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Reading: गांधी की कर्म-भूमि पर केजरीवाल के खिलाफ ‘हल्ला बोल’
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BeyondHeadlines > Exclusive > गांधी की कर्म-भूमि पर केजरीवाल के खिलाफ ‘हल्ला बोल’
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गांधी की कर्म-भूमि पर केजरीवाल के खिलाफ ‘हल्ला बोल’

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published March 28, 2014
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8 Min Read
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Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

गांधी के रास्ते पर चलकर ‘स्वराज’ का दावा करने वाले केजरीवाल को अब गांधी के ही दिए अस्त्रों का सामना करना पड़ रहा है. गांधी की कर्म-स्थली चम्पारण (पश्चिम चम्पारण लोकसभा क्षेत्र) के लोग अब गांधी की भाषा में केजरीवाल को आईना दिखाने के लिए कमर कस चुके हैं. केजरीवाल के खिलाफ चम्पारण में ‘सत्याग्रह’ की पूरी तैयारी कर ली गई है.

बेतिया लोकसभा क्षेत्र के टिकट को लेकर केजरीवाल का दोहरा रवैया खुलकर सामने आ गया है. यहां आम आदमी पार्टी ने एक ऐसे व्यक्ति को टिकट दे दिया है, जो न तो उम्मीदवारी प्रक्रिया में शामिल था, न ही कभी ज़िले में सक्रिय रहा है, न ही कोई ‘फेमस पर्सनालिटी’ है और न ही चम्पारण से कोई वास्ता रखता है.

हद तो तब हो गई जब गांधी के ज़मीन के यह ‘सत्याग्रही’ केजरीवाल के खास सिपहसालार मनीष सिसोदिया के पास सुनवाई के लिए पहुंचे तो सिसोदिया ने इन्हें कड़े शब्दों में ज़बान बंद रखने की ताकीद कर दी. इतना ही नहीं, यहां के 1400 से अधिक पार्टी कार्यकर्ता  ईमेल के माध्यम से केजरीवाल को इस धांधली से अवगत करा चुके हैं. पार्टी से जुड़े अभय झा दिल्ली में अरविन्द के खास पंकज व गोपाल राय से मुलाकात कर सारी समस्याओं से रूबरू भी करा चुके हैं. पार्टी के ज़िला अध्यक्ष, सचिव व कोषाध्यक्ष ने भी एक पत्र लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया है. लेकिन ‘स्वराज’ की बात करने वाली इस पार्टी के नेताओं पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा.

इस सिलसिले में BeyondHeadlines ने पार्टी के कई शीर्ष नेताओं से बात करने की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी. पर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दीपक वाजपेई से बात करने में हम ज़रूर सफल रहें.

पंकज वाजपेई का कहना था कि हमें इस सिलसिले में कोई खबर नहीं है. साथ ही उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मोदी, अरविन्द या राहुल वाराणसी या अमेठी के स्थानीय निवासी नहीं हैं, पर वो वहां से चुनाव लड़ रहे हैं. और हमारी पार्टी ने कभी यह बात नहीं कही कि सिर्फ स्थानीय व्यक्ति ही किसी स्थान से चुनाव लड़ सकता है.

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब किसी को टिकट नहीं मिलता है तो वो टिकट प्राप्ति के लिए ऐसी बातें करता है. पार्टी का अपना नियम-कानून है और उसका पालन करते हुए ही किसी को उम्मीदवार घोषित किया गया है.

लेकिन पार्टी से उम्मीदवारी की प्रक्रिया में शामिल रहे अभय झा का कहना है कि जिस व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया गया है, वो उम्मीदवारी की प्रक्रिया में कभी शामिल ही नहीं रहा. न उन्होंने फॉर्म भरा और न ही उन्होंने साक्षात्कार दिया है. हमने इन बातों से पार्टी के समर्थक होने के नाते दिल्ली में पार्टी के लोगों से अवगत करा दिया है. उन्होंने जल्द ही मसले का हल निकालने का आश्वासन दिया है.

आम आदमी पार्टी से जुड़े सेराज अख्तर सिद्दीकी का कहना है कि आम आदमी पार्टी से हमें काफी उम्मीदें थी, पर अब वो तानाशाही पर उतर आए हैं. ज़बरदस्ती बाहरी उम्मीदवार को हम पर थोपा जा रहा है. जिसे चम्पारण की जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी.

