दलितों को लोकतंत्र के हाशिए पर रखने का षडयंत्र है हरि सिंह का आत्मदाह
BeyondHeadlines News Desk
बरेली/लखनऊ : गत 17 अप्रैल को बरेली जिले के देवचरा नई बस्ती निवासी दलित हरि सिंह को आम चुनाव मेंमतदान पर्ची न देने, मतदान केन्द्र पर मतदान से रोकने, बूथ कर्मचारियों, स्थानीय थाना प्रभारी, बीएलओ द्वारा केन्द्र पर बार-बार अपमानित करने के कारण राम भरोसे इंटर कालेज, मतदान केन्द्र पर ही आत्मदाह कर लेने को जेयूसीएस ने लोकतंत्र के लिए शर्मनाक बताते हुए पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच की मांग की है.
हरि सिंह द्वारा मतदान केन्द्र पर आत्मदाह कर लेने के असल कारणों को जाननेतथा तथ्यों की पड़ताल के लिए सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकारों के जांच दल ने सोमवार को देवचरा गांव का दौरा किया और पीडि़त परिवार के सदस्यों से मुलाकात की.
जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी (जेयूसीएस) एवं एपीसीआर के इस जांच दल में शरद जायसवाल, अजीज खान, डॉ. इसरार खां,लक्ष्मण प्रसाद, हरेराम मिश्र और अनिल कुमार यादव शामिल थे.
जांच दल के सदस्यों द्वारा की गई पड़ताल में प्रथम दृष्टया यह बात सामने आई कि मतदान केन्द्र पर प्रशासन द्वारा जानबूझ कर दलित समुदाय के लोगों को वोट देने से रोकने के लिए एक साजिश के बतौर उनके इलाके में मतदातापर्ची नहीं बांटी गई, ताकि किसी खास प्रत्याशी को चुनाव में लाभ पहुंचाया जा सके.
मृतक हरि सिंह की पत्नी तारावती के मुताबिक, हरि सिंह पिछले तीन साल से मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिए प्रयासरत थे, लेकिन इलाके के बीएलओ द्वारा जानबूझ कर उनका मतदाता पहचान पत्र नहीं बनाया जा रहा था.
मृतक की पत्नी तारावती का आरोप है कि वोटर कार्ड बनाने के लिए हरी सिंहसे बीएलओ ने चार सौ रुपए लिए थे, तब जाकर हाल ही में उनका मतदाता पहचानपत्र बन सका.
जांच दल को देवचरा नई बस्ती में दलित समुदाय के कई ऐसे लोग मिले,जिन्होंने मतदाता पहचान पत्र न होने की शिकायत की. दलितों के साथ किस तरहवोट देने के दौरान भी अन्याय होता है, इसकी एक बानगी यह है कि हरि सिंह के घर के बगल में रहने वाली एक महिला रेखा ने बताया कि उसे भी मतदाता पर्ची नहीं मिली थी. जब रेखा की जेठानी अपने पति के साथ बिना पर्ची के वोट डालने गईं तो पता चला कि उनका वोट कोई पहले ही डाला जा चुका है. इसी तरह कई ऐसे लोग मिले जिनसे मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए स्थानीय अधिकारियों ने तीन सौ से पांच सौ रुपए तक वसूले थे.
जांच दल को देवचरा नई बस्ती के लोगों ने बताया कि उनकी तरह हरी सिंह से भी पैसा लेकर मतदाता पहचान पत्र बनाया था और इस चुनाव में इस मतदाता पहचान पत्र की वैधता को वोट देकर वह जांचना चाहते थे. लेकिन ऐसा नहीं हो सका और वोट देने के हक के लिए हरि सिंह को आत्मदाह तक करना पड़ा.
पड़ताल के दौरान जांच दल को पता चला कि हरि सिंह को अब तक बीपीएल कार्ड भी नहीं मिला था. घटना के तीन दिन बाद जिला प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी से बचने और दोषी प्रशासनिक अधिकारियों को बचाने के लिए बीस अप्रैल को हरि सिंह की पत्नी तारावती के नाम से अन्त्योदय कार्ड जारी किया. आज तक जिला प्रशासन ने इस पीडि़त परिवार को कोई आर्थिक सहायता नहीं प्रदान की.
जांच दल ने पाया कि एक तरफ सरकार सबको वोट देने के लिए प्रोत्साहित करने के नाम पर लोगों से जहां ज़रूर मतदान करने की अपील करती है, वहीं बूथ लेवलअफसर दलित समुदाय के लोगों को किसी भी तरह वोट नहीं डालने देने के लिए प्रतिबद्ध दिखते हैं. यह एक जातिवादी और गैर लोकतांत्रिक मानसिकता है, जो लोकतंत्र को कमजोर करती है. प्रशासन के कुछ लोग चाहते हैं कि किसी खास जाति के लोगों की राह चुनाव में आसान बनी रहे और उनका ही दबदबा राजनीति में बना रहे.
जांच दल ने कहा कि 16वीं लोकसभा के चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग न कर पाने की वजह से हरि सिंह का आत्मदाह करना यह साबित करता है कि चुनाव आयोग सिर्फ अमीर और मध्यवर्गीय तबकों के लिए ही चुनाव बूथ तक पहुंचने का रास्ता सुगम बनाने के लिए अरबों रुपए प्रचार में फूंक रहा है और उसकेअधीन काम करने वाले कर्मचारी दलित बस्तियों में मतदात पत्र बनाने के लिएपैसों की उगाही कर रहे हैं.
जांच दल ने मांग की कि जिस तरह जिला और पुलिस प्रशासन का पूरा अमला मतदानकेंद्र पर मौजूद रहा और हरि सिंह जलता रहा ऐसे में प्रथम दृष्टया दोषीअधिकारयों को गिरफ्तार कर पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच काराई जाए और राम भरोसे इंटर कालेज, देवचरा के मतदान केन्द्र पर दोबारा मतदान कराया जाए.
जांच दल ने प्रदेश सरकार से मांग की कि पीडि़त परिवार को बीस लाख रुपएमुआवजा तथा उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी व बच्चों की शिक्षा की गारंटी की जाए.