BeyondHeadlines News Desk
- पटाखों से निकलने वाले रसायन आंखों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं. पटाखों से निकलने वाली गर्मी आंख के कॉर्निया को पिघला सकती हैं और यह ऐसा जख्म है, जिसे कभी ठीक नहीं किया जा सकता.
- पटाखों से 130 से 140 डेसिबल का शोर निकलता है. यह बच्चों को स्थायी रूप से बहरा कर सकता है. क्योंकि छोटे बच्चों की सुनने की क्षमता 85 डेसिबल तक ही होता है.
- पटाखों से निकलने वाली गैस और धुंआ अस्थमा, ब्रोनकाइटिस, एलर्जी और सांस संबंधी बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए बेहद खतरनाक होती हैं. बल्कि आप माइग्रेन, कान, हार्ट, हाइपर टेंशन जैसी बीमारियों से भी ग्रस्ति हो सकते हैं.
- पटाखों से सुनने की शक्ति पर असर पड़ता है. इनसे पैदा उच्च स्तर के रिजिजुएल पर्टिकुलेट मैटर और सस्पेंडेड पर्टिकुलेट मैटर त्वचा के लिए घातक हैं.
- पटाखों में लैड, मैग्नीशियम, सोडियम, कैडमियम, कॉपर, जिंक और नाइट्रेट आदि जैसे घातक घातक रसायन इस्तेमाल किए जाते हैं. ऐसे में पटाखों से निकलने वाले रसायन और भी घातक हो जाते हैं. इसका सीधा असर लोगों के अलावा पेड़ों व जानवरों पर भी होता है.
- पटाखे पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं, क्योंकि इनसे सल्फर डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, नाईट्रो ऑक्साइड जैसी खतरनाक गैस निकलती है, जो वायुमंडल में घुल जाती हैं. और फिर यह गैस वायुमंडल में घुलकर पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंचाती हैं. इतना ही नहीं, इन गैस के उत्सर्जन के कारण ग्लोबल वार्मिग को भी खासा खतरा है.
- पटाखों से वायू प्रदूषण में इज़ाफा होता है. और वायु प्रदूषण का बढ़ना वातावरण के लिए काफी खतरनाक है. वायु प्रदूषण वातावरण में ज़हर घोलता है. इसके कारण तापमान में वृद्धि, बारिश कम होने जैसी स्थिति निर्मित होती है.