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के लेक्चरर व बेतिया के स्थानीय निवासी प्रकाश श्रीवास्तव कहते हैं कि ‘लोकसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी से उम्मीदवारों के चयन में कई गलतियां हुई हैं. स्थापित और स्वीकृत अनेक बातों की उपेक्षा हुई है. इससे बहुत लोगों की भावनाएं आहत हो रही है. कुछ लोगों का तर्क है कि प्रारम्भिक स्तर पर ऐसी गलतियां होंगी और इससे हम सीखेंगे. गलतियों को समझ कर सुधारने की प्रक्रिया ही सीखने को व्यक्त करता है. लेकिन वर्तमान में ऐसा उदाहरण नहीं दिख रहा है. इससे तकलीफ और बढ़ रही है. ऐसे में लोग बिखर रहे हैं और समानांतर व्यवस्था कायम करने लगे हैं. हमें एक गलती की प्रतिक्रिया में दूसरी गलती करने से बचना चाहिये. जहां उम्मीदवार थोपे गये हैं और स्थानीय कार्यकर्ताओं,वोलंटियर को विश्वास में नहीं लिया गया है, वहां हमें पार्टी को शुद्ध करने के लिये असहयोग करना चाहिये.’

आम आदमी पार्टी से जुड़े कुन्दन श्रीवास्तव का कहना है कि आनन्द कौशल बगैर फॉर्म भरे, इम्तिहान दिए ही परीक्षा पास कर गए हैं. पार्टी ने डायरेक्ट जहाज़ से चम्पारण की धरती पर उन्होंने उतार दिया है. लेकिन एक बात मैं यहां स्पष्ट कर दूं कि चम्पारण की जनता हमेशा धरती से जुड़े लोगों का ही साथ देती है. हवाई महल बनाने वाले इनकी पसंद नहीं हैं.

स्पष्ट रहे कि पश्चिम चम्पारण लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी ने आनन्द कौशल को उम्मीदावर बनाया है, जिन्हें परवीन अमानुल्लाह का करीबी माना जाता है. कौशल जमुई के रहने वाले हैं. जमुई की दूरी चम्पारण से करीब 300 किलोमीटर से अधिक है.

आनन्द कौशल पेशे से शिक्षक हैं और पिछले दस सालों से शिक्षक संघ के साथ जुड़े हुए हैं. उनका कहना है कि चम्पारण की जनता का प्यार हमेशा से मिलता रहा है. वहां के लोग मुझे काफी चाहते हैं. उसी प्यार की वजह से मैंने पश्चिम चम्पारण से चुनाव लड़ने का फैसला किया और पार्टी ने मुझे उस योग्य समझा और एक ज़िमेदारी सौंपी, जिसका निर्वहन मैं अवश्य करूंगा. हमने चम्पारण की जनता के लिए अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है.

लेकिन इसके विपरित चम्पारण के स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि चम्पारण के लोग आनन्द कौशल को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. यहां की अवाम उन्हें जानती तक नहीं. उन्हें बस यहां की अवाम पर थोपा जा रहा है, जिसे हम कतई नहीं होने देंगे. अरविन्द केजरीवाल अब चम्पारण की जनता के सत्याग्रह को देखने को तैयार हो जाए.

चम्पारण की ज़मीन पर आम आदमी पार्टी का यह रवैया कथनी और करनी के बीच के फासले को उधेड़ कर रख देता है. गांधी के नाम पर झूठ और फरेब का मायाजाल रचने वालों की पहले से ही कोई कमी नहीं है, तो क्या यह मान लिया जाए कि केजरीवाल इस संख्या को और बड़ा करने में लगे हुए हैं. और वैसे भी चम्पारण की मिट्टी में क्रांति की तासीर है. चाहे अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ़ बापू का सत्याग्रह हो या लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेपी की संपूर्ण क्रांति, चम्पारण की धरती ने ही उसे ऊर्जा प्रदान की. लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल के खिलाफ यह ‘सत्याग्रह’ आम आदमी पार्टी का क्या हश्र करता है?

TAGGED:BettiahChamparansatyagarah against kejriwalचम्पारणबेतिया
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