Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines
आतंकवाद के नाम पर क्या देश की जांच एजेंसियों सरकार और देश की जनता को धोखा दे रही हैं? यह सवाल आतंकवादी घटनाओं में संलिप्तता के आरोप में ही जेल में बंद भारतीय सेना के मेजर रमेश उपाध्याय के लिखे पत्र से खड़े होते हैं. रमेश उपाध्याय ने जेल से लिखे एक पत्र में सनसनीखेज खुलासे किए हैं. रमेश को आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक कई बड़ी आतंकवादी घटनाओं का आरोपी कर्नल पुरोहित पांच साल से जेल में बंद होने के बावजूद भारतीय सेना से पूरी सैलरी पा रहा है.
रक्षा मंत्रालय के आर्मी विभाग से सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक मालेगांव ब्लास्ट 2008 मामले में गिरफ्तार ले. कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को लगातार वेतन भत्ता मिल रहा है. आरटीआई के जवाब में प्रिंसिपल कंट्रोलर ऑफ डिफेंस एकाउंट (अफसर), पुणे (पत्र संख्या LW/05/084/182292) बताते हैं कि कर्नल पुरोहित को सेना लगातार पूरी सैलरी का भुगतान कर रही है. जबाव में कहा गया है, ‘लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकां पुरेहित जिनका आईसी 55224 है को लगातार पूरा सैलरी और भत्ते दिए जा रहे हैं.’
यह एक बड़ा सवाल है कि आतंकवाद में लिप्त देश का दुशमन सेना से सैलरी कैसे पा रहा है? यही नहीं, कर्नल पुरोहित के साथ ही गिरफ्तार हुए मेजर रमेश उपाध्याय उस पर और भी संगीन आरोप लगा रहे हैं. जेल से लिखे इस पत्र में रमेश उपाध्याय ने दावा किया है कि पुरोहित ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार की सुपारी भी ली थी. रमेश उपाध्याय ने इसकी जानकारी महाराष्ट्र की एंटी टेररिस्ट स्कवायड (एटीएस) को भी दी लेकिन एटीएस चीफ राकेश मारिया ने इस मुद्दे पर आगे कभी जांच नहीं की. मामला फिलहाल एनआईए के पास है.
इस पत्र में मेजर रमेश उपाध्याय ने और भी कई सवाल किए हैं. अपने पत्र में मेजर रमेश उपाध्याय ने पूछा है किे पुरोहित ने किन अधिकारियों को ट्रेनिंग दी? क्या ट्रेनिंग दी? वो अधिकारी आज कहां हैं? उन्होंने कितने हिन्दू या मुसलमान दहशतगर्दी के इल्ज़ाम में पकड़े या नहीं पकड़े? यह सूचना रिकार्ड में होनी चाहिए.
शायद सरकार कान में तेल डालकर सो रही है और उसकी जांच एजेन्सियां बेगुनाहों को सलाखों के पीछे डालकर चैन की बंसी बजा रही हैं. नमूने के तौर पर मोलेगांव विस्फोट 2006 के आरोपियों को जमानत तब मिली जब एक सन्यासी ने खुलासा किया कि विस्फोट की ज़िम्मेवारी किसी और ने ली थी. रमेश आगे लिखते हैं, ‘मैं खुद बेगुनाह हूं. मैंने ताज़िन्दगी कोई गुनाह नहीं किया है. फिर भी महाराष्ट्र सरकार और भारत सरकार सियासत के चक्कर में जेल में हूं. मेरे जैसे और भी हैं, हिन्दू भी, मुसलमान भी.’
मेजर रमेश उपाध्याय सरकार पर आरोप लगाते हुए लिखते हैं कि मुझे लगता है कि सरकार की नीयत साफ नहीं है. जांच एजेंसियों में सच्चाई का पता लगाने और असली कूसूरवार को पकड़ने और सज़ा दिलाने में दिलचस्पी नहीं है. बस नाटकबाज़ी चालू है और इंसाफ की उम्मीद कम होती जा रही है.
मेजर रमेश उपाध्याय ने यह पत्र कर्नल पुरोहित के संबंध में राज्यसभा सांसद मो. अदीब द्वारा दिए गए बयान के बाद उन्हें लिखा है.
मेजर रमेश उपाध्याय के लिखे इस पत्र की कॉपी BeyondHeadlines के पास उपलब्ध है. यह पत्र कई और गंभीर सवाल खड़े करता है. मसलन एक ओर वह बेगुनाह है जिनकी आतंकवाद के नाम पर हुई गिरफ्तारियों के बाद पूरे के पूरे परिवार की ही जिंदगी बर्बाद हो गई और एक और कर्नल पुरोहित है जो आतंकवादी घटनाओं में लिप्त होने के बाद भी पूरी सैलरी पा रहा है.
क्या इस सवाल का जबाव कोई देगा कि कर्नल पुरोहित को बिना सेना को सेवा दिए पूरी सैलरी क्यों और कैसे दी जा रही है? आतंकवाद के प्रति सरकार का रवैया दोगला क्यों हैं. एक ओर वह बेगुनाह है जो आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तारी (और बाद में बरी क़रार दिए जाने के बाद भी) से ही अछूत हो गए हैं. जिन्हें न सरकार ने कोई मुआवजा दिया और न ही कोई मदद और एक और कर्नल पुरोहित जैसे आतंकी हैं जो जेल में बंद होने के बाद भी पूरी सैलरी पा रहे हैं.