Dr. Rajesh Garg for BeyondHeadlines
दिल्ली के बेहद ठन्डे मौसम में जिस तरह का सियासी उबाल आया हुआ है वो अपने आप में आश्चर्यजनक है… खासकर महिलाओं की सुरक्षा और दिल्ली पुलिस पर दिल्ली सरकार के नियंत्रण के मुद्दे पर बहस का दौर सर्वत्र जारी है. इधर दिल्ली के “खिड़की एक्सटेंशन” में मादक पदार्थों और जिस्मफरोशी के मामले में विदेशी मूल के लोगों के हाथ होने की खबर पर दिल्ली में राजनैतिक तूफान मचा हुआ है.
इस सारे प्रकरण में “आप” के दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती को विरोधी दलों और मीडिया के कुछ लोगों द्वारा सबसे बड़ा गुनाहगार साबित करने की हौड़ लगी है… जैसे पूरी प्रकरण में सिर्फ वो ही दोषी हैं और उन्होंने कोई बहुत बड़ा राष्ट्र-विरोधी काम कर दिया हो…
इस लेख को आगे बढ़ाने से पहले एक बात साफ़ करता चलूं कि किसी भी जाति, धर्म, संप्रदाय, राष्ट्र, भाषा या स्थान विशेष के व्यक्ति के खिलाफ गलत भाषा, आचरण, टिप्पणी और व्यवहार किसी भी समझदार और जिम्मेदार व्यक्ति को शोभा नहीं देता, चाहे वो किसी भी पद पर हों या किसी भी दल के हों… हम ऐसे किसी भी व्यक्ति द्वारा दिए गए अशोभनीय बयान/ कृत्य की पुरजोर निंदा और भर्त्सना करते हैं…
चलिए एक बार को मान भी लिया जाया कि सोमनाथ भारती ने पुलिस को उसके काम करने से रोका, पुलिस पर बेवजह का रौब जमाया और वहां पर विदेशी महिलाओं के साथ उनकी कहा-सुनी भी हुई… चलिए एक बार को उन्हें इसका दोषी भी मान लेते है… पर इस पूरे मुद्दे में कुछ सवाल अभी भी जवाब की बाह जौट रहे हैं:-
1. क्या इस पूरे प्रकरण के मूल मुद्दे -ड्रग्स और जिस्मफरोशी- की वहां की जनता की समस्या पर अब तक कोई भी, छोटी सी ही सही, पुलिस कार्यवाही हुई है ?
2. मान लेते हैं कि कल चलकर किसी मोहल्ले के कुछ लोग अपने इलाके में कुछ संदिग्ध लोगों की शिकायत अपने लोकल पुलिस अधिकारिओं और उसके बाद बड़े पुलिस अधिकारिओं से करते हैं, पर कोई कार्यवाही नहीं होती…. फिर वो अपने लोकल नेता को बताते हैं पर कोई नतीजा नहीं… फिर कानून मंत्री को बताते हैं, पर पुलिस कानून मंत्री की भी नहीं सुनती… अब जनता क्या करे? क्या अब सीधा देश के गृह मंत्री उनकी शिकायत पर गौर फरमाने के लिए तैयार हैं ? क्या ऐसा कोई सिस्टम दिल्ली में केंद्र सरकार ने लागू किया हुआ है ? आखिर किसी ना किसी को तो जिम्मेदारी लेनी ही होगी ना… इस असमंजस पर दिल्ली की जनता का सीधा सा प्रश्न है- आखिरकार जनता जाये तो किसके पास जाये ? या फिर चुपचाप बैठे रहे मुंह सीलकर और आँखें बंद करके गलत को होते रहने दें और उसे सहन करते रहे? पर क्या ये वो ही लोकतंत्र होगा जिसकी दुहाई विपक्ष द्वारा बार-बार दी जा रही है ?
