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संस्कृत संस्थान में अनियमिता, स्मृति ईरानी से गुहार

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ स्थित सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी से मानव संसाधन विकास मंत्रालय में सलाहकार नियुक्त किये गए चमुकृष्ण शास्त्री द्वारा राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान में अनुचित और अवैधानिक हस्तक्षेप की कथित शिकायत की जांच कराये जाने की मांग की है.

उन्होंने कहा है कि संस्कृत संस्थान के कुलपति पद हेतु बनी सर्च कमिटी ने पूर्व आईपीएस डॉ. के. अरविन्द राव सहित दो संस्कृत आचार्य प्रो अर्कनाथ चौधरी तथा प्रो. पी.एन. शास्त्री के नाम भेजे जिनमें डॉ. अरविन्द राव 10 साल प्रोफ़ेसर नहीं होने और प्रो शास्त्री के पीजी  में निर्धारित 55% अंक नहीं होने के कारण नाम पर आपत्ति लग गयी और अर्कनाथ चौधरी अकेले योग्य प्रत्याशी बचे.

डॉ ठाकुर के अनुसार इसके बाद श्री चमुकृष्ण ने श्री अर्कनाथ पर नियुक्ति के पहले संस्थान के कर्तव्यनिष्ठ रजिस्ट्रार डॉ बिनोद कुमार सिंह को हटवाने की अनुचित मांग रखी और मना करने पर अयोग्य पाए गए पी एन शास्त्री को कार्यवाहक कुलपति नियुक्त करवा दिया.

अतः उन्होंने सुश्री ईरानी से इस प्रकरण को तत्काल दिखवाते हुए सही नियुक्ति कराने और चमुकृष्ण शास्त्री की भूमिका की जांच कराये जाने का निवेदन किया है.

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा लिखे गए पत्र को आप यहां पढ़ सकते हैं:

सेवा में,

सुश्री स्मृति जुबिन ईरानी,

मा० मंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्रालय,

भारत सरकार, नयी दिल्ली

विषय- श्री चमुकृष्ण शास्त्री, सलाहकार, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा विभाग में अनुचित और अवैधानिक हस्तक्षेप की शिकायत विषयक

महोदय,

मैं डॉ नूतन ठाकुर लखनऊ यूपी स्थित एक अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हूँ. मैं यह पत्र अपनी निजी हैसियत में एक वृहत्तर जनहित के प्रश्न पर आपको प्रेषित कर रही हूँ.

निवेदन है कि मेरे संज्ञान में यह आया है कि श्री चमुकृष्ण शास्त्री, जिन्हें आपने हाल में अपने कार्यकाल में सलाहकार, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार बनाया है, द्वारा विभाग में अनुचित और अवैधानिक हस्तक्षेप किया जा रहा है जिससे न सिर्फ नियमों का उल्लंघन हो रहा है बल्कि पूरे मंत्रालय में गलत सन्देश जा रहा है. मुझे बतायी गयी जानकारी के अनुसार हाल में यह बात राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, मानित विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर चयन की प्रक्रिया के दौरान काफी खुले रूप में दिखा. इस मामले में कुलपति चयन हेतु नवम्बर 2014 में सर्च कमिटी बनी जिसने फ़रवरी 2015 में अपनी रिपोर्ट दी. इसमें उनके द्वारा तीन नाम दिए गए- डॉ के अरविन्द राव, रिटायर्ड आईपीएस, आंध्र प्रदेश, प्रो अर्कनाथ चौधरी, प्राचार्य राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, लखनऊ तथा प्रो पी एन शास्त्री, प्राचार्य राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, भोपाल.

मेरी जानकारी के अनुसार डॉ अरविन्द राव के 10 वर्षों की अवधि के लिए प्रोफ़ेसर नहीं होने पर डीओपीटी ने आपत्ति की और इसके बाद मा० प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एसीसी (सिलेक्शन कमिटी) ने प्रो शास्त्री के पीजी (अर्थात एमएड) में निर्धारित 55% अंक नहीं होने के कारण उनके नाम पर आपत्ति की जिसके बाद अकेला नाम श्री अर्कनाथ चौधरी का बचा.

