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Reading: यूपीए सरकार में शिशु मृत्यु दर : खर्च बढ़े पर हालात नहीं बदले…
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BeyondHeadlines > Exclusive > यूपीए सरकार में शिशु मृत्यु दर : खर्च बढ़े पर हालात नहीं बदले…
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यूपीए सरकार में शिशु मृत्यु दर : खर्च बढ़े पर हालात नहीं बदले…

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published March 7, 2014 2 Views
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10 Min Read
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Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

पिछले एक दशक के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास के बड़े-बड़े दावे किए जाते रहे हैं, यहां तक कि हमारी विकास की दर 8.5 फीसद तक पहुंच गई है, लेकिन जब बात शिशु मृत्यु दर या बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर आती है तो सारे दावे हवा-हवाई हो जाते हैं.

BeyondHeadlines को आरटीआई के ज़रिए महत्वपूर्ण दस्तावेज़ हासिल किए हैं, जो बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में शिशु मृत्यु दर या बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर हमारे देश में खर्च तो बढ़ा है, लेकिन मृत्यु दर में कोई खास कमी नहीं आई है.

हम आपको बताते चलें कि शिशु व मातृ मृत्यु दर को घटाने के मक़सद से हमारे देश में अक्तूबर, 1997 में Reproductive Child Health (RCH) Programme आरंभ किया गया. इस प्रोग्राम का रिज़ल्ट कोई खास नहीं रहा. 2005 में इसे और असरदार बनाने की नियत से नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत शामिल कर RCH-II की रूपरेखा तैयार की गई.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा आरटीआई के ज़रिए प्राप्त महत्वपूर्ण दस्तावेज़ बताते हैं कि आरंभ के दिनों सरकार इस प्रोग्राम को लेकर अधिक गंभीर नहीं रही. 2005-06 में इस प्रोग्राम के लिए 1522.16 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया, लेकिन रिलीज़ 898.84 ही किया गया और खर्च सिर्फ 253.66 करोड़ रूपये ही हो सका. साल 2006-07 में भी कुछ ऐसा ही हुआ. इस बार बजट 1848.22 करोड़ का हो गया. रिलीज़ हुआ 1351.70 करोड़ और खर्च 885.19 करोड़ ही किया जा सका.

साल 2007-08 से सरकार गंभीर हुई, और खर्च पहले के मुकाबले कई गुणा बढ़ गया. इस साल 1841. 50 करोड़ का बजट रखा गया. 1715.94 करोड़ रिलीज़ हुआ है और खर्च 1879.22 करोड़ हुआ. साल 2008-09 में बजट बढ़कर 2973.03 करोड़ हो गया. 2955.83 करोड़ रूपये रिलीज़ भी किया गया और 2928.80 करोड़ रूपये खर्च भी किया गया.

साल 2009-10 में 3327.91 करोड़ रूपये रिलीज़ हुए और खर्च 3124.69 करोड़ हुआ. साल 2010-11 में 3443.80 करोड़ रिलीज़ हुआ और खर्च 3705.56 करोड़ रूपये हुए. साल 2011-12 में 4002.79 करोड़ रिलीज़ हुआ और खर्च 4572.87 करोड़ हुआ. वहीं साल 2012-13 में 3805.11 करोड़ रिलीज़ हुआ और इस साल खर्च 3611.56 करोड़ हुए.

आरटीआई से हासिल दस्तावेज़ यह भी बताते हैं RCH Flexible Pool के तहत साल 2005-06 में 2011.76 करोड़, साल 2006-07 में 1427.03 करोड़, साल 2007-08 में 1842.89 करोड़, साल 2008-09 में 3073.17 करोड़ और साल 3480.31 करोड़ रूपये खर्च किया गया.

आरटीआई से हासिल महत्वपूर्ण दस्तावेज़ यह भी बताते हैं कि RCH Training पर साल 2005-06 में 29.73 करोड़, साल 2006-07 में 1.84 करोड़, साल 2007-08 में 2.51 करोड़, साल 2008-09 में 3.82 करोड़ और साल 2009-10 में 4.58 करोड़ रूपये खर्च हुआ है.

इतना ही नहीं,  BeyondHeadlines को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के एनजीओ डिवीज़न द्वारा आरटीआई के ज़रिए प्राप्त महत्वपूर्ण दस्तावेज़ यह भी बताते हैं कि Reproductive Child Health (RCH) Programme के तहत भारत सरकार देश के 10 Regional Resource Centres (RRCs) को फंड उपलब्ध कराती है, और सारे सेन्टर सरकार द्वारा नहीं, बल्कि एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे हैं.  (उनके नाम व खर्चे का ब्यौरा आप नीचे देख सकते हैं.)

अब गंभीर सवाल यह है कि सरकार द्वारा इस प्रोग्राम पर इतना खर्च होने के बावजूद शिशु मृत्यु दर में कोई खास कमी नहीं आई है. अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ ‘सेव द चिल्ड्रन की रिपोर्ट’ की मानें तो हमारा देश शिशु मृत्यु दर के मामले में पिछड़े कहे जाने वाले तथाकथित पड़ोसी देशों से भी आगे है. यह रिपोर्ट बताती है कि भारत में माताओं की स्थितियां पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी बदतर हैं.