3. जब भी किसी और मुल्क में विदेशी नागरिकों के सम्बन्ध में कोई शिकायत आती है या उनका विरोध होता है तो वहां का प्रशासन/सरकार मुस्तैदी से काम करता हुआ जल्द से जल्द मामले की तह तक जाता है, क्योंकि इन मामलों में उस राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता जुडी होती है… अगर सोमनाथ भारती ने किसी विदेशी महिला के साथ कोई बदसलूकी की है तो उन्हें जांच के बाद जो चाहे सजा दे दी जाये, पर क्या उन विदेशी नागरिकों की कोई जांच नहीं होगी, जिनके इर्द-गिर्द ये पूरा बवाल खड़ा हुआ ?
-क्या कोई भी इन विदेशी नागरिकों के पासपोर्ट की जांच नहीं करेगा ?
-क्या कोई भी संदिग्ध विदेशिओं के क्रिया-कलापों की जांच नहीं करेगा?
-क्या कोई भी, बाद में ही सही, पर इनके फ़ोन रिकार्ड्स की जांच नहीं करेगा ?
-क्या कोई इनकी आमदनी, खर्चे, बैंक के लेन-देन की जांच नहीं करेगा ?
-क्या कोई इनके वीजा के आधार जैसे शिक्षा आदि के बारे में जानकारी नहीं जुटाएगा जिसके आधार पर ये भारत में रह रहे हैं ? है कोई ऐसा सिस्टम जिससे ये पता चल सके कि शिक्षा प्राप्त करने वाले कितने विदेशी यहाँ वास्तव में शिक्षा प्राप्त कर रहे या कुछ और ही खिचड़ी पका रहे हैं ? कोई देखता है कि ये कौन से कॉलेज में हैं, कॉलेज जाते भी हैं या नहीं, पढाई करते भी हैं या नहीं ?
-क्या कोई इनसे नहीं पूछेगा कि ये क्या काम करते हैं और इनकी आजीविका का साधन क्या है ?
-क्या अमरीका सिर्फ संदेह मात्र पर हमारे देश के बड़े से बड़े नेता, अभिनेता और गणमान्य लोगों के कपडे उतरवाकर अपने देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा नहीं करता ? माना कि विदेशी मूल के लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है पर पूरी दुनिया में ऐसा कौन सा मुल्क है जहाँ अगर उनके नागरिकों ने भारतीयों पर संदेह जाहिर किया हो तो भारतीयों की जांच ना हुई हो और उन पर कार्यवाही ना की गयी हो ?
-क्या अगर यही – जी हाँ, ठीक यही दिल्ली वाला किस्सा- यदि पकिस्तान, सऊदी अरब, अमरीका, यूरोप के किसी देश में होता तो क्या वहां के लोकल लोगों की शिकायत पर वहां की सरकार संदिग्ध भारतीओं के खिलाफ जांच नहीं करती ???
4. कल चलकर यदि किसी मोहल्ले के कुछ लोग कहते हैं कि उनके इलाके में कुछ लोग “संदिग्ध गतिविधिओं” में संलिप्त हो सकते हैं और वो ये शंका भी जाहिर करते हैं कि ये लोग कोई आतंकवादी गतिविधि में भी शामिल हो सकते हैं… पर अगर लोकल पुलिस या बड़े पुलिस अधिकारी उनकी बात अनसुनी करते हैं तो जनता क्या करे ? और अगर वो जनता अपने नेता के पास जाते हैं और वो नेता पुलिस को कार्यवाही करने को कहते हैं तो क्या पुलिस को कार्यवाही नहीं करनी चाहिए ? तो ऐसे में क्या उन संदिग्ध लोगों को अपने मनसूबे में कामयाब होने दिया जाये? क्या ये कहकर उन पर कोई कार्यवाही ना की जाए कि उन्होंने अभी तक कोई आतंकवादी घटना को अंजाम तो नहीं दिया है? क्या उनपर निगाह रखना भी उनके मानवधिकारों का हनन हो जायेगा?
