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मुस्कान के ‘मुस्कान’ को आख़िर कौन लाएगा?

Anand Kashyap for BeyondHeadlines

तीन साल की माही… जो दिल्ली में जंतर-मंतर पर अपने दादा-दादी के साथ ‘स्टॉप ऐसिड अटैक्स’ के बैनर तले आमरण अनशन पर आयी हैं. अपने दादा-दादी की गोद में खेलती ये  बच्ची शायद अपनी मां मुस्कान देवी के लिए इंसाफ तलाश रही है.

बरेली की मुस्कान देवी पर बीते 27 नवंबर को तेजाब से हमला हुआ था. इस हमले में मुस्कान का चेहरा आधे से अधिक जल चुका है. मुस्कान में शायद इतनी हिम्मत नहीं है कि वह अपने इंसाफ की लड़ाई खुद लड़ सके. इसलिए मुस्कान के सास-ससुर सरकार से इंसाफ की गुहार लगाने बरेली से दिल्ली आये हैं.

मुस्कान के सास-ससुर का आरोप है कि उनके गांव में एक राजनीतिक पार्टी के दबंग नेता  ने उनकी ज़मीन हथियाने की कोशिश की, जिसका उन्होंने विरोध किया. राजनेता होने के कारण उस पर कोई खासा कार्यवाही नहीं हुईं. जिसके बाद  उसने 6 लोगों द्वारा मुस्कान पर तेजाब से हमला करवा दिया. हमला उस समय हुआ जब मुस्कान रसोई में खाना बना रही थी. इस घटना के बाद तीन लोगों पर पुलिस कार्रवाई हुई, लेकिन मुख्य साज़िशकर्ता और अन्य दो अपराधी आज भी पुलिस के गिरफ्त से बाहर हैं.

एसिड अटैक जैसी आमानवीय घटना से न केवल मुस्कान का जीवन ही प्रभावित हुआ, बल्कि उसकी 3 साल की बच्ची से उसकी मां का प्यार भी छिन गया है.

स्पष्ट रहे कि एसिड अटैक को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी 2013 के अपने निर्देश में केन्द्र और राज्य सरकार को आदेश दिया था कि सरकारें एसिड की बिक्री को रेग्यूलेट करने के लिए कानून बनाए और साथ ही अटैक की शिकार महिलाओं के इलाज और पुनर्वास के लिए 3 लाख रूपये का मुआवजा देने का प्रावधान करे.

लेकिन किसी भी सरकार ने कोर्ट के इस फैसले को गंभीरता से लेना ठीक नहीं समझा. आज भी तेजाब खुलकर बाजारों मे बिक रहा है. बच्चों से लेकर बड़े तक कोई भी बाजार से तेजाब आसानी से खरीद सकता है. यही कारण है कि आपसी दुश्मनी और गुस्सा निकालने के लिए लोग एसिड अटैक जैसे हमले करते हैं.

‘स्टॉप एसिड अटैक्स’ के बैनर तले आमरण अनशन पर बैठी लक्ष्मी, रूपा, नीतु और सोनिया… ये सभी लड़कियां कहती हैं कि एसिड अटैक से न केवल उनका जीवन खराब हुआ है, बल्कि उनसे जुड़े उनके परिवार को भी बहुत दुःख झेलना पड़ा है.

अनशन पर बैठी ये सभी लड़कियां आज सरकार से लक्ष्मी की जनहित याचिका (18-06-2013 लक्ष्मी बनाम भारत सरकार) पर तुंरत पालन चाहती हैं. तेजाब की बिक्री को बंद करने के साथ न्याय के लिए  फास्ट-ट्रैक कोर्ट की मांग कर रहे हैं.

हालांकि सरकार ने महिला उत्पीड़न को देखते हुए 16 दिसम्बर रेप कांड के बाद कुछ नियमों में बदलाव किये. उसी समय एसिड अटैक जैसे हमलों को भी ध्यान में रखते हुए आईपीसी की धारा -326 में प्रवाधान किया गया. जस्टिस जे.एस. वर्मा कमीशन की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने आईपीसी में नये प्रवाधान किये और धारा-326(ए) और धारा 326(बी) बनाई.

आईपीसी की धारा 326(ए) के तहत अगर कोई शख्स किसी पर एसिड से हमला करता है और दूसरे शख्स का शरीर खराब हो जाता है तो उस हमलावर को 10 साल की सजा या उम्र कैद हो सकती है.

एसिड अटैक की कोशिश करने पर भी कम से कम 5 साल की क़ैद होगी. और अगर कोई शख्स किसी के अंग ख़राब करने या नुक़सान पहुंचने की कोशिश करता हैं तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 326(बी) के तहत केस दर्ज होगा. जिसमें 5 से 7 साल तक की सजा का प्रवाधान हैं.

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