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Reading: नहीं झेल सकता तीसरी बार विस्थापनः आमीन खान
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BeyondHeadlines > Lead > नहीं झेल सकता तीसरी बार विस्थापनः आमीन खान
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नहीं झेल सकता तीसरी बार विस्थापनः आमीन खान

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published June 6, 2014
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6 Min Read
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Avinash Kumar chanchal for BeyondHeadlines

आमीन खान उम्र के पांचवे दशक में पहुंच चुके हैं.1960 में रिहन्द बांध से विस्थापित एक परिवार की अगली पीढ़ी के मुखिया… मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालने वाले आमीन खान अब हर रोज़ मजदूरी करने भी नहीं जा पा रहे हैं. वजह है उनके उपर मंडरा रहा विस्थापन का खतरा. एक बार फिर से विस्थापन का डर… दो बार विस्थापन झेल चुके परिवार के मुखिया आमीन खान का ज्यादातर समय जिला कलेक्टर और थाना के चक्कर काटने में बीत रहा है.

आमीन खान की कहानी शुरू होती है सन् 1960 से… जब देश नेहरुवियन समाजवाद के नाम पर विकास का सफर शुरू करने वाला था. सिंगरौली-सोनभद्र इलाके में भी इस विकास की नींव डाली गयी- रिहन्द बांध के नाम पर.

लोग बताते हैं कि तब नेहरु ने यहां के स्थानीय लोगों से अपील की थी कि वे देश के विकास के लिए अपनी ज़मीन और घर दें. बदले में इस पूरे इलाके को स्वीजरलैंड की तरह बनाया जाएगा. स्थानीय लोगों ने तो अपनी ज़मीन देकर देशभक्ति का नमूना पेश कर दिया, लेकिन बदले में इस जगह को नेहरु स्वीजरलैंड बनाना भूल गए. बाद में चलकर परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी कि लोगों के सपने में भी गलती से स्वीजरलैंड आना बंद हो गया.

तो 1960 में अपनी ज़मीन देश के विकास के लिए सौंपने वालों में मोहब्बत खान भी थे. आमीन खान के अब्बू… अपनी खेती की ज़मीन और घर छोड़कर पूरा परिवार दूसरे गांव वालों के साथ शाहपुर गांव पहुंच गए. यहां भी किसी तरह मजदूरी-किसानी करके लोगों का खर्च चलता रहा. रिहन्द बांध का कुछ हिस्सा जब पानी से उपर आता तो वहां खेती भी हो जाती.

उस ज़माने में इस इलाके में जंगल भी खूब थे. आमीन बताते हैं कि, “महुआ, तेंदू, लकड़ी,  किसानी, गेंहू, धान, चना, मसूर उपजाते, भेड़-बकरी चराते थे और घर का पेट पलता था.”

लेकिन 90 के दशक में सिंगरौली में विन्ध्याचल सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट (NTPC) विन्ध्यनगर ने दस्तक दिया. पावर प्लांट आया तो उसके एश पॉंड के लिए शाहपुर को चुना गया. आमीन खान का परिवार एक बार फिर विस्थापित होने को मजबूर हुआ.

1999 का साल था… विस्थापित आमीन खान को न तो कुंआ का मुआवजा मिला और न ही पेड़ों का. घर का मुआवजा मिला तो सिर्फ 7,153 रुपये. जब भी लोगों ने अपना हक़ मांगा तो नियमों का हवाला देकर चुप करा दिया गया.

आमीन बोलते हैं, “जब लोगों ने घर नहीं देने की जिद की तो पुलिस-प्रशासन हम लोगों को डरा-धमका कर घर खाली करवा दिया.”

इतिहास फिर से लौटा, विस्थापन का डर भी

शाहपुर से विस्थापित होकर आमीन खान बलियरी में आकर बस गए. बलियरी वो गांव है जहां फिर से एनटीपीसी ने एश पॉण्ड बनाने का काम शुरू किया है. मतलब एक बार फिर से आमीन खान जैसे लोगों के लिए विस्थापन का खतरा. फिर से पुलिस ने डराने का काम शुरू कर दिया है. फिर से वही नियमों का हवाला देकर तहसीलदार सिंगरौली ने आमीन खान को नोटिस भेजा है- मध्यप्रदेश भू. राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के तहत घर खाली करवाने की धमकी और साथ में दरोगा को मामले पर कानूनी कार्यवायी करने का फरमान…

कई बार ऐसा होता है जब आमीन खान को दरोगा साहब पूरे परिवार के साथ थाने में बुलाते हैं और दिन भर बैठा कर फिर उन्हें वापस भेज दिया जाता है. आमीन निराश हैं. बेहद… कहते हैं, ‘कई बार खुद एनटीपीसी के अधिकारी बीआर डांगे ने धमकी दिया है. जेल में डाल देगा नहीं तो घर पर बुलडोजर चलवा देगा.’

मुआवजे की हेराफेरी

सिंगरौली में कई सारे पावर प्लांट और कोयला खदान खुलने के बाद सिर्फ विनाश ही नहीं हुआ, विकास भी हुआ है. स्थानीय लोगों का विनाश, बाहरी ज़मीन और कोयला माफियाओं का विकास. बड़े-बड़े अधिकारी और पहुंच वाले लोग विस्थापन के लिए प्रस्तावित ज़मीन को खरीदते हैं और फिर उसे मोटी रक़म में कंपनी को बेच देते हैं और असल विस्थापित स्थानीय लोग दर-बदर भटकने को मजबूर हो जाते हैं.

यहां भी वही हुआ है. आमीन आरोप लगाते हैं, ‘कई सारे एनटीपीसी के अधिकारियों ने पहले से ही ज़मीन की रजिस्ट्री अपने नाम करवा लिया और मुआवजा पा रहे हैं. कई सारे ऐसे लोगों का नाम भी विस्थापितों में है जो 200 किलोमीटर दूर रीवा जिले के रहने वाले हैं.’

और रहस्यमय बिमारियां…

सिंगरौली के पावर प्लांट ने भले देश के शहरों को रौशन किया है, लेकिन यहां के लोगों के हिस्से सिर्फ रहस्यमयी बिमारियों के सिवा और कुछ नहीं. आमीन को 5 लड़के और 2 लड़कियां हैं. वे कहते हैं, ‘पता नहीं, पिछले कई सालों से तीन बच्चों को पेट में दर्द रहता है और तेज़ बुखार आता है. डॉक्टर भी बिमारी का पता नहीं लगा पाते. शाहपुर में एनटीपीसी ने एक अस्पताल खोला था वो भी बंद कर दिया गया.’

फिलहाल आमीन खान बच्चियों की शादी को लेकर चिंतित हैं, एक अदद छत की चिंता भी है और इन सबसे ज्यादा चिंता भूख की, कुछ रोटियों की भी.

TAGGED:aamin khanनहीं झेल सकता तीसरी बार विस्थापनः आमीन खान
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