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जानिए! रिलायंस व नेटवर्क-18 के डील में परदे के पीछे का खेल

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published June 12, 2014
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8 Min Read
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Amit Bhaskar for BeyondHeadlines

पिछले दिनों मुकेश अम्बानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने नेटवर्क-18 ग्रुप को खरीद लिया. (नेटवर्क-18 के अंतर्गत CNN-IBN, CNBC Awaaz और IBN-7 जैसे दिग्गज चैनल आते हैं.) यहां मैं बता दूं कि राघव बहल नेटवर्क-18 के मालिक हैं. इस डील को समझने से पहले हमें चलना पड़ेगा थोड़ा सा इसके अतीत में, जब 2012 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने ही राघव बहल के नेटवर्क-18 में 1700 करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया था.

इतने ज़बरदस्त निवेश के बाद हर कोई जानता था कि अब मालिकाना हक़ बदल गया है. लेकिन नेटवर्क-18 में हुआ इसका बिल्कुल उल्टा…. राघव बहल ने घोषणा कर दी कि नेटवर्क-18 का मालिकाना हक़ पहले जैसा ही उनके पास ही रहेगा. उन्होंने यह भी कह दिया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की राघव बहल के किसी भी कंपनी में कोई हिस्सेदारी नहीं है. यहाँ तक कि नेटवर्क-18 में भी नहीं.

बात यहीं नहीं रुकी… CCN-IBN के सभी शो में Disclaimer दिया जाने लगा, जिसमें कहा गया कि रिलायंस की नेटवर्क-18 में न तो कोई हिस्सेदारी है और ना कोई मालिकाना हक़…

अब सबसे बड़ा सवाल यह था कि 1700 करोड़ के निवेश के बाद भी आखिर ये कैसे हो सकता है कि रिलायंस की ना तो कोई हिस्सेदारी थी और ना कोई मालिकाना हक़. बस यहीं पर कहानी का ट्विस्ट आता है…

दरअसल ये डील कुछ इस तरह से डिजाईन ही की गयी थी कि क़ानूनी तरीके से न कोई हिस्सेदारी बने और ना ही कोई मालिकाना हक़… पर वो कैसे?

ये सारा खेल इस तरह खेला गया. रिलायंस ने सबसे पहले एक ट्रस्ट बनाया जिसका नाम रखा “Independent Media Trust” (IMT) जिसमें मुकेश अम्बानी और उनके परिवार का परोक्ष रूप से कोई रिप्रजेंटेशन नहीं था. ये वो ही ट्रस्ट है, जिसने अभी 4000 करोड़ में कंपनी को खरीद लिया है.

network-18चलिए आगे बढ़ते हैं… इस IMT को पैसा मिलता था रिलायंस से, क्योंकि रिलायंस ने ही ये ट्रस्ट बनाया था. अब रिलायंस के दिए हुए पैसे IMT ने राघव बहल को लोन के रूप में दे दिया. ध्यान रहे ये लोन राघव बहल के किसी कंपनी को नहीं दिया गया ना ही नेटवर्क-18 को और न ही नेटवर्क-18 के अंतर्गत आने वाले किसी भी चैनल, वेबसाइट, ट्रस्ट या कंपनी को. इसका सीधा मतलब ये था कि 1700 करोड़ रूपये रिलायंस द्वारा स्थापित IMT ने ‘पर्सनल लोन’ के तरह राघव बहल को दे दिया.

इसीलिए नेटवर्क 18 ने दावा किया कि रिलायंस इंडस्ट्री की कोई हिस्सेदारी नहीं है और ना ही कोई मालिकाना हक़. क्योंकि पैसे सीधे रिलायंस से आये ही नहीं और ना ही सीधे नेटवर्क-18 के पास आएं. पर यहां सवाल यह है कि अम्बानी साहब 1700 करोड़ यूं ही किसी को लोन में क्यों देंगे, जिसके पास पहले से कई चैनल्स और न जाने कितनी कम्पनियां हों.

खैर कहानी यहीं ख़त्म नहीं होता. यह जो लोन दिया गया था वो Optionally Convertible Debentures (OCD) लोन था. OCD का मतलब एक ऐसा लोन, जिसे बाद में अगर लोन देने और लेने वाले की मर्ज़ी हो तो ‘शेयर’ में बदला जा सकता है अर्थात दोनों पक्ष जब चाहे ये 1700 करोड़ का लोन राघव बहल की कंपनी नेटवर्क-18 में 1700 करोड़ के ‘शेयर’ यानी हिस्सेदारी में बदल जाता.

इसका मतलब क़ानूनी तौर पर जब तक ये लोन दोनों पक्ष की सहमती से ‘शेयर’ में नहीं बदलता तब तक रिलायंस या IMT की राघव बहल के नेटवर्क-18 या किसी भी कंपनी में कोई हिस्सेदारी नहीं होती.

