BeyondHeadlines News Desk
रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब का आरोप है कि उत्तर प्रदेश का कानून व्यवस्था पूरी तरह फेल है. सरकार प्रदेश में बढ़ रही सांप्रदायिकता के मसलों पर सिर्फ दिखावा कर रही है, जबकि उसका छिपा हुआ ऐजेण्डा ऐसे अराजक तत्वों को खुली छूट देना है. जिसका उदाहरण उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा सोशल नेटवर्किंग साइट्स के ज़रिए सांप्रदायिकता फैलाने वालों तत्वों के खिलाफ़ कार्रवाई का झूठा आश्वासन देना है. ऐसे तत्व न सिर्फ लगातार सक्रिय हैं बल्कि उनके खिलाफ़ शिकायतें आने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.
मंच के अध्यक्ष ने एक प्रेस विज्ञप्ति के ज़रिए बताया कि भाजपा विधायक संगीत सोम और सुरेश राणा पर से 2013 में जब राज्य सरकार ने रासुका हटवाने का काम किया, उसी दौरान रिहाई मंच ने अमीनाबाद लखनऊ में इन दोनों के खिलाफ़ जेल में बंद होने के दौरान सोशल साइट्स पर सांप्रदायिकता भड़काने वाले पोस्टों के खिलाफ़ तहरीर दी, जिस पर सरकार ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की.
पिछले दिनों लखनऊ में सांप्रदायिक तनाव के दौरान फेसबुक और वाट्सएप पर न सिर्फ खुले रूप में सांप्रदायिकता भड़काई जा रही थी, बल्कि मुस्लिमों के खिलाफ हिंन्दुओं को एकजुट करने और आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की अपीलें की जा रही थीं, जिसकी शिकायत रिहाई मंच ने लखनऊ के एसएसपी से की, पर आज तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पिछले दिनों आईबी ने यूपी में सांप्रदायिक तनाव को लेकर जो एलर्ट जारी किया है वह सिर्फ खाना पूर्ती भर है. पिछले दिनों मथुरा में मोदी ने रैली कर यह एलर्ट पहले ही जारी कर दिया था कि बिहार में होने वाले चुनावों और यूपी के चुनावों को लेकर भाजपा व अन्य हिन्दुत्ववादी गिरोह सक्रियता से अपनी कार्रवाई आरंभ कर दें. यह संयोग नहीं है कि उसी दौरान गृहमंत्री राजनाथ सिंह, तोगडि़या व अन्य हिन्दुत्वादी नेता राम मंदिर का अलाप जपकर सूबे में सांप्रदायिक माहौल को हवा देने लगे. अगर आईबी को सचमुच सूबे में सांप्रदायिक हिंसा रोकनी है तो वह सांप्रदायिक तत्वों का चिन्हीकरण करे.
उन्होंने आईबी समेत देश की खुफिया एजेसियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ठीक इसी तरह 2013 में मुज़फ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा जब भड़काई जा रही थी, जब संगीत सोम जैसे लोग फर्जी वीडियो इंटरनेट पर अपलोड कर, सीडियां बंटवा रहे थे उस दौरान यह खुफिया एजेंसियां कहा थीं? वहीं शामली में पिछले दिनों जब एक विछिप्त मुस्लिम युवक को पूर्वनियोजित तैयारी के तहत बजरंगदल के लोग पूरे शहर में घुमा-घुमाकर पीट कर पूरे शहर में सांप्रदायिक हिंसा का माहौल बना रहे थे और एसपी और सीओ निशांत शर्मा जैसे लोग बजरंगदल की कार्रवाही को जायज़ ठहरा रहे थे तब यह खुफिया एजेंसियां कहां थी?
उन्होंने बताया कि जब शामली, सहारनपुर, गाजियाबाद और फैजाबाद में एक साथ सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की कोशिश हुई, उसके बाद रिहाई मंच ने जब 28 जून को राजधानी लखनऊ में धरना देकर इस बात को कहा कि सूबे में 2013 जैसे सांप्रदायिक तनाव भड़काने का माहौल बनाया जा रहा है, उसके बाद खुफिया एजेसियों जागी, लेकिन यह सिर्फ खाना पूर्ती तक ही सीमित हैं.