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स्पेशल कोर्ट ने याक़ूब को किया बरी…

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : गुरुवार को लखनऊ जेल में स्पेशल कोर्ट ने विस्फोटकों के साथ पकड़े गए आरोपी याकूब और उसके दोनों साथी जलालुद्दीन और नौशाद को बरी कर दिया है. इन सभी को यूपी एसटीएफ और एटीएस ने लखनऊ के अलग-अलग इलाकों से 2007 में अरेस्ट किया था. कोर्ट के विशेष जज एस.ए.एच. रिजवी ने तीनों को बरी करते हुए अपने फैसले में कहा कि बरामदगी और गवाहों के बयानों में काफी भिन्नता है. अधिकांश पुलिस के गवाह थे, लेकिन बरामदगी के समय और जगह के बारे में उनके बयानों में काफी भिन्नता थी.

इस फैसले के बाद रिहाई मंच ने आतंकवाद के फ़र्जी मुक़दमों में गिरफ़्तार याकूब, नौशाद और जलालुद्दीन के बरी किए जाने को साम्प्रदायिक जांच एंव खुफिया एजेंसियों के मुंह पर तमाचा बताया है.

संगठन ने कहा कि यदि सपा सरकार ने चुनाव के समय किए गए वादे को पूरा करते हुए इन बेगुनाहों को 2012 में छोड़ दिया होता तो इनकी ज़िंदगी के कीमती तीन साल बच सकते थे.

रिहाई मंच के अध्यक्ष और इस मामले में वकील मुहम्मद शोएब ने कहा कि आरडीएक्स बरामदगी के गम्भीर आरोप से आरोपियों के बरी कर दिए जाने के बाद पुलिस और सरकार को बताना चाहिए कि बरामद दिखाया गया साढ़े चार किलो आरडीएक्स पुलिस को कहां से मिला था. क्या उसे आतंकी विस्फोटों में इस्तेमाल किया जाने वाला यह विस्फोटक किसी आतंकी संगठन ने उपलब्ध करवाया था, या वह फिर वह इनका इस्तेमाल आतंकी विस्फोट कराने में करती हैं और उसके बाद उसमें बेगुनाह मुसलमानों को फंसा भी देती हैं?

मोहम्मद शोएब ने इस मामले में शामिल पुलिस एंव खुफिया एजेंसियों के अफसरों को निलम्बित कर उनके खिलाफ़ तत्काल प्रभाव से कारवाई की मांग की.

उन्होंने कहा कि इस बात की जांच की जानी चाहिए कि इन पुलिस और खुफिया अधिकारियों ने यह षड़यंत्र तत्कालीन मायावती सरकार के कहने पर किया था या संघ परिवार और खुफिया विभाग के साम्प्रदायिक तत्वों  के कहने पर?

रिहाई मंच अध्यक्ष ने कहा कि सपा सरकार ने अगर अपने चुनावी वादे के तहत आतंकवाद के आरोप में बंद बेगुनाह मुसलमानों को छोड़ दिया होता तो यह लोग काफी पहले छूट गए होते. लेकिन सपा सरकार ने इस वादे से मुकर कर मुसलमानों और इंसाफ़ पसंद लोगों को सिर्फ धोखा ही नहीं दिया, बल्कि आतंक के वास्तविक अपराधियों संघ परिवार और खुफिया एजेंसियों के साम्प्रदायिक तत्वों के मनोबल को बढ़ाया.

स्पष्ट रहे कि गिरफ़्तारी के बाद पुलिस ने कहा था कि एसटीएफ ने याकूब को 21 जून 2006 को चारबाग इलाके से पकड़ा था. उसके पास से साढ़े चार किलो आरडीएक्स तार लगी तीन टाइमर घड़ी, तीन डिटोनेटर एक बड़ी टाइमर घड़ी और नौ बोल्ट की बैटरी बरामद की थी. याकूब की सूचना पर ही एसटीएफ ने 23 जून 2006 को दो अन्य नौशाद व जलालुद्दीन को भी गिरफ्तार किया. इन तीनों पर हूजी का सदस्य होने का भी आरोप लगा था.

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