लेकिन नेटवर्क-18 पर किसका कब्ज़ा था. ये इस बात से साबित हो जाता है कि राघव बहल और उनके कंपनियों ने IMT से मिले उस 1700 करोड़ के ‘लोन’ का इस्तेमाल कैसे किया. आइये अब यह भी जान लेते हैं….

दरअसल, उस वक़्त नेटवर्क-18 की हालत बहुत खस्ता थी. नेटवर्क 18 कंपनी क़र्ज़ में इस क़दर डूबी हुई थी कि इसके बंद हो जाने के आसार नज़र आने लगे थे. समस्या इस हद तक थी कि राघव बहल को नेटवर्क-18 और इसकी एक सहायक कंपनी TV18 के 2 राइट्स अपने पास रखने के लिए 1700 करोड़ रूपये चुकाने थे. ये राइट्स राघव बहल को इन नेटवर्क-18 में मालिकाना हक़ और TV18 में भी अधिकार देते थे.

यही 1700 करोड़ रिलायंस के Independent Media Trust ने राघव बहल को ‘पर्सनल लोन’ के तौर पर दिया, जिससे राघव बहल उधार चुका कर अपनी कंपनी बचा पाए.

अब सवाल यह उठता है कि अगर रिलायंस के IMT ने 1700 करोड़ दिए तो क्या वो कुछ रिटर्न में लेगा नहीं? क्या रिलायंस सच में इतना निस्वार्थ है कि डूबती जहाज़ में 1700 करोड़ डाल के बिना किसी वजह के बचा लिया? क्या इससे अप्रत्यक्ष रूप से राघव बहल और नेटवर्क-18 पर कंट्रोल नहीं किया गया?

यहां जानिए! दोनों के बीच के एग्रीमेंट का सच…

दरअसल, रिलायंस के IMT और राघव बहल के बीच जो एग्रीमेंट हुआ था, उस एग्रीमेंट में ही रिलायंस को दो तरह से फ़ायदा होना लिखा था. वो कैसे?

पिछले कुछ सालों में रिलायंस ग्रुप ने आंध्र-प्रदेश में एनाडू ग्रुप न्यूज़ और एंटरटेनमेंट टीवी मीडिया प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी की जो की, वो नेटवर्क-18 के अंतर्गत ही आता है. क्षेत्रिय न्यूज़ चैनलों में (ETV उत्तर प्रदेश, ETV उर्दू, ETV बिहार और ETV मध्य्प्रदेश) में रिलायंस की 100% हिस्सेदारी की.

इसके साथ ही क्षेत्रिय मनोरंजन के चैनलों (ETV मराठी, ETV कन्नड़, ETV बांग्ला, ETV उड़िया, ETV गुजराती) में भी 100% की हिस्सेदारी की. इन सबके अलावा ETV तेलगु न्यूज़ और ETV तेलगु में रिलायंस की 49% की हिस्सेदारी रही. अर्थात इस एग्रीमेंट के तहत राघव बहल के नेटवर्क-18 ग्रुप ने रिलायंस को ये हिस्सेदारी दिलवाने के लिए रिलायंस ने 2000 करोड़ का निवेश किया.

मतलब क़र्ज़ चुकता होते ही और सारे राइट्स मिलते ही राघव बहल ने 1700 के ‘पर्सनल लोन’ के बदले रिलायंस में 2000 करोड़ का निवेश करके रिलायंस को अपने कई चैनलों में हिस्सेदार बना लिया. रिलायंस ने 1700 करोड़ देकर एक तो राघव बहल की कंपनियों में 100% तक हिस्सा लिया और दूसरा 2000 करोड़ भी कमाए.

इसके अलावा राघव बहल और IMT की डील में एक MoU भी साईन किया गया था, जो रिलायंस की सहयोगी इन्फोटेल और नेटवर्क-18 के बीच है… इसके तहत इन्फोटेल (जो भारत में 4G की सेवाएं प्रारंभ करना चाहता है) को नेटवर्क-18 के सभी चैनलों और वेबसाइट की सुविधा को इस्तेमाल करने में प्राथमिकता दी जाएगी.

इन्फोटेल आने वाले समय में इन सभी मीडिया को अपने प्रमोशन में इस्तेमाल करेगा. इस तरह रिलायंस ने नेटवर्क-18 के लगभग सभी चैनलों पर अपने आने वाले सबसे बड़े प्रोजेक्ट के प्रमोशन के लिए कब्जा जमा लिया. (कहानी आगे भी जारी रहेगी…)

(लेखक पत्रकारिता के छात्र हैं. और उनसे https://www.facebook.com/Amit.Bhaskar.Official.Fan.Page पर सम्पर्क किया जा सकता है.)

TAGGED:STORY OF RELIANCE AND NETWORK-18 DEAL
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