BeyondHeadlines News Desk
वर्षों से ऋण की अदायगी न करने वाले कारपोरेट घरानों पर बकाया ऋणों के संबंध में कोई विशिष्ट जानकारी सरकार के पास उपलब्ध नहीं है. यह जानकारी कारपोरेट मामलों की राज्यक मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी है.
लिखित उत्तर में श्रीमती निर्मला सीतारमन ने बताया है कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 ई एवं बैंकिंग कानूनों में यह प्रावधान है कि बैंक एवं वित्तीय संस्थाएं अपने ग्राहकों के बारे में गोपनीयता बनाये रखने के लिए बाध्य हैं.
उन्होंने बताया कि वित्तीय क्षेत्र की स्थिति में सुधार, एनपीए में कमी करना, बैंकों की परिसम्पत्ति गुणवत्ता में सुधार तथा एनपीए की स्लीपेज की रोकथाम के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने निर्देश जारी किया है, जिसमें यह निर्धारित किया गया है कि प्रत्येक बैंक उनके मंडल द्वारा अनुमोदित ऋण वसूली की नीति लायेगा. नये ऋणों की मंजूरी / तदर्थ ऋणों /नये ऋणों अथवा वर्तमान ऋणों के नवीनीकरण के बारे में सूचना के आदान-प्रदान के लिए एक सुदृढ़ प्रणाली लाई जायेगी, जिससे सभी समर्थ खातों के मामले में सरफेसी अधिनियम, 2002, ऋण वसूली प्राधिकरणों और लोक अदालतों जैसे कानूनी उपायों का सहारा लेते हुए तत्पर पुर्न-संरचना सहित ऋणों के खराब होने के लक्षणों का शीघ्र पता लगाया जा सके.