BeyondHeadlines News Desk
लखनउ की सामाजिक संगठन रिहाई मंच आज एक प्रेस विज्ञप्ति के ज़रिए यह चेतावनी जारी की है कि 15 अगस्त के आसपास अपनी नाकामी छुपाने के लिए मोदी सरकार आतंक का खेल खेल सकती है.
यही नहीं, रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने आज़मगढ़ के महीनों लापता रहने के बाद विक्षिप्त अवस्था में वापस आने वाले ज़ाकिर के मामले में खुफिया विभाग की भूमिका की जांच की मांग भी की है.
उन्होंने कहा कि खुफिया विभाग एक बार फिर मुस्लिम युवकों को आतंकवाद के नाम फंसाने की योजना बना रहा है, जिसके तहत आईएसआईएस के नाम पर आज़मगढ़ समेत देश के अन्य भागों से गायब बताए जा रहे मुस्लिम युवकों को बदनाम कर 15 अगस्त के आसपास फर्जी मुडभेड़ों में मारने और गिरफ़्तारियों की भूमिका तैयार की जा रही है. जबकि ऐसा माना जाता है कि यह तमाम गायब नौवान उनके पास ही हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डाभाल संघ परिवार के थिंकटैंक विवेकानंद फाउंडेशन से जुड़ रहे हैं. उनकी देख-रेख में फिर वही सब दोहराने की साजि़श हो रही है, जो मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में खुफिया एजेंसियां आतंकवाद के नाम पर कर चुकी हैं.
उन्होंने कहा फिर 15 अगस्त के दौरान आतंकवादी हमले का हव्वा मीडिया के ज़रिए खड़ा किया जा रहा है. इसमें सुरक्षा एजेंसियां हास्यास्पद स्तर तक गिरते हुए हमला करने वाले आतंकियों की संख्या तक बता दे रही हैं, जो यह कथित हमला करना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि जिस तरह दिल्ली में रियाज़ भटकल और इंडियन मुजाहिदीन के नाम पर तमाम लड़कों की तस्वीरें लगाई जा रही हैं, वह इस बात का संकेत है अपने हर मोर्चे पर विफल हो चुकी मोदी सरकार इस बार 15 अगस्त के आसपास आतंकवाद के नाम पर कुछ बड़ा खेल करना चाहती है.
उन्होंने कहा कि मुस्लिम और आदिवासी युवकों से स्वतंत्रता दिवस के आसपास शाम ढलने के बाद अकेले बाहर नहीं निकलने की अपील करते हुए कि मोदी पर हमले के षड़यंत्र के आरोप में आतंकवादी या माओवादी बता कर उन्हें गिरफ़्तार किया या मारा जा सकता है, जैसा कि पहले इससे पहले भी हो चुका है.