कांग्रेस से समर्थन लेने का सवाल है तो ‘आप’ पहले ही स्पष्ट कर चुकी है. इसलिए इस सवाल का कोई औचित्य नहीं है.

भाजपा पूछ रही है कि ‘आप’ सरकार बनाने के लिए यह ड्रामा (जनमत-संग्रह) क्यों कर रही है? राजनीति में बदलते परिदृश्य का नया अवतार, भाजपा को शायद पसंद नहीं आ रहा है. केजरीवाल और ‘आप’ एक वास्तविक और ईमानदार तथा जनभागीदारी वाली राजनीति की शुरुआत कर रहे हैं तो भाजपा ‘आप’ के बढ़ते प्रभाव के कारण इसे ड्रामा बता रही है.

भाजपा के बेतुके सवाल कुछ ऐसे हैं कि उसने केजरीवाल से पूछा है कि ‘अन्ना हजारे द्वारा पार्टी न बनाने की सलाह क्यों नहीं मानी गई?’ तो भाजपा को मालूम होगा कि भारत में सभी नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(c) के तहत संगठन या संघ बनाने का अधिकार है तो केजरीवाल अन्ना की बात क्यों माने?

अगर अन्ना की सलाह मानने का ही सवाल है तो कल यदि अन्ना भाजपा के नेताओं को सलाह दे कि वे भाजपा को भंग कर दें तो क्या वे ऐसा करेंगें..? लगता है भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के साथ-साथ पार्टी के अन्य नेताओं में भी ज्ञान और संविधानिक प्रावधानों का अभाव है.

भाजपा ने केजरीवाल से सवाल किया है कि ‘क्या ‘आप’ का उद्देश्य चुनाव लड़ने के नाम पर केवल चंदा प्राप्त करना नहीं है?’ तो इसका जबाव भी यही है कि ‘आप’ ने अपने एक-एक पैसे का हिसाब-किताब दिया है. सरकार द्वारा किये गये कार्यों की केजरीवाल द्वारा ऑडिट कराने की नीति भाजपा को अख़र रही है भाजपा को डर है कि दिल्ली एमसीडी में उसकी सरकार है. अगर दिल्ली सरकार के कार्यों की ऑडिटिंग होती है तो एमसीडी के कार्यों की ऑडिटिंग होना भी स्वभाविक होगा. इसीलिए वह ‘आप’ से बेतुके सवाल कर रही है जिनका कोई वास्तविक औचित्य नहीं है.

भाजपा का सवाल काबिल-ए-गौर है कि ‘क्या केजरीवाल एंड पार्टी समाजसेवी अन्ना हजारे से ज्यादा बुद्धिमान हैं?’ तो यहां पर किसी व्यक्ति की अन्य से बुद्धिमता के आधार पर तुलना करने का औचित्य शायद भाजपा भी समझा पाएं. ऐसे में जब नरेंद्र मोदी इतिहास के तथ्यों को गलत ढंग से रखते हैं तो पूरी भाजपा की बुद्धिमता पर ही सवाल खड़े हो जाते हैं क्योंकि नरेंद्र मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं.

आम आदमी पार्टी के उदय और प्रदर्शन से कांग्रेस और भाजपा इतनी असहज हो गई हैं कि अपनी गलती ठीक करने के बजाए आम आदमी पार्टी पर लगाम लगाने के लिए कुतर्कों और बेतुके सवालों का सहारा ले रही है. बेहतर होता अगर दोनों पार्टियां  ‘आप’ की तरह वास्तविक सुशासन देने के लिए प्रयास करती और भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करती.

(लेखक इन दिनों प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रहे हैं.)

TAGGED:BJP foolish questions
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts
World Heritage Day Spotlight: Waqf Relics in Delhi Caught in Crossfire
Waqf Facts Young Indian
India: ₹1,662 Crore Waqf Land Scam Exposed in Pune; ED, CBI Urged to Act
Waqf Facts

You Might Also Like

IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

OLX Seller Makes Communal Remarks on Buyer’s Religion, Shows Hatred Towards Muslims; Police Complaint Filed

May 13, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

Shiv Bhakts Make Mahashivratri Night of Horror for Muslims Across India!

March 4, 2025
Edit/Op-EdHistoryIndiaLeadYoung Indian

Maha Kumbh: From Nehru and Kripalani’s Views to Modi’s Ritual

February 7, 2025
HistoryIndiaLatest NewsLeadWorld

First Journalist Imprisoned for Supporting Turkey During British Rule in India

January 5, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?