BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: भाजपा अपना इतिहास बताने के बजाए छुपा क्यों रही है?
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > Edit/Op-Ed > भाजपा अपना इतिहास बताने के बजाए छुपा क्यों रही है?
Edit/Op-EdLead

भाजपा अपना इतिहास बताने के बजाए छुपा क्यों रही है?

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published March 13, 2014
Share
9 Min Read
SHARE

Anil Yadav for BeyondHeadlines

दर्शनशास्त्र में एक बेहद प्रसिद्ध तर्क है जिसके आधार पर अनुमान को ज्ञान का साधन माना जाता है-जहां-जहां धुंआ है वहां-वहां आग है…

दर्शनशास्त्र के इस लॉजिक को यदि मोदी और उनके इतिहास बोध पर लागू किया जाए तो हम आसानी से समझ सकते हैं कि नरेन्द्र मोदी जब भी इतिहास के सन्दर्भ में मुंह खोलेगें, गलत ही बोलेगें. इस परिपेक्ष्य में हमारे पास उदाहरणों की पूरी खेप है, जब मोदी ने अपने इतिहास-बोध का परिचय दिया. चाहे वह सिकन्दर के गंगा तट पर आने का सन्दर्भ रहा हो, या फिर तक्षशिला को बिहार में बताना. एक बार फिर से नरेन्द्र मोदी ने अपने इतिहास बोध का परिचय देते हुए प्रेरणादायी क्रान्तिकारी भगत सिंह को अण्डमान की जेल में अधिकतम समय बीताने का हवाला दिया.

चुनाव आने पर मोदी को स्वतन्त्रता सेनानियों की बहुत याद आने लगी है. कलकत्ता की एक रैली में मोदी को नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की याद आ गयी और उन्होंने सुभाष चन्द्र बोस के नारे को तोड़-मरोड़ कर कहा- तुम मुझे साथ दो, मैं तुम्हें स्वराज दूंगा.

जिस सुभाष चन्द्र बोस के नारे को मोदी अपने रंग में रंगकर बोल रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि जिस संघ परिवार की शाखाओं में वह खेल-कूदकर आज पीएम पद का दावेदार बने हैं, उस संघ का नेता जी से क्या सम्बन्ध था? एक ओर जब नेता जी देश को आज़ाद कराने के लिए जर्मन और जपानी फौजों की सहायता लेने की रणनीति पर काम कर रहे थे तो दूसरी ओर संघ के मार्गदर्शक सावकर अंग्रेजों का साथ देने में व्यस्त थे. यह नेता जी के लक्ष्य के साथ गद्दारी नहीं तो और क्या थी?

मदुरा में अपने अनुयायियों से सावकर ने कहा था- चूंकि जापान एशिया को यूरोपीय प्रभाव से मुक्त करने के लिए सेना के साथ आगे बढ़ रहा है, ऐसी स्थिति में ब्रिटिश सेना को भारतीयों की ज़रुरत है, (सावरकर: मिथक और सच, शम्सुल इस्लाम पृष्ठ-34)

इसी सन्दर्भ में सावरकर ने प्रतिनिधियों को बताया कि हिन्दू महासभा की कोशिशों से लगभग एक लाख हिन्दुओं को सेना में भर्ती करवाया गया है. ऐसे में मोदी को क्या यह अधिकार मिलना चाहिए कि वह नेताजी के नारे के साथ खिलवाड़ करें.

अभी हाल में अहमदाबाद के एक कार्यक्रम में नरेन्द्र मोदी ने भगत सिंह के बारे में बताते हुए कहा कि उनका अधिकतम समय अण्डमान की जेल में बीता. आजादी की लड़ाई में शामिल तमाम नेताओं में भगत सिंह आज भारत के युवाओं में स्थापित आदर्श हैं. खुद को युवा बताने वाले मोदी को ‘युवाओं के आदर्श’ भगत सिंह के बारे में की गयी टिप्पणी हस्यापद ही नहीं बल्कि शर्मनाक है.

खैर, जिस मोदी के शासन काल में गुजरात में इतना बड़ा दंगा हुआ. सैकड़ों लोग मारे गये, हजारों घर बर्बाद हुए, वही मोदी आज भगत सिंह का नाम ले रहे हैं.

अहमदाबाद के वार रूम में बैठे रिजवान कादरी और विष्णु पांड्या को भगत सिंह के बारे में बोलने से पहले मोदी को यह सलाह ज़रुर देनी चाहिए थी कि वह भगत सिंह द्वारा लिखे लेख को ज़रुर पढ़ लें, भगत सिंह ने जून 1928 में ‘किरती’ पत्रिका में साम्प्रदायिक दंगे और उनका इलाज’ नामक एक ऐतिहासिक लेख लिखा था. मोदी जैसे नेताओं को तो इसे जरुर पढ़ना चाहिए और अपना आंकलन करना चाहिए कि यदि भगत सिंह आज होते तो उनका रवैया मोदी के प्रति क्या होता?

निसन्देह भगत सिंह ने मोदी जैसे नेताओं के बारे में ही लिखा था कि ‘वे नेता जो ‘समान राष्ट्रीयता’ और ‘स्वराज के दमगजे मारते नहीं थकते, वही आज अपने सिर छिपाये चुपचाप बैठे है या धर्मान्धता के बहाव में बह रहे हैं.’

खैर मोदी चुप मार कर बैठने वाले भी साबित नहीं हुए, बल्कि उन्होंने दंगे की आग में घी डालने का काम किया. आज मोदी के कारिन्दे जिस सुप्रीम कोर्ट का तमगा हिला-हिलाकर उन्हें पाक साफ बता रहे हैं. उसी सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को ‘आधुनिक नीरो’ की संज्ञा दी थी.