बताया जाता है कि इस बात की जानकारी होने के बाद श्री चमुकृष्ण शास्त्री ने फ़रवरी अंत में श्री अर्कनाथ से फोन पर संपर्क किया और उनके चयन हो जाने के बाद उनके द्वारा कराये जाने वाले कार्यों के सम्बन्ध में कई सारी अपेक्षाएं रखीं. कहा जाता है कि इसमें एक प्रमुख अपेक्षा किसी प्रोफ़ेसर की नियुक्ति और दूसरा इस संस्थान के रजिस्ट्रार डॉ बिनोद कुमार सिंह को हटवाना था. ऐसा कहा जाता है कि उक्त प्रोफ़ेसर की नियुक्ति में तमाम दिक्कतें हैं और डॉ बिनोद ईमानदार, मेहनती और सक्षम अधिकारी हैं और इस कारण उनकी पिछले तमाम कुलपतियों से अच्छी पटती रही है, जिस कारण श्री चमुशास्त्री उन्हें पसंद नहीं करते क्योंकि वे उनके मनचाहे तरीके से गलत-सही काम नहीं कर रहे हैं. चर्चा है कि श्री अर्कनाथ ने श्री चमुकृष्णा की कुर्सी पर बैठते ही इन बातों का पालन करने की शर्त को इनकार कर दिया. यह भी बताया जाता है कि दिनांक 27/05/2015 को शास्त्री भवन में संस्कृत संस्थान के विकास सम्बन्धी एक बैठक में भी श्री चमुकृष्ण शास्त्री ने डॉ बिनोद सिंह के प्रति अपनी नाराजगी दिखानी चाहि थी तो मीटिंग में उपस्थित कई लोगों ने उनका प्रतिवाद करते हुए डॉ सिंह को सक्षम अधिकारी बताया था.

बताया जाता है कि इसके बाद से ही श्री चमुकृष्ण शास्त्री इस भर्ती प्रक्रिया को गलत तरीके से प्रभावित करने में लग गए क्योंकि उन्हें लगा कि श्री अर्कनाथ उनके लायक आदमी नहीं हैं. पूरे मंत्रालय और संस्कृत संस्थान में चर्चा है कि इन कारणों से श्री चमुशास्त्री ने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए श्री अर्कनाथ के सर्च कमिटी तथा एसीसी द्वारा अकेले सुयोग्य प्रत्याशी पाए जाने के बाद भी उन्हें नियुक्त करने की प्रक्रिया रुकवा दी और इसी बीच दिनांक 29/04/2015 को श्री पी एन शास्त्री को ही कार्यवाहक कुलपति नियुक्त करवा दिया जबकि श्री शास्त्री न्यूनतम अर्हता नहीं रखने के कारण पूर्व में भी इस पद हेतु अयोग्य घोषित हो चुके हैं. यह बात भी कही जाती है कि ये दोनों व्यक्ति कर्नाटक राज्य से हैं और दोनों शायद नजदीकी रिश्तेदार भी हैं. इस प्रकार एक उपयुक्त प्रत्याशी के रहते दूसरे को कार्यवाहक बनाने के पीछे यह कारण बताया जा रहा है कि श्री चमुशास्त्री चाहते हैं कि सर्च कमिटी द्वारा की संस्तुति का एक साल बीत जाए और उसकी समयसीमा समाप्त हो जाए ताकि वे पुनः नया सर्च कमिटी बनवा कर मनवांछित व्यक्ति को संस्कृत संस्थान का कुलपति नियुक्त करा सकें और श्री अर्कअंत जिन्हें वे अपने अनुकूल नहीं पा रहे हैं, उन्हें इस पद पर बैठने से रोक सकें.

इन तथ्यों के दृष्टिगत यह काफी संभावित दीखता है कि मंत्रालय में सलाहकार के रूप में नियुक्त किये गए श्री चमुशास्त्री अपने पद का अनुचित उपयोग करने के प्रयासों में लगे हों और श्री अर्कनाथ चौधरी जैसे मेरिट से स्थान पाने वालों की जगह श्री पी एन शास्त्री जैसे उस पद हेतु अयोग्य घोषित लोगों को पदासीन करने और डॉ बिनोद जैसे कर्तव्यनिष्ठ लोगों को क्षति पहुँचाने में लगे हों.

अतः मैं आपसे निम्न दो निवेदन कर रही हूँ-

1. कृपया इस प्रकरण को तत्काल स्वयं दिखवाने की कृपा करें और यदि श्री अर्कनाथ चौधरी उपरोक्तानुसार सभी प्रकार से उपयुक्त घोषित हुए हों और श्री पी एन शास्त्री उपरोक्तानुसार इस पद हेतु अनुपयुक्त हों तो स्थापित नियमों और प्रक्रिया के आलोक में श्री पी एन शास्त्री को कार्यवाहक कुलपति पद से हटाते हुए श्री अर्कनाथ को नियमानुसार इस पद पर स्थायी नियुक्ति देने की कृपा करें

2. कृपया इस आवेदन में प्रस्तुत तथ्यों के आलोक में श्री चमुकृष्णा शास्त्री की भूमिका का आकलन करने की कृपा करें और इस प्रार्थनापत्र में वर्णित तथ्यों के सही पाए जाने पर उन्हें समुचित आगाह करने और आवश्यक समझे जाने पर सलाहकार पद से विमुक्त करने पर विचार करने की कृपा करें

डॉ नूतन ठाकुर

5/426, विराम खंड, गोमती नगर, लखनऊ

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