BeyondHeadlines News Desk
राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को चुनौती देकर धूल चटाने और राजनीति में नए आदर्श स्थापित करने का पर्याय बन चुके आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल अब नरेंद्र मोदी सरकार के तथाकथित विकास का पर्दाफ़ाश करने गुजरात के चार दिन के दौरे पर हैं.
लेकिन दौरे के पहले दिन के घटनाक्रम से लग रहा है कि वे नरेंद्र मोदी के जाल में फँस गए हैं. केजरीवाल के गुजरात दौरे के पहले दिन की सुर्खी पाटन के राधनपुर में उन्हें पूछताछ के लिए कुछ देर की पुलिस हिरासत में लिया जाना रहा.
अपने साहेब के इशारे पर महिलाओं की जासूसी और राजनीतिक आक़ाओं के इशारे पर मासूमों का फ़र्ज़ी एनकाउंटर तक करने के लिए कुख्यात गुजरात पुलिस ने बिना किसी वजह के केजरीवाल को हिरासत में लेकर उनके गुजरात के विकास के असली चेहरे को देश के सामने लाने के एजेंडे को पटरी से उतार दिया.
नरेंद्र मोदी जानते हैं कि झूठ, आडंबर और मीडिया मायाजाल के दम पर वे केजरीवाल का न मुक़ाबला कर सकते हैं और न पारदर्शिता के मामले में उनके स्तर तक जा सकते हैं इसलिए वे केजरीवाल को ही अपने स्तर पर ले आने में कामयाब रहे.
नतीजा यह हुआ कि उधर केजरीवाल हिरासत में लिए गए और इधर आम आदमी पार्टी के उतावले समर्थकों ने अपने नेताओं की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी का दफ़्तर घेर लिया.
होना तो यह था कि केजरीवाल गुजरात जाते और वहाँ के विकास की असली तस्वीरें मीडिया, सोशल मीडिया और कार्यकर्ताओं के माध्यम से देश के सामने आती लेकिन हुआ ये कि आम आदमी पार्टी के समर्थक सड़कों पर उतर आए. साथ ही भारतीय जनता पार्टी को भी केजरीवाल को ‘अराजक’ कहने का शानदार मौक़ा हाथ लग गया.
नरेंद्र मोदी भलीभांति जानते हैं कि विदेशों की फ़ोटोशॉप की कई तस्वीरों के दम पर उनके ‘पेड नेटवीर’ आम आदमी पार्टी के स्वयसेवकों की टीम का मुक़ाबला नहीं कर सकते.
नफ़रत, सांप्रदायिकता, लालच, घमंड और सत्ता सुख का जो पैकेज वे ‘विकास की पन्नी’ चढ़ाकर बेच रहे हैं उसका सच सामने लाना केजरीवाल के लिए कोई असंभव काम नहीं हैं.
अरविंद केजरीवाल पहले ही अंबानी और अडानी उद्योग परिवारों से नरेंद्र मोदी के रिश्तों पर सवाल उठा चुके हैं. ऐसे में गुजरात में केजरीवाल के किसी हंगामा खड़ा करने में कामयाब होने का मतलब होगा अपने ख्वाबों में पीएम की कुर्सी पर सो रहे नरेंद्र मोदी का नींद से जागना और हक़ीक़त का सामना करने के लिए मज़बूर होना.
केजरीवाल की एक और सबसे बड़ी ताक़त यह है कि वे जहाँ भी जाते हैं मीडिया उनके पीछे जाता है. केजरीवाल गुजरात में जाएंगे तो मीडिया के कैमरे भी वहाँ पहुँचेंगे और गुजरात के विकास का पर्दाफ़ाश होने की संभावना बढ़ जाएगी.
अभी केजरीवाल के पास गुजरात में तीन दिन और हैं. यदि ‘केजरी बम’ ‘फेकू के गुब्बारे’ की हवा निकालने में कामयाब हो गया तो राजनीतिक परिणाम दिलचस्प हो सकते हैं.
