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मानो या ना मानो: मोदी का जादू…

Mobassir Ali for BeyondHeadlines

राजस्थान विधानसभा चुनाव का परिणाम बड़े चौंकाने वाला रहा. शायद भाजपा ने भी कभी ऐसे परिणाम की कल्पना नहीं की होगी. जहाँ एक तरफ कांग्रेस मात्र 21 सीटों पर सिमट गई और उसके प्रदेश अध्यक्ष समेत कई दिग्गज अपनी ज़मानत तक नहीं बचा पाए. वहीं भाजपा ने 162 सीटों पर क़ब्जा जमा कर बहुमत के साथ पाँच साल बाद सत्ता में वापसी की है.

राजस्थान में आए चुनाव परिणामों ने यह साबित कर दिया कि अशोक गहलोत की लुभावनी स्कीमें बुरी तरह फेल हुई हैं. एक तरफ जहाँ अल्पसंख्यक मतदाताओं में अशोक गहलोत के खिलाफ भारी आक्रोश था जिसका कारण उसकी दिखावटी घोषणाएँ और राजस्थान में हुए दंगे थे, वहीं दुसरी ओर युवा वर्ग में उसके लिए बहुत नाराज़गी थी जिसका कारण अशोक गहलोत द्वारा की गई छुठी घोषणाओं का सैलाब रहा. एक तरफ गहलोत घोषणाएं करते गये वहीं दुसरी तरफ कोर्ट उन पर धडाधड़ रोक लगाता रहा, जिससे युवाओं को यह अंदेशा हो गया कि यह सभी घोषणाएं बीरबल की खिचड़ी है, जो कभी नहीं पकने वाली जिनके कारण गहलोत को मुँह कि खानी पड़ी. परन्तु अपने धोखों के कारण उसे इतनी बुरी खानी पडे़गी इसका अंदेशा गहलोत को भी नहीं था.

इस परिणाम के पीछे सबसे अहम तथ्य नमो का जादू सिद्ध हुआ. राजस्थान में भाजपा को 45 प्रतिशत वोट मिले जो अपने आप में इस बात का सुबूत है कि मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में हो गई है. साथ ही जिस प्रकार से वोटों का ध्रुवीकरण हुआ है वो भी इस बात को सिद्ध कर रहा है.

राजस्थान की अधिकतर सीटों पर बहुसंख्यक मत भाजपा के खाते में गए हैं. इसका एक उदाहरण जयपुर शहर की हवामहल विधानसभा सीट है, जहाँ एक लाख तीस हजार मतदाताओं में से 65000 मुस्लिम मतदाताओं में से अनुमानित 8000 अन्यों के खाते में व 55000 कांग्रेस के पास गए हैं और भाजपा उम्मीदवार बाकी बचे मतों को लेकर जीता है. यह सिद्ध करती है कि वोटों का ध्रुवीकरण हुआ है जिसके कारण भाजपा को भारी जीत मिली है. इस ध्रुवीकरण का कारण निसंदेह नमो फैक्टर रहा है.

साथ ही यह बात भी गौर करने लायक है कि प्रचार अभियान के दौरान राहुल व मनमोहन की रैली में पाँच व दस हजार लोगों का इकट्ठा होना और वहीं दुसरी ओर मोदी की सभा में 50-50 हजार लोगों का इकट्ठा होना यह इशारा करता है कि नमो का जादू चला है. इतना सब कुछ होने के बाद शायद कोई नासमझ व्यक्ति ही मोदी के जादू का इंकार कर रहा होगा.

यह भी गौर करने वाली बात है कि आखिर वो कौन सा फैक्टर यह जिसने नमो को फैक्टर बनाया. इस सत्य से कोई इनकार नहीं कर सकता कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ व राजस्थान संघ के गढ़ हैं और मोदी को संघ ने ही प्रोजेक्ट किया है. इस लिए संघ भी अपनी साख बचाने के लिए मोदी के पक्ष में जी जान से लगी है.

मोदी के नाम की आंधी चलाने वाला और कोई नहीं संघ परिवार ही है और इसी फैक्टर ने मोदी को फैक्टर बनाया है. पर अब यह देखना रोचक होगा कि क्या संघ (मोदी) का यह जादू केन्द्र के आगामी चुनावों में भी रहेगा? क्या संघ के प्रभाव क्षेत्र से बाहर के राज्यों में मादी का जादू चल पाएगा? और क्या भाजपा आने वाले लोकसभा चुनाव में 272 का जादुई आंकड़ा पार कर पाएगी? ऐसी उम्मीदें कम है कि एक हिटलर स्वरूप छवि वाला मोदी गैर संघी राज्यों में प्रभाव छोड़ पाए. यह भी देखना होगा के अब कांग्रेस किस रणनिति के साथ मैदान में वापसी करेगी? मगर अभी के लिए तो मानों या ना मानो मोदी का जादू चल गया…

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