BeyondHeadlines News Desk
नई दिल्ली : आज ही दिन यानी 10 अगस्त 1950 को धारा-341 में लगाये गए धार्मिक प्रतिबन्ध के विरुद्ध आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर लखनउ की राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल ने धरना दिया.
इस धरना को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने कहा कि देश कि आज़ादी का पहला उद्देश्य देश के सभी वर्गों की सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक विकास के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना था. धर्म जात, वर्ग, नस्ल, लिंग, भाषा के भेदभाव के बिना सभी पिछड़े वर्गों के पिछड़ेपन को दूर करने और जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए रिज़र्वेशन सुविधा दी गयी, जिसका उद्देश्य उन पिछड़े वर्गों और अधिकारों से वंचित जनता को सहयोग दिलाना था, जो सदियों से अन्याय के शिकार रहे. आज़ाद भारत की पहली कांग्रेस सरकार जिसका नेतृत्व पंडित जवाहरलाल नेहरू कर रहे थे, उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के साथ भेदभाव करते हुए धारा-341 में धार्मिक प्रतिबन्ध लगाकर भारतीय संविधान के सिद्धांतो की खिलाफ़-वर्ज़ी की.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल का यह मानना है कि धर्म आरक्षण का आधार नहीं होना चाहिए. आरक्षण से सम्बंधित संविधान में धारा 340, 341 और 342 है, जिनमें स्पष्ट रूप से कहीं धर्म शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है. आरक्षण के सभी लाभ जाति और पेशे के आधार पर निर्धारित किये गए हैं. ये तो सारा खेल उस समय जवाहरलाल नेहरू ने एक अध्यादेश लाकर किया. कितनी हैरानी की बात है कि उस समय सिक्ख समाज के लोगों ने इसके विरुद्ध आवाज़ उठाई तो 1956 में उक्त अध्यादेश में संशोधन करते हुए सिक्ख तथा वर्ष 1990 में बौद्ध दलितों को भी आरक्षण के अंतर्गत ला दिया गया. लेकिन मुसलमान व ईसाई दलितों को आज भी वंचित रखा जा रहा है. ये कहां का इंसाफ़ है.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल का यह दृष्टिकोण है कि एक जैसा पेशा करने वाले तमाम लोगों को समान अवसर मिलना चाहिए. यह हर भारतीय का जन्मसिद्ध अधिकार है तथा धारा-341 से धार्मिक प्रतिबन्ध ख़त्म होना चाहिए.
उलेमा कौंसिल से जुड़े नेताओं का कहना है कि –हम एनडीए की वर्तमान सरकार से यह मांग करते है कि वो धारा-341 से धार्मिक प्रतिबन्ध हटाकर दलित मुसलमानों व ईसाइयों के आरक्षण के संवैधनिक अधिकार को बहाल करके ‘सबका साथ और सबका विकास’ के अपने वादे को पूरा करे. साथ ही सरकार को यह भी चेतावनी दी कि हमारा यह आंदोलन उस वक़्त तक जारी रहेगा, जब तक धारा-341 से धार्मिक प्रतिबन्ध हटा नहीं लिया जाता.