BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : चारबाग स्टेशन उड़ाने की धमकी देने के आरोप में सजा काटकर लगभग दो माह पहले जेल से रिहा हुए चिकमंडी, थाना वजीरगंज निवासी जियाउद्दीन को एटीएस द्वारा बार-बार परेशान करने, जान से मारने की धमकी देने और दोबारा फर्जी तरीके से फंसाने की कोशिशों की आलोचना करते हुए रिहाई मंच ने कहा है कि सांप्रदायिक सोच वाली पुलिस मशीनरी द्वारा एक नागरिक के खिलाफ फर्जी तरीके से षडयंत्र रचना और उसमें उसे फंसाने की कोशिश करना लोकतंत्र की हत्या है. एटीएस के लोग जियाउद्दीन को फिर किसी मामले में फर्जी तरीके से फंसा कर जेल भेजवाना चाहते हैं और इसके लिए लगातार उसका पीछा किया जाता है, उसे धमकाया और डराया जाता है.
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा है कि जेल से रिहा होने के बाद जियाउद्दीन को जिस तरह से बार-बार एटीएस के लोग परेशान कर रहे हैं, उससे उसकी जान को खतरा पैदा हो गया है. ऐसा कृत्य जहां एटीएस द्वारा किसी भी नागरिक के सामान्य जीवन में दखल देकर उसके मूल अधिकारों की हत्या है, वहीं यह इस बात का संकेत है कि सांप्रदायिक ताकतों के सत्ता में आ जाने के बाद सांप्रदायिक जेहनियत के पुलिस अधिकारियों का मनोबल किस हद तक बढ़ गया है, जिस कारण अब वे बेखौफ होकर बेगुनाहों को फर्जी तरीके से फंसाने में एक मिशन की तरह लगे हुए हें. मोहम्मद शुऐब ने आगे कहा कि सांप्रदायिक एटीएस की इन हरकतों का विरोध करते हुए आंदोलन किया जाएगा.
इस उत्पीड़न के खिलाफ जियाउद्दीन द्वारा एक शिकायती प्रार्थना-पत्र दिनांक- 15.06.2014 को थाना प्रभारी वजीरगंज को सौंपा गया था, लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की. इसके बाद जियाउद्दीन ने मुख्यमंत्री, डीजीपी पुलिस, आईजी जोन लखनऊ, मानवाधिकार आयोग, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ समेत आला अधिकारियों को ईमेल व पत्र भेजकर इंसाफ की गुहार लगाई है.
एटीएस द्वारा जियाउद्दीन के किए जा रहे इस उत्पीड़न के खिलाफ रिहाई मंच ने बुधवार 18 जून को दोपहर बारह बजे प्रेस क्लब लखनऊ में एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया है, जिसमें जेल से रिहाई के बाद जियाउद्दीन के एटीएस द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न की कहानी पत्रकारों के सामने खुद बताई जाएगी.