Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines
आर्कियोलॉजिकल सर्व ऑफ इंडिया (एएसआई) के दायरे में आने वाली मस्जिदों में नमाज़ पढ़ने की मांग ज़ोर पकड़ती जा रही है. जमिअत-ए-उलेमाए हिन्द समेत कई नामचीन मुस्लिम तंज़ीमें अपने हक़ के ख़ातिर आर-पार की लड़ाई पर आमादा हैं.
BeyondHeadlines को दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड से आरटीआई के ज़रिए हासिल महत्वपूर्ण दस्तावेज़ बताते हैं कि दिल्ली गज़ट नोटिफेशन के तहत 827 मस्जिदें पूरी दिल्ली में हैं. जिसमें से सिर्फ 193 मस्जिदें ही दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड मैनेजमेंट के कंट्रोल में है और उन सभी मस्जिदों में नमाज़ अदा की जा रही है.
आरटीआई के एक जवाब में दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड बताती है कि पूरे दिल्ली में वक़्फ़ के 156 ऐसे सम्पत्ति हैं, जिन पर एएसआई का गैर-क़ानूनी क़ब्ज़ा है. ‘नाजायज़ क़ब्ज़ों’ के इस सूची में 38 मस्जिदों के नाम शामिल हैं.
इन 38 मस्जिदों में कई मशहूर व अहम मस्जिदें भी हैं. इसमें दिल्ली गोल्फ क्लब की मस्जिद, लाल क़िला की मोती मस्जिद, कोटला फ़िरोज़ शाह की जामा मस्जिद, पुराना क़िला की मस्जिद कोहना, ग्रीनपार्क की नीली मस्जिद व मख़दूम मस्जिद, हौज़खास मस्जिद, लोधी रोड मस्जिद, जमाली-कमाली मस्जिद, सफ़दरजंग मक़बरा के अंदर एक मस्जिद, हेली रोड पर स्थित एक मस्जिद और हज़रत ख़्वाज़ा बख़्तियार काकी दरगाह के अंदर मोती मस्जिद जैसी कई मस्जिदों के नाम शामिल हैं.
हालांकि एएसआई के अधिकारी इस आरोप से इनकार करते हैं. उनका सवालिया लहजे में कहना है, “क्या सरकार कभी गैर-क़ानूनी क़ब्ज़ा करती है? फिर वो आगे बताते हैं -“पुरातत्व विभाग उन्हीं धरोहरों को अपनी देख-रेख में लेता है, जिनका ऐतिहासिक महत्व होता है.”
दूसरी तरफ़ खुद एएसआई एक आरटीआई के जवाब में बताती है –‘भारतीय पुरातत्व विभाग, दिल्ली मंडल के अधिकार क्षेत्र में 33 मस्जिद/ या मस्जिद जो किसी मक़बरे से संबद्ध है, केन्द्रीय स्मारक की सूची में आती हैं.’ (इस सूची को आप नीचे देख सकते हैं.)
साथ ही उन्होंने 12 मस्जिदों की सूची भी दी है, जिनमें सिर्फ तीन मस्जिदों में नमाज़ हो रही है. वो तीन मस्जिद –पालम मस्जिद, नीली मस्जिद और सुनहरी मस्जिद हैं. (इसकी सूची भी आप नीचे देख सकते हैं.)
ये कहानी यहीं खत्म नहीं होती. दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड से आरटीआई के ज़रिए हासिल दस्तावेज़ बताते हैं कि एएसआई के अलावा 114 वक़्फ़ की सम्पत्तियों पर दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी डीडीए का क़ब्ज़ा है. तो वहीं 26 ऐसे वक़्फ़ के सम्पत्ति हैं, जिन पर दूसरे सरकारी एजेंसियों का ‘नाजायज़ क़ब्ज़ा’ है.
डीडीए द्वारा ‘नाजायज़ क़ब्ज़ों’ की सूची में 18 मस्जिदें तो वहीं दूसरे सरकारी एजेंसियों के ‘नाजायज़ क़ब्ज़ों’ में 12 मस्जिदों के नाम शामिल हैं.
दस्तावेज़ बताते हैं कि ओल्ड रोहतक रोड पर रेलवे अकाउंट ऑफिस के पास दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड की नीम वाली मस्जिद थी, जिस पर रेलवे ने ‘नाजायज़ क़ब्ज़ा’ करके मस्जिद को ‘शहीद’ कर दिया. वहीं मेहरौली के मदरसा वाली मस्जिद पर एमसीडी का ‘नाजायज़ क़ब्ज़ा’ है.
दस्तावेज़ यह भी बताते हैं कि दिल्ली के लेडी हार्डिंग हॉस्पीटल में दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड की एक छोटी मस्जिद थी, जिसे अस्तपाल प्रशासन इन दिनों ‘स्टोर रूम’ के तौर पर इस्तेमाल कर रही है.
आगे की कहानी और भी चिंताजनक है. क्योंकि दस्तावेज़ बताते हैं कि दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के 373 सम्पत्तियों पर दिल्ली के ‘दबंग’ मौलवियों व अन्य लोगों का ‘नाजायज़ क़ब्ज़ा’ है. इन ‘नाजायज़ क़ब्ज़ों’ में 138 मस्जिदों के नाम शामिल हैं.