रोचक प्रश्न यह है कि मोदी को अचानक भगत सिंह और सुभाष चन्द्र बोस जैसे क्रान्तिकारी नेताओं की याद क्यों आ रही है? वस्तुतः आजादी के एक लम्बे संघर्ष में संघ की राजनीति का कोई अपना गौरवशाली इतिहास शामिल नहीं है, आज भारतीय राजनीति में सक्रिय तमाम राजनैतिक पार्टियों के पास प्रतीक के तौर पर ही सही, कोई ना कोई स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ा नेता ज़रुर है, जिसको वे अपना आदर्श मानते हैं. इसका नमूना हम तमाम पार्टियों के होर्डिंग, पोस्टर पर देख सकते हैं. परन्तु भाजपा के पास एक बड़ी समस्या रही है कि वह किसी भी महापुरुष को अपना आदर्श बनाने में असफल रही है.

भारत के आजादी के गौरवशाली इतिहास में इनको एक भी महापुरुष ऐसा नहीं मिला जिसको ये अपने ‘आईकॉन’ के तौर पर स्थापित कर सके. छह महान हिन्दू युगों का बयान करने वाले सावरकर और उनके चेलों की यह विवशता देखते ही बनती है.

अपने सत्ता के छह सालों में एनडीए ने कई बार संघ के नेताओं की राष्ट्रीय छवि बनाने की कोशिश ज़रुर की. इसके लिए इतिहास के पुनर्लेखन तक का सहारा लिया गया. इसका प्रमुख उद्देश्य अपने साम्प्रदायिक चेहरों को ऐतिहासिक वैधता प्रदान करना है. इस सन्दर्भ में बहुत ही रोचक तथ्य है कि उत्तर प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार ने प्रस्तावित एक पुस्तक में स्वाधीनता के नाम पर दिये गये बीस पृष्ठों में तीन पृष्ठ आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के नाम पर भर दिया.

इसी क्रम में सावरकर का भी उल्लेख किया जाना चाहिए. 26 फरवरी 2003 को सावरकर के चित्र को संसद के केन्द्रीय कक्ष में महात्मा गांधी के बगल में लगाकर उनकी राष्ट्रीय छवि बनाने की कोशिश की गयी. सावरकर के चित्र को गांधी के समतुल्य लगाकर उनके कुकृत्यों पर धूल डालने की साजिश की गयी. वस्तुतः ऐतिहासिक तथ्य यह है कि सावरकर ने अंग्रेजी हुकूमत के समक्ष घुटने टेक दिये थे. यदि कोई भी स्वाभिमानी व्याक्ति सावरकर के माफीनामे को पढ़ेगा तो शर्म से सिर झुका लेगा.

अक्टूबर 1939 में लार्ड लिनलिथगो से मुलाकात के दौरान सावकर ने कहा- चूंकि हमारे हित एक दूसरे से इस क़दर जुड़े हुए हैं कि ज़रूरत इस बात की है कि हिन्दुत्ववाद और ग्रेट ब्रिटेन मित्र बन जाएं और अब पुरानी दुश्मनी की ज़रूरत नहीं रह गयी है (रविशंकर, दी रियल सावरकर, फ्रंटलाइन, 2 अगस्त 2002, पृष्ठ -117).

राष्ट्र और राष्ट्रीयता का दम भरने वाली भाजपा अक्सर कहती है कि संघ परिवार के नेता स्वतन्त्रता आन्दोलन के सक्रिय सेनानी हों. अपने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी तक को भारत छोड़ो आन्दोलन का योद्धा क़रार देती है. परन्तु सत्य कुछ दूसरा ही है, जानी-मानी स्तम्भ लेखिका मानिनी चटर्जी ने फ्रंटलाइन में एक लेख ‘अटल बिहारी और भारत छोड़ो आन्दोलन’ में साबित कर दिया है कि अटल बिहारी ने उस समय कोर्ट के सामने खुद स्वीकार किया था कि वे बटेश्वर विद्रोह में शामिल नहीं थे, साथ ही साथ अटल बिहारी की गवाही के चलते एक आन्दोलनकारी को सजा तक हो गयी थी. (www.frontline.in/static/ html/fl1503/15031150 htm) इस पूरी प्रक्रिया में अटल बिहारी को क्या समझा जाना चाहिए?

एक दौर में लाल कृष्ण आडवानी जो पूरे भारत में स्वतन्त्रता सेनानियों को सम्मानित करने के लिए निकले थे, लेकिन उनको संघ से जुड़े सेनानियों के लिए मोहताज ही होना पड़ा था. यह कटु सत्य है कि संघ परिवार उपनिवेशवादियों के षड्यन्त्र में सक्रिय सहयोगी रहा है. भारत के प्राचीन इतिहास के कसीदे पढ़ने वालों के पास इतिहास छुपाने के लिए है, बताने के लिए कुछ भी नहीं…

TAGGED:history of bjp
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

OLX Seller Makes Communal Remarks on Buyer’s Religion, Shows Hatred Towards Muslims; Police Complaint Filed

May 13, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

Shiv Bhakts Make Mahashivratri Night of Horror for Muslims Across India!

March 4, 2025
Edit/Op-EdHistoryIndiaLeadYoung Indian

Maha Kumbh: From Nehru and Kripalani’s Views to Modi’s Ritual

February 7, 2025
HistoryIndiaLatest NewsLeadWorld

First Journalist Imprisoned for Supporting Turkey During British Rule in India

January 5, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?