इस रिपोर्ट के आंकड़े यह भी बताते है कि भारत में करीब तीन लाख बच्चे पैदा होने के 24 घंटे के भीतर काल के गाल में समा जाते हैं. इस मामले में भारत पहले स्थान पर है और दुनियाभर में नवजात शिशुओं की पहले दिन होने वाली कुल मौतों में 29 प्रतिशत भारत में होती हैं. इतना ही नहीं प्रसव के दौरान होने वाली मौतों के मामले में भी भारत पहले स्थान पर है. भारत में हर साल 56000 महिलाओं की प्रसव के दौरान मौत हो जाती है.

इन आंकड़ों को देखने के बाद यह ज़ाहिर है कि सरकार की यह Reproductive Child Health (RCH) Programme सही मायनों में धरातल पर नहीं पहुंच पाई है, या फिर यह प्रोग्राम एक बड़े घोटाले की शिकार है. सच तो यह है कि अभी तक ग्रामीण भारत और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए जो भी योजनायें बनाई जाती हैं, अगर उनका धरातल पर पूरी तरह से अनुपालन हो जाए तो इस देश का पूरा परिदृश्य पलट जाएगा.

[box type=”shadow” align=”aligncenter” ]Reproductive Child Health (RCH) Programme के तहत भारत सरकार से डायरेक्ट फंड पाने वाली एनजीओ के नाम इस प्रकार हैं:-

1. Centre for Health Education Training & Nutrition Awareness (CHETNA), Gujarat

2. Voluntary Health Association of India (VHAI), New Delhi

3. MAMTA- Health Institute for Mother & Child, New Delhi

4. Hindustan Latex Family Planning Promotion Trust, Andhra Pradesh

5. Child in Need Institute (CINI), Kolkata, West Bengal

6. Population Foundation of India (PFI), New Delhi

7. Swasthya Shikhya, Orissa

8. Family Planning Association of India (FPAI), Mumbai

9. The Gandhigram Institute of Rural Health & FW Trust, Tamil Nadu

10. Voluntary Health Association of Assam (VHAA), Assam

– अगर बात Centre for Health Education Training & Nutrition Awareness (CHETNA), Gujarat की करें तो पिछले पांच सालों में भारत सरकार की ओर से इस संस्था को 88,94,570 रूपये प्राप्त हुए और इसने Reproductive Child Health (RCH) Programme पर 71,27,018 रूपये (2012-13 को छोड़कर) खर्च कर दिए.

– Voluntary Health Association of India (VHAI), New Delhi को भी पिछले पांच सालों में भारत सरकार की ओर से 97,94,598 रूपये प्राप्त हुए और इसने भी Reproductive Child Health (RCH) Programme पर 84,25,456 रूपये (2012-13 को छोड़कर) खर्च कर दिए.

– MAMTA- Health Institute for Mother & Child, New Delhi को पिछले पांच सालों में 79,47,958 रूपये प्राप्त हुए और इसने 69,91,533 रूपये (2012-13 को छोड़कर) खर्च किए.

– Hindustan Latex Family Planning Promotion Trust, Andhra Pradesh को पिछले पांच सालों में 71,19,104 रूपये प्राप्त हुए और इसने 43,06,725 रूपये ही खर्च किए.

– Child in Need Institute (CINI), Kolkata, West Bengal को पिछले पांच सालों में 98,08,188 रूपये प्राप्त हुए और इसने 76,67,131 रूपये (2012-13 को छोड़कर) खर्च किए.

– Population Foundation of India (PFI), New Delhi को पिछले पांच सालों में 97,32,785 रूपये प्राप्त हुए और इसने 71,18,509 रूपये (2012-13 को छोड़कर) खर्च किए.

– Swasthya Shikhya, Orissa को पिछले पांच सालों में 53,31,200 रूपये प्राप्त हुए और इसने 29,04,096 रूपये ही (2012-13 को छोड़कर) खर्च किए.

– Family Planning Association of India (FPAI), Mumbai को पिछले पांच सालों में 27,42,335 रूपये प्राप्त हुए और इसने 31,69,222 रूपये (2012-13 को छोड़कर) खर्च कर दिए.

– The Gandhigram Institute of Rural Health & FW Trust, Tamil Nadu को पिछले पांच सालों में 57,48,682 रूपये प्राप्त हुए और इसने 28,37,504 रूपये ही (2012-13 को छोड़कर) खर्च किए.

– Voluntary Health Association of Assam (VHAA), Assam को पिछले तीन सालों में 20,82,950 रूपये प्राप्त हुए और यह संस्था 21,94,892 रूपये खर्च कर दिए. [/box]

[box type=”note” align=”aligncenter” ]इन एनजीओ के नाम पर सरकार के बजट की जानकारी आप यहां देख सकते हैं: आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज़ के मुताबिक साल 2008-09 में इस कार्य के लिए 2 करोड़ का बजट रखा गया था. पर रिलीज़ 1.48 करोड़ ही किया गया. इसी प्रकार 2009-10 में भी 2 करोड़ का बजट रखा गया था, लेकिन इस साल रिलीज़ 2.86 करोड़ रूपये किया गया. साल 2010-11 में 1.6 करोड़ का बजट था, और इस बार 1 करोड़ रूपये ही रिलीज़ किया जा सका. 2011-12 में 1.7 करोड़ बजट रखा गया तथा रिलीज़ 1.46 करोड़ किया गया. 2012-13 में भी 1.7 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया और इस साल 1.27 करोड़ ही रिलीज़ हो सका. [/box]

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