तो फिर क्यों हर जगह- रेल, बस स्टैंड, बाज़ार, सार्वजानिक जगहों पर पुलिस ये लिखवाती है कि कोई भी संदिग्ध व्यक्ति या वस्तु मिले/दिखे तो तुरंत पुलिस को सूचित करें ? क्या फायदा है ऐसे इश्तिहार लगवाकर अगर उनपर कोई कार्यवाही ही नहीं करनी है ?
आखिर क्या चाहते हैं विपक्ष और मीडिया के कुछ दोस्त ? क्या एक महिला से बदसलूकी के कथित घटना को ब्रेकिंग न्यूज़ बनाकर मूल मुद्दे को कचरे के डिब्बे में डाल दिया जाये? अगर खिड़की एक्सटेंशन के स्थानीय लोगों की शिकायत है कि उनके इलाके में सारे नहीं तो कुछ विदेशी ही सही गलत/गैर-क़ानूनी कामों में संलिप्त हैं और उनकी वजह से वहां का सामाजिक ताना-बाना बिगड़ रहा है तो क्या हम कुछ विदेशी मेहमानों को खुश रखने के लिए जांच तक ना करेंगे?
कहीं राजनीती करने के चक्कर में हम इस मुल्क में ऐसा माहौल तो नहीं बना रहे कि कोई भी राष्ट्र-विरोधी देसी-विदेशी तत्व अपने खिलाफ कार्यवाही को रोकने के लिए जन-प्रतिनिधिओं और पुलिस अधिकारिओं पर “छेड़-छाड़, दुर्व्यवहार” के बेबुनियाद इल्ज़ाम लगा कर पाक-साफ़ निकल जाये और हमारा प्रशासन, मीडिया, पुलिस और न्यायिक तंत्र खुद में ही उलझता रहे और ये लोग अपने गलत कामों को बेख़ौफ़ अंजाम देते रहे और आखिरी हंसी इन्ही कुछ संदिग्ध विदेशियों की ही हो…
क्या ऐसा करके हम राष्ट्र-विरोधी विदेशी तत्वों को शह नहीं दे रहे कि वो लोग कुछ भी करें तो भी हिन्दुस्तान में उनका कोई भी कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता…
याद कीजिये- इटली के दो नौसेना के जवानों को इस मुल्क की कांग्रेस सरकार ने जेल में होने के बावजूद उन्हें “मतदान” करने के लिए उन्हें इटली भेज दिया था ! और बाद में उन सैनिकों को इटली ने वापिस भेजने से मना कर दिया था पर भारत के सुप्रीम कोर्ट के बेहद सख्त रुख से बेबस हो उन दोनों को वापिस भारत आना पड़ा…
अब प्रश्न ये है कि क्या हिन्दुस्तान में सभी कैदियों को भी “मतदान” करने के लिए जेल से रिहा किया जाता है ? आखिर क्यों इस मुल्क में विदेशी अपराधिओं तक को “VIP” क्यों समझा जाता है और विदेशों में कुछ “VIP” भारतीय लोगों को भी अपराधी ? अब ये इस मुल्क तो तय करना है कि क्या इस देश की सुरक्षा, अखंडता, संप्रभुता को अक्षुण्ण रखने के लिए क्या हम मानवाधिकारों की आड़ में देश की नींव को खोखला करने वालों को पनपने देंगे ?
अगर सोमनाथ भारती ने किसी भी महिला के साथ दुर्वयवहार किया हो तो उसकी जांच कर कानून-सम्मत कार्यवाही की जा सकती है पर इस बात को ही मुख्य मुद्दा बना कर क्या खिड़की एक्सटेंशन में हो रहे ड्रग्स और जिस्मफरोशी के गैर-क़ानूनी और असामाजिक कामों पर जांच और कार्यवाही नहीं होनी चाहिए ?
अब वक़्त आ गया है कि इस मुल्क में राजनीती को राजनीती ही रहने दें तो बेहतर हैं क्योंकि राजनीती देश से बड़ी ना कभी थी, ना है और ना ही होगी…. जय हिन्द ! वन्दे मातरम !!!