मैं झील किनारे टहल रहा था. उस बिगड़ैल कुत्ते के पीछे-पीछे जिसे अपने मालिकों को परेशान करने में आनंद आ रहा था. थोड़ी दूर एक परिवार पानी में गए स्केटिंग स्कूटर को निकालने की मशक़्क़त में जुटा था. मैं ठहर गया. ठहरा क्या, पास की ही बैंच पर बैठकर देखने लगा.
कई बार मन में आया कि जाकर मदद करूँ लेकिन रुक गया कि अनजान लोग कहीं बुरा ना मान जाए. पिता मशक़्क़त करते रहे लेकिन कामयाब न हुए. एक टहनी तोड़कर लाए लेकिन वो भी स्कूटर तक ना पहुँच सकी. 6-8 साल की उम्र की दो बेबस बहनें और एक माँ पास खड़ीं देख रहीं थी.
फिर एक प्रेमी जोड़ा मदद करने के लिए रुका. नौजवान ने रेलिंग पर लटककर स्कूटर तक पहुँचने की कोशिश की. पाँच मिनट तक चले नाकाम प्रयास के बाद वो भी चले गए.
स्कूटर के बाहर न निकलने ने बच्चियों का चेहरे बुझा दिए. पिता ने कहा, “मैं नया स्कूटर ला दूंगा.” परिवार स्कूटर को पानी में ही छोड़कर आगे बढ़ गया. बच्चियां पलट-पलट कर देखती रहूं.
स्कूटर शायद छोटी बहन का था. उसका दिल रखने के लिए बड़ी बहन ने अपना स्कूटर उसे दे दिया. कुछ दूर एक पेड़ की सूखी-लंबी टहनियों को देखकर वो बच्चियाँ रुक गईं. उस बच्ची ने उछलकर उस डाली को तोड़ना चाहा जो उसकी पहुँच से बहुत ऊंची थी. तोड़ना तो क्या वो उसे छू भी ना पाई. कुछ और आगे चलने पर वो फिर से एक और पेड़ के पास गई और टहनी को तोड़ने की एक और नाकाम कोशिश की.
मैं पीछे-पीछे चलता रहा. लगभग 8-10 की उम्र के बच्चों का एक समूह गुज़रा. उनमें से एक बच्चे के हाथ में थोड़ी लंबी टहनी थी. उसे देखकर बच्ची के आँखों में चमक आ गई. वो बच्चों के पास गई और अपना स्कूटर पानी से निकालने के लिए टहनी उधार माँग ली. बच्चे खुशी-खुशी उसे अपनी टहनी देकर आगे बढ़ गए.
पिता ने एक बार फिर प्रयास किया लेकिन स्कूटर अब भी पहुँच से बाहर था. स्कूटर निकालने के लिए पानी में उतरना ज़रूरी था. लेकिन बेहद सर्द मौसम में जूता उतारने का ख़्याल ही मुश्किल था. परिवार एक बार फिर स्कूटर को छोड़कर जा रहा था.
अब मैंने जूते उतार दिए. पैंट ऊपर की और पानी में उतर गया. इतने ठंडे पानी में शायद पहली बार… कोई दो मिनट की मशक़्कत के बाद उन बच्चों से मिली टहनी की मदद से स्कूटर पानी के बाहर आ गया. बच्चियों की आँखें चमक गईं. बुझे चेहरे मुस्कुरा उठे.
पिता ने एक नोट निकाल और मेरे हाथ में पकड़ा दिया. मैंने मना किया तो उन्होंने कहा, “आई इंसिस्ट.” मैंने कहा, “हाऊ कैन आई थिंक ऑफ टेकिंग मनी फ़ार सच ए लिटिल हेल्प.” Help Should be Always Free!!
बर्फ़ से ठंडे पानी में उतरने का वह अनुभव यादगार रहा!
(लेखक बीबीसी से जुड़े हैं. और इन दिनों लंदन में कार्यरत